World Press Freedom Day 2025: Gonzo Journalism, भारत में सेंसरशिप और सोशल मीडिया का सच

World Press Freedom Day 2025: 3 मई को World Press Freedom Day मनाया जाता है, लेकिन क्या आज भारत और दुनिया में सच में प्रेस स्वतंत्र है? जहां एक ओर लोकतंत्र में freedom of speech and expression को मौलिक अधिकार माना गया है, वहीं दूसरी ओर media censorship, press पर हमले, और fake news जैसी चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं। 2024 में India की प्रेस रैंकिंग Reporters Without Borders (RSF) Index में 159वें स्थान पर रही — जो इस बात का संकेत है कि पत्रकारों की सुरक्षा, स्वतंत्रता और सच्ची रिपोर्टिंग पर खतरे लगातार गहराते जा रहे हैं।

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World Press Freedom Day 2025

इस special रिपोर्ट में हम समझेंगे कि yellow journalism क्या है, citizen journalism कैसे उभर रहा है, Gauri Lankesh और Jamal Khashoggi जैसे मामलों ने global media को कैसे झकझोरा, और social media कैसे आज सूचना का सबसे बड़ा लेकिन सबसे खतरनाक माध्यम बन गया है। अगर आप जानना चाहते हैं कि भारत में प्रेस की आज़ादी की असली हालत क्या है, और सोशल मीडिया से लेकर सेंसरशिप तक के positive और negative impacts क्या हैं — तो यह गाइड आपके लिए है।

World Press Freedom Day 2025

 

1) What is the Theme of World Press Freedom Day 2025?

हर साल 3 मई को यह दिन दुनिया भर World Press Freedom Day मनाया जाता है। इस बात World Press Freedom Day 2025 का थीम है: “Reporting in the Brave New World: The Impact of Artificial Intelligence on Press Freedom and the Media.

2) What Date Is National Press Freedom Day Celebrated in India 2025?

भारत में राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस (National Press Freedom Day 2025) हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। साल 2025 में भी यह दिन रविवार, 16 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भारतीय पत्रकारिता के मूल्यों, प्रेस की भूमिका और लोकतंत्र में इसकी ज़रूरत को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। साथ ही यह मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर जागरूकता फैलाने का माध्यम भी है।

3) What is the History of World Press Freedom Day?

World Press Freedom Day की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा 1993 में की गई थी, लेकिन इसकी foundation 1991 में ही विंडहोक डिक्लेरेशन (Windhoek Declaration) से हो चुकी थी। यह घोषणा अफ्रीका में स्वतंत्र और pluralistic प्रेस को सपोर्ट करने के लिए की गई थी। असल में 1991 में Windhoek Declaration को नामीबिया में अफ्रीकी पत्रकारों ने पहली बार अपनाया था। उसके बाद फिर 1993 में UNESCO ने कहा कि हर साल 3 मई को World Press Freedom Day मनाया जायेगा।

4) What Is Gonzo Journalism? | गॉन्जो पत्रकारिता क्या है?

गॉन्जो पत्रकारिता (Gonzo Journalism) एक ऐसा लेखन शैली है, जिसमें पत्रकार खबर का पर्यवेक्षक (observer) नहीं, बल्कि उसका हिस्सा बन जाता है। यह ट्रेडिशनल objectivity को तोड़ता है और लेखक की राय, भावनाएँ और अनुभव को रिपोर्टिंग में शामिल करता है।Gonzo Journalism की शुरुआत हंटर एस. थॉम्पसन (Hunter S. Thompson) ने 1970 के दशक में की थी। उनका लेख “The Kentucky Derby Is Decadent and Depraved” Gonzo Journalism का पहला उदाहरण माना जाता है। 

इसकी खासियत यह है कि इसमें जर्नलिस्ट First-person narration यानी मैं के रूप में लिखता है। इसके अलावा Emotionally charged language और satire का इस्तेमा किया जाता है। Fact और fiction का मिक्सचर देखने को मिलता है और कभी-कभी exaggeration भी। यानी इसमें Journalist खुद खबर का हिस्सा होता है, जिससे neutrality कम होती है। हालाँकि Critics इसे biased या unreliable मानते हैं, लेकिन supporters इसे expressive और raw कहते हैं।

5) Who Is the Father of Indian Journalism or Newspaper?

