USA News: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर के रूप में तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard Intelligence Director) को नामांकित किया है। अगर उनकी नियुक्ति सीनेट द्वारा मंजूरी पा लेती है, तो तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया एजेंसियों जैसे CIA, FBI और NSA की प्रमुख बनेंगी। हालांकि, उनकी नियुक्ति ने कई सवाल खड़े किए हैं, खासकर उनके अनुभव और विवादित बयानों को लेकर।
Tulsi Gabbard Intelligence Director
तुलसी गबार्ड का राजनीतिक सफर काफी रोचक और उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2002 में, महज 21 साल की उम्र में वह हवाई राज्य की विधानसभा के लिए चुनी गईं, जो अब तक की सबसे कम उम्र की विधायक थीं। इसके बाद उन्होंने सेना में अपनी सेवा दी और इराक में तैनात मेडिकल यूनिट का हिस्सा रहीं। 2013 से 2021 तक वह हवाई से अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य रहीं, और वह कांग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिंदू नेता बनीं।
तुलसी गबार्ड ने पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ जुड़कर स्वास्थ्य सेवा, मुफ्त कॉलेज ट्यूशन, और गन कंट्रोल जैसे प्रगतिशील मुद्दों का समर्थन किया। लेकिन 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी को “एलीटिस्ट कैबल ऑफ वॉर्मॉंगर्स” कहते हुए छोड़ दिया और स्वतंत्र उम्मीदवार बन गईं। हाल ही में वह रिपब्लिकन पार्टी का हिस्सा बनी हैं और डोनाल्ड ट्रंप की समर्थक के रूप में उभरी हैं।
उनकी नियुक्ति को लेकर कई विवाद सामने आए हैं। आलोचकों का कहना है कि गबार्ड का खुफिया मामलों में अनुभव कम है। डेमोक्रेट सांसद अबिगेल स्पैनबर्गर ने उन्हें “अनुभवहीन और साजिशों का समर्थन करने वाली” कहा। तुलसी गबार्ड ने सीरिया और रूस को लेकर कई विवादित बयान दिए हैं। 2017 में उन्होंने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की और कहा कि सीरिया अमेरिका के लिए सीधा खतरा नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने नाटो और यूक्रेन से जुड़े मुद्दों पर रूस की चिंताओं को जायज़ ठहराया, जिसे कई लोग रूसी प्रचार का समर्थन मानते हैं।
अगर तुलसी गबार्ड की नियुक्ति को मंजूरी मिलती है, तो वह 18 खुफिया एजेंसियों की जिम्मेदारी संभालेंगी और $70 बिलियन से अधिक का वार्षिक बजट प्रबंधन करेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने अनुभव और विवादों के बावजूद इस बड़ी जिम्मेदारी को कैसे निभाएंगी। उनकी नियुक्ति अमेरिका की खुफिया और विदेश नीति पर क्या प्रभाव डालेगी, यह आने वाला समय बताएगा।
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