Why India Is Suffering From Heatwaves? Severe Weather Alert 2025 Explained

Heatwave in India 2025: भारत में हर वर्ष गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही हीटवेव यानी लू चलने की घटनाएं (Why India Is Suffering From Heatwaves) आम हो गई हैं। यह कोई सामान्य मौसमी घटना नहीं रह गई, बल्कि अब यह एक गंभीर जलवायु संकट (climate crisis) का संकेत बन चुकी है। 2025 के अप्रैल-मई में तापमान 45°C से अधिक जा पहुँचा, जिससे कई क्षेत्रों में पुराने रिकॉर्ड टूट गए।

इस ट्रेंड का मतलब यह है कि भारत के अधिकांश हिस्सों में अत्यधिक गर्मी अब एक बड़ा खतरा बन चुकी है। Heatwave अब पहले से ज्यादा टाइम तक रहने लगी हैं।इसके पीछे केवल मौसमी बदलाव नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, और वैश्विक व स्थानीय नीतिगत कमियाँ भी शामिल हैं।

यह Heatwave कब खत्म होगी?

लोगों के मन में अक्सर यह सवाल आता है: “भारत में हीटवेव कब खत्म होगी?” खासकर जब तापमान लगातार कई दिनों तक 45°C से ऊपर बना रहता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 2025 की हीटवेव मई के तीसरे या चौथे सप्ताह तक चल सकती है — खासकर उत्तर भारत में। पहले जहां हीटवेव 5 से 7 दिन चलती थी, अब heatwave duration बढ़कर 12 से 20 दिनों तक की हो गई है। यानी गर्मी का असर अब लंबा और ज्यादा गंभीर हो गया है।

कितने टेम्प्रेचर को Heatwave माना गया है? | What is a heatwave

चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। जब किसी इलाके में तापमान कुछ दिनों तक लगातार बहुत ज़्यादा रहता है—मतलब नार्मल से काफी ऊपर चला जाता है—तो उसे हम Heatwave कहते हैं। यह पहाड़ी और plain एरियाज के लिए अलग अलग है।

Indian Meteorological Department (IMD) के अनुसार अगर मैदानी इलाकों में तापमान 45°C या उससे ज़्यादा हो जाए, या पहाड़ी इलाकों में 37°C या उससे ऊपर चला जाए, और ऐसा लगातार 2 से 3 दिनों तक बनी होता है, तो इसे Heatwave घोषित कर दिया जाता है।

और अगर तापमान नार्मल से भी 6.5°C ज़्यादा हो जाए, तो इसे Severe Heatwave माना जाता है। यानि Heatwave का मतलब सिर्फ गर्मी नहीं होता—यह एक खतरनाक और असामान्य गर्मी के हालात हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है, क्योंकि ह्यूमन बॉडी एक लिमिट से ज्यादा टेम्प्रेचर नहीं झेल सकती। (Human Body मैक्सिमम कितना टेंपरेचर झेल सकती है?)

Heatwave on Global Scale?

नहीं, हीटवेव अब सिर्फ भारत की समस्या नहीं रही — यह एक वैश्विक आपदा बन चुकी है। दुनियाभर के देश और महाद्वीप इससे प्रभावित हो रहे हैं, और इसके परिणाम बेहद गंभीर हैं।

Heatwave in America: 2023 में अमेरिका के फीनिक्स, एरिज़ोना में लगातार 31 दिनों तक तापमान 43°C से ऊपर बना रहा। सोचिए, एक पूरा महीना बिना राहत के इतनी ज़्यादा गर्मी में रहना! इससे न सिर्फ लोगों की सेहत पर असर पड़ा बल्कि अस्पतालों में भीड़ और बिजली संकट जैसे हालात पैदा हो गए।

Heatwave in Europe: स्पेन, इटली और फ्रांस जैसे आमतौर पर ठंडे रहने वाले देशों में जुलाई 2023 में तापमान 48°C तक चला गया। 2022 में, यूरोप में हीटवेव से 61,000 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई।

Heatwave in China: जून 2023 में चीन के चोंगकिंग और शंघाई जैसे बड़े शहरों में तापमान 40°C से ऊपर पहुंच गया। इसकी वजह से वहाँ पावर कट्स और health emergencies की सिचुएशन बनने लगी थी।

Heatwave अब सिर्फ एक स्थानीय आपदा नहीं रही — ये पूरी दुनिया के लिए एक जलवायु चेतावनी बन चुकी है। अब हम सिर्फ मौसम की बात नहीं कर रहे — ये मुद्दा इससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। जब आप सोचते हैं कि “भारत में बार-बार इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है?” तो इसका जवाब हमें जलवायु परिवर्तन (climate change) में मिलता है।

भारत में Heatwave से क्या नुकसान हो रहा है?