जेम्स ऑगस्टस हिकी (James Augustus Hicky) को भारतीय पत्रकारिता का जनक (Father of Indian Journalism) माना जाता है। उन्होंने भारत का पहला समाचार पत्र “हिकीज बंगाल गजट” (India’s first newspaper Hicky’s Bengal Gazette) 1780 में कोलकाता से पब्लिश किया था।

इसकी ख़ास बात यह थी कि Hicky’s Bengal Gazette” एक साप्ताहिक अख़बार था, और अंग्रेजी में छपता था, लेकिन इस अखबार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की पॉलिसी को चैलेंज और criticize किया था। इसलिए हिकी वो पहले व्यक्ति थे, जो प्रेस की आज़ादी के लिए लड़े।

6) Who is the father of new media?

मार्शल मैकलुहान (Marshall McLuhan) को “न्यू मीडिया” का जनक (Father of New Media) कहा जाता है। मीडिया का ब्रॉड इम्पैक्ट किस तरीके से होने वाला है, उन्हें पहले ही पता चल गया था। आज से काफी समय पहले, उस वक्त McLuhan ने मीडिया को लेकर बोल दिया था कि यह आने वाले टाइम में “The Medium is the Message” और “Global Village” बड़े इम्पैक्ट के साथ उभरेगा। आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया, स्मार्टफोन और इंटरनेट आधारित मीडिया उन्हीं के insights पर आधारित हैं।

7) भारतीय टेलीविज़न के जनक कौन हैं? (Who Is the Father of Indian TV)

प्रोफेसर सतीश चंद्रा (Prof. Satish Chandra) को भारतीय टेलीविज़न का जनक (Father of Indian Television) माना जाता है। उन्होंने भारत में television broadcasting की नींव 1959 में रखी थी। भारत में पहली बार television broadcasting 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में हुई थी। यह television broadcasting UNESCO और अमेरिका की मदद से एक educational project के रूप में शुरू हुई थी। 

8) Who Gave Freedom of Press in India? | भारत में प्रेस की स्वतंत्रता किसने दी?

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता संविधान द्वारा सुनिश्चित की गई है, जिसे डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) और संविधान सभा ने भारतीय संविधान के article 19(1)(a) के अंतर्गत दिया। इसमें “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में अलग से कहीं नहीं लिखा गया है, लेकिन Freedom of Press indian constitution के Article 19(1)(a) में Freedom of Speech and Expression के तहत आती है। लेकिन इंडियन प्रेस पर colonial period में में बहुत रोक टोक थी, जैसे वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट (1878) भी लगा, लेकिन आज़ादी के बाद प्रेस को भारत में constitutional protection मिली। 

9) What Is Citizen Journalism or Public/Civic Journalism?

सिटिज़न जर्नलिज़्म (Citizen Journalism) एक ऐसा मीडिया फॉर्म है, जिसमें आम नागरिक बिना पेशेवर पत्रकार हुए भी खबरों को इकट्ठा करते हैं, रिपोर्ट करते हैं और शेयर करते हैं। इसे पब्लिक जर्नलिज़्म या सिविक जर्नलिज़्म भी कहा जाता है। इसका फायदा यह है कि तेज़ी से रिपोर्टिंग होती है, लेकिन Fact-checking की कमी और Bias और misinformation का खतरा हो सकता है। 

10) What Is Yellow Journalism? | येलो जर्नलिज़्म क्या है?

येलो जर्नलिज़्म (Yellow Journalism) एक प्रकार की पत्रकारिता है, जिसमें सनसनीखेज, भड़काऊ और अक्सर बिना पुष्टि वाली खबरों को प्रकाशित किया जाता है, ताकि ज़्यादा पाठक और व्यूज़ मिल सकें। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों की भावनाओं को भड़काकर ध्यान खींचना होता है, न कि सच्चाई या तथ्य पेश करना।

जैसे आजकल इंडिया में हो रहा है, Sensational headlines, Half-truths या बिना जांचे तथ्य, Drama, डर, या लोगों के इमोशंस पर आधारित कंटेंट पेश करना। Yellow Journalism शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1890 के दशक में अमेरिका में हुआ था, खासकर Joseph Pulitzer और William Randolph Hearst के बीच। इन्होंने readership बढ़ाने के लिए exaggerated और dramatic news इस्तेमाल की थी।

11) What Is Green Journalism? | ग्रीन जर्नलिज़्म क्या है?

