Trump’s Tariff Policy: चीन ने अपनी धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था (economy) को बढ़ावा देने के लिए कुछ नए कदम उठाए हैं, खासकर जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की संभावना दिखाई दे रही है। चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस (NPC) की स्टैंडिंग कमेटी ने हाल ही में ऐसी घोषणाएं की हैं जिनका मकसद देश की स्थानीय सरकारों के भारी कर्ज का प्रबंधन करना है, ताकि ये कर्ज विकास (growth) में रुकावट न बने।
Trump की नई Tariff Policy और चीन की Economy पर असर
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीता है, जिसमें उन्होंने Chinese goods पर भारी टैक्स लगाने का वादा किया है। उनके पहले कार्यकाल के दौरान ही चीन से आयातित सामानों पर 25% तक के tariff लगाए गए थे, और उनके नए वादों में इस दर को 60% तक ले जाने का इरादा है। ट्रंप के ये नए कदम चीन के तकनीकी (technology) क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं और अमेरिका-चीन के संबंधों में और तनाव ला सकते हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां
कोरोना महामारी के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था धीमी गति से ही बढ़ रही है। इस बीच, चीन के आर्थिक विकास में अचल संपत्ति (real estate) क्षेत्र की गिरावट, बढ़ता सरकारी कर्ज (government debt), और उपभोक्ता खर्च (consumer spending) में कमी जैसी समस्याएं आ रही हैं। IMF ने हाल ही में चीन के वार्षिक विकास दर के लक्ष्य को घटाकर 4.8% कर दिया है, जो कि बीजिंग के “about 5%” लक्ष्य से कम है।
चीन का New Economic Plan: Local Government Debt का समाधान
अपने आर्थिक सुधारों के तहत चीन ने 2026 तक 6 trillion yuan ($840 billion) का बजट तैयार किया है ताकि स्थानीय सरकारों के बढ़ते कर्ज को कम किया जा सके। दशकों से, स्थानीय सरकारों ने बुनियादी ढांचा (infrastructure) परियोजनाओं को चलाने के लिए भारी कर्ज उठाया है। लेकिन हाल ही के सालों में, प्रॉपर्टी क्षेत्र में मंदी ने कई शहरों की अर्थव्यवस्था को झटका दिया है, जिससे वे अपने कर्ज चुकाने में असमर्थ हो गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती चुनौतियां
चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए advanced manufacturing और green industries पर जोर देने का संकल्प लिया है। आज, चीन सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन (EVs), और lithium-ion batteries के क्षेत्र में वैश्विक लीडर बन चुका है। International Energy Agency (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, चीन सोलर पैनल उत्पादन का 80% से अधिक हिस्सा संभालता है और EV और बैटरी उत्पादन में भी अग्रणी है।
हालांकि, पश्चिमी देशों से इसका विरोध भी बढ़ रहा है। हाल ही में यूरोपीय संघ ने चीनी EVs पर 45% तक के टैक्स लगा दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप की संभावित वापसी से चीन पर दबाव और बढ़ सकता है।
चीन के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि क्या वह अपनी अर्थव्यवस्था को export और investment-led growth से consumer-driven growth में बदल सकता है। चीन के विशेषज्ञ मानते हैं कि देश को अब घरेलू उपभोक्ता मांग (domestic consumer demand) को बढ़ावा देना चाहिए और बाहरी झटकों से बचने के लिए अपने विकास के मॉडल में बदलाव लाना चाहिए।
अर्थशास्त्री स्टीफन रोच का मानना है कि अगर चीन ने इस मॉडल में बदलाव नहीं किया तो वह जापान जैसे लंबे समय के ठहराव (stagnation) का सामना कर सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह का robust economic model चीन को ट्रंप प्रशासन के नए कदमों से उत्पन्न खतरों से बचाने में मदद कर सकता है।
चीन के लिए, अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारना केवल व्यापारिक विवादों से बचने का तरीका नहीं है, बल्कि यह उसे एक सुदृढ़ (stable) और आत्मनिर्भर (self-reliant) भविष्य की ओर ले जा सकता है।
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