Supreme Court: Rich State, Poor People; High Per Capita Income के बावजूद गरीबी क्यों नहीं घट रही?

India per capita income: अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने BPL और गरीबी को लेकर सरकार को आइना (High per capita income Claims) दिखाने की कोशिश की है। क्योंकि सरकार का कहना है कि गरीबी कम हुई है, देश की जीडीपी बढ़ रही है, देश तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इसी को लेकर भारत के गरीब लोगों की Per Capita Income पर सवाल उठा है, क्योंकि जब कोई राज्य या देश High Per Capita Income दिखाता है, तो इसे आर्थिक विकास (economic growth) का संकेत माना जाता है। Supreme Court ने बुधवार (19 मार्च 2025) को High Growth Rate और Per Capita Income के दावों पर सवाल उठाया। Court ने कहा कि जब कुछ राज्यों की करीब 70% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है, तो ऐसे दावे कितने सही हैं? सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि Subsidized Food Distribution Schemes वाकई में देश के गरीबों तक पहुंच रही हैं या नहीं। क्या ये योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं, या ज़मीनी हकीकत में कोई असर डाल रही हैं? Supreme Court ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा है। असली सवाल यह है – अगर प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) बढ़ रही है, तो गरीबी क्यों खत्म नहीं हो रही? भारत जैसे देश में, जहाँ कुछ राज्यों की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, वहाँ भी करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे (BPL) जीवन गुज़ार रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या GDP ग्रोथ का फायदा सिर्फ कुछ लोगों तक ही सीमित रह गया है?

High Per Capita Income vs. Reality?

Per Capita Income को अकसर समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लेकिन क्या यह वाकई आम आदमी की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है? Per Capita Income कैसे काम करता है? इसे राज्य या देश की कुल आय (GDP) को जनसंख्या की संख्या से विभाजित करके निकाला जाता है। यदि राज्य में कुछ अमीर लोग बहुत अधिक कमा रहे हैं, तो औसत Per Capita Income बढ़ जाती है, भले ही गरीबों की संख्या कम न हो। इसका मतलब यह नहीं है कि हर व्यक्ति की आय वास्तव में बढ़ रही है। जैसे भारत की औसत सालाना आय (India’s average annual income) 2023-24 में ₹1.72 लाख ($2,100) थी। लेकिन असली समस्या यह है कि टॉप 10% अमीर लोग, देश की 77% संपत्ति पर कब्जा रखते हैं, जबकि निचले 50% के पास सिर्फ 13% संपत्ति है। (Rich vs. Poor Income Gap) भारत में टॉप 1% सबसे अमीर लोग, देश की 40% संपत्ति के मालिक हैं।

Reality Check: महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्य भारत के सबसे अमीर राज्यों में गिने जाते हैं, लेकिन यहाँ गरीबी और बेरोज़गारी भी बहुत ज़्यादा है। GDP ग्रोथ का फायदा बड़े उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट सेक्टर को ज्यादा मिलता है, जबकि आम मज़दूरों और किसानों की आय स्थिर रहती है।

Wealth Distribution: पैसा कहाँ जा रहा है?

भारत में