ग्रीन जर्नलिज़्म (Green Journalism) जर्नलिस्म का वो स्टाइल है, जो पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, ecological imbalance and sustainability जैसी चीज़ों पर फोकस करता है। इसका मकसद पर्यावरणीय मुद्दों को समाज के सामने लाना और नीति निर्माताओं पर प्रभाव डालना होता है। बढ़ते climate crisis और biodiversity loss को देखते हुए green journalism आज और भी ज्यादा जरूरी हो गया है। यह पत्रकारिता का socially conscious और globally relevant रूप है।

12) What Is Media Censorship and Its Effects?

मीडिया सेंसरशिप (Media Censorship) वह प्रोसेस है, जिसमें सरकार, कोई आर्गेनाईजेशन या कोई प्लेटफॉर्म किसी समाचार, जानकारी या विचार को ब्रॉडकास्ट होने से रोक दे। लेकिन Media Censorship ऐसे ही नहीं लगती, इसका मकसद जो भी हो, लेकिन आमतौर पर जब भी कोई Media पर Censorship लगाता है, तो यही कहता है कि यह national security”, “communal harmony” या “public decency” के लिए किया जा रहा है।

Media Censorship कई टाइप की होती है, जैसे राजनीतिक सेंसरशिप, धार्मिक या सांस्कृतिक सेंसरशिप, कॉर्पोरेट या विज्ञापन-प्रेरित सेंसरशिप या डिजिटल/सोशल मीडिया सेंसरशिप! हालाँकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला (attack on freedom of expression) है, क्योंकि वजह चाहे कोई भी हो, लेकिन नागरिकों और पत्रकारों की आवाज़ दबाई जाती है। या जनता को अधूरी या झूठी जानकारी मिलती है।  Media Censorship का सबसे बड़ा नुक्सान यह है कि सत्ताधारी शक्तियाँ मीडिया की जांच-पड़ताल से बच सकती हैं। 

13) भारत और दुनिया में पत्रकारों पर बड़े हमले? (Major Attacks on Journalists) 

पत्रकारों पर हमले पूरी दुनिया में मीडिया की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा बन चुके हैं। भारत और वैश्विक स्तर पर कई पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग के कारण जान से हाथ धोना पड़ा या गंभीर उत्पीड़न झेलना पड़ा है। भारत के मामलों में गौरी लंकेश (2017) का मामला याद होगा, जब बेंगलुरु की वरिष्ठ पत्रकार और संपादक, जिन्हें उनके विचारों और रिपोर्टिंग के लिए उनके घर के बाहर गोली मार दी गई। वहीँ शुजात बुखारी (2018), जब कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार और ‘राइजिंग कश्मीर’ अखबार के संपादक, जिनकी श्रीनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

भारत ही नहीं, दुनिया भर के जर्नलिस्ट के साथ ऐसा हुआ है। जमाल खशोगी (2018) का मामला, जिसमें सऊदी पत्रकार और ‘Washington Post’ के contributor की इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई। वहीँ मैक्सिकन पत्रकारों पर हमले होते रहे हैं। रूस, फिलीपींस और अफगानिस्तान में भी पत्रकारों पर हमले आम हैं।

14) What is the Rank of India in Reporters Without Borders Index 2024?

2024 में रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders – RSF) की  वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 159वीं (out of 180 देशों) रही। इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि भारत की कंडीशन में गिरावट पिछले वर्षों के मुकाबले बनी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में पत्रकारों को राजनीतिक दबाव, धार्मिक कट्टरता और digital surveillance का सामना करना पड़ता है। यानी यह जो जर्नलिज़्म आज आप भारत में देख रहे हैं, यह निष्पक्ष नहीं है, लेकिन इसके कई कारण हैं। जैसे पत्रकारों पर हमले और हत्या के मामले (जैसे Gauri Lankesh), ट्रोल आर्मी और online harassment, सरकार का दबाव है। आज भारत में न्यूज़ रूम में आज़ादी नहीं हैं, और इसमें सरकार से लेकर कॉर्पोरेट तक, हर किसी का हाथ है।  

15) भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है? 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and Expression in India) भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है। यह हर नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने, बोलने, लिखने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है। इसके तहत आपको किसी विषय पर बोलने, लिखने या प्रकाशित करने की आज़ादी मिलती है, सोशल मीडिया, कला, फिल्म, भाषण या प्रेस के माध्यम से अपनी बात रखने का अधिकार मिलता है।

लेकिन इसकी कुछ सीमाएँ (Reasonable Restrictions) भी हैं। article 19(2) के तहत Freedom of Speech and Expression पर रोक भी लग जाती है, कुछ कंडीशंस में, जैसे security of the state, public order, decency or morality या Contempt of court, मानहानि या भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचने की सिचुएशन में। 

16) What Are the Reasonable Restrictions on Freedom of Speech and Expression? 