Heatwave का असर सिर्फ तापमान की बढ़ोतरी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर हमारी सेहत, खेती, बिजली, पानी और अर्थव्यवस्था तक पर पड़ता है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं:

स्वास्थ्य पर असर: जब गर्मी ज्यादा हो जाती है, तो शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है। इससे हीट स्ट्रोक और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होने लगती हैं। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।

खेती-किसानी पर असर: धान, मक्का जैसी फसलें जो पानी पर निर्भर होती हैं, तेज़ गर्मी में सूखने लगती हैं। पंजाब और हरियाणा जैसे इलाकों में फसल की उपज 10-15% तक घट चुकी है।

बिजली पर दबाव: एसी, कूलर और पंखों के ज़्यादा इस्तेमाल से बिजली की मांग बहुत बढ़ जाती है। 2024 में भारत की पीक बिजली मांग 243 गीगावॉट से भी ऊपर चली गई, जिससे लोडशेडिंग और बिजली कटौती की स्थिति बन गई।

पानी की कमी: हीटवेव से नदियों और जल स्रोतों का जल स्तर गिरता है। गंगा, यमुना और कृष्णा जैसी नदियों का बहाव कम हो गया है, और गांवों में बोरवेल सूख रहे हैं।

अर्थव्यवस्था पर असर: जब बहुत ज़्यादा गर्मी होती है, तो लोग बाहर का काम नहीं कर पाते — चाहे वो मज़दूरी हो या कंस्ट्रक्शन का काम। इससे काम करने की क्षमता घटती है और प्रोडक्शन कम होती है। ILO की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत की GDP का 4-5% हिस्सा हीट स्ट्रेस की वजह से प्रभावित हो सकता है।

Why India Is Suffering From Heatwaves?

अब हम सिर्फ मौसम की बात नहीं कर रहे — ये मुद्दा इससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। जब आप सोचते हैं कि “भारत में बार-बार इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है?” तो इसका जवाब हमें जलवायु परिवर्तन (climate change) में मिलता है। भारत का औसत तापमान पिछले 100 सालों में करीब 0.7°C बढ़ चुका है। हर 10 साल में यह लगभग 0.2°C का इज़ाफा दिखा रहा है। यानी अब गर्मी सिर्फ गर्म महसूस नहीं होती, बल्कि यह हमारे वातावरण में एक permanent change का संकेत है। 2022 में आधिकारिक तौर पर 374 लोगों की मौत Heatwave से हुई, परंतु वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना अधिक हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming): जब हम ज़्यादा कोयला, तेल और गैस जलाते हैं (यानी fossil fuels), तो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें इकट्ठी होती हैं। ये गैसें पृथ्वी की गर्मी को बाहर जाने से रोकती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है।

एल-नीनो प्रभाव (El Nino Effect): प्रशांत महासागर में जब पानी असामान्य रूप से गर्म हो जाता है, तो इसका असर भारत के मौसम पर भी पड़ता है। इससे बारिश कम होती है और गर्मी जल्दी शुरू हो जाती है — जैसा कि हमने 2023 में देखा।

Urban Heat Island प्रभाव: बड़े शहरों में पेड़-पौधे कम होते हैं और चारों तरफ सीमेंट, डामर और गाड़ियाँ होती हैं। इससे दिन में जो गर्मी इकट्ठी होती है, वो रात को भी बाहर नहीं निकलती। उदाहरण के तौर पर, 2022 में दिल्ली का तापमान 49.2°C तक चला गया।

वनों की कटाई (Deforestation): पेड़ धरती को ठंडा रखते हैं। जब हम ज़्यादा पेड़ काटते हैं और जंगल खत्म करते हैं, तो गर्मी और ज़्यादा महसूस होती है। यह हीटवेव को और खतरनाक बना देता है।

 

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