भारत में Article 19(2) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुछ “उचित प्रतिबंध” (Reasonable Restrictions) लगाए जा सकते हैं, ताकि यह अधिकार समाज और राष्ट्र के हितों के खिलाफ ना जाए। जैसे:

  • राज्य की सुरक्षा (Security of the State): देशद्रोह, आतंकवाद या हिंसा फैलाने वाली चीज़ों पर रोक लग सकती है।
  • विदेशी राज्यों से संबंध: अगर आपकी Speech से भारत के अन्य देशों से संबंध बिगाड़ते हैं या ऐसी संभावना हो, तब भी रोक लगेगी। 
  • सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order): दंगे, हिंसा या सामाजिक तनाव फैलाने वाले भाषण पर रोक संभव है।
  • शालीनता और नैतिकता (Decency or Morality): अश्लील सामग्री या नैतिकता के खिलाफ कंटेंट को रोका जा सकता है।
  • अवमानना (Contempt of Court): न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले वक्तव्य या लेखन पर रोक संभव है।
  • मानहानि (Defamation): किसी व्यक्ति की छवि या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाली अभिव्यक्ति गैरकानूनी मानी जाती है।
  • भारत की संप्रभुता और अखंडता: देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने वाली बातें प्रतिबंधित की जा सकती हैं।

17) Impacts of Information Dissemination Through Social Media Platforms? 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने सूचना प्रसार को आसान, और तेज़ बना दिया है, लेकिन इसके कुछ serious negative effects भी सामने आए हैं। यह दोधारी तलवार की तरह है — जहां एक ओर यह awareness बढ़ाता है, वहीं दूसरी ओर misinformation का बड़ा माध्यम भी बन गया है। 

  • सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts): आज Breaking news और updates रियल टाइम में मिलते हैं। हर व्यक्ति रिपोर्टर बन सकता है और ground-level issues उजागर कर सकता है। traditional media को भी मंच मिला है।  
  • नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts): लेकिन इसकी वजह से Fake News और Rumors भी तेजी से फ़ैल रहे हैं। Cyber Bullying और Troll Culture, Privacy Violation, और Misinformation तेजी से फैल रही है। 

18) सोशल मीडिया के Negative Effects and Risks क्या हैं? 

सोशल मीडिया एक ताकतवर माध्यम है, लेकिन इसके साथ कई गंभीर सामाजिक, मानसिक और सूचनात्मक जोखिम (Negative Effects and Risks of Social Media) भी जुड़े हुए हैं। इसके uncontrolled उपयोग से व्यक्ति, समाज और लोकतंत्र — तीनों पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। जैसे कुछ Key Negative Effects & Risks में:

  • Mental Health Issues: Social comparison, likes/views की dependency, और FOMO (Fear of Missing Out) जैसी समस्याएँ anxiety और depression का बड़ा कारण हैं।
  • Cyberbullying: Trolls, abusive comments और targeted harassment से विशेषकर युवा और महिलाएँ प्रभावित होती हैं।
  • Fake News & Propaganda: गलत जानकारी का तेज़ी से फैलाव समाज में भ्रम और हिंसा को बढ़ा सकता है।
  • Privacy Risks: डेटा की चोरी, फिशिंग और surveillance जैसे खतरे आम हो गए हैं।
  • Addiction & Productivity Loss: Excessive screen time, dopamine cycle और लगातार scroll करने की आदत से लाइफ में प्रॉब्लम बढ़ गयी हैं, मेन्टल और फिजिकल दोनों ही।
  • Radicalization & Hate Speech: कुछ प्लेटफॉर्म्स पर नफरत भरे विचारों और अफवाहों से ब्रेन वाश हो रहा है।

 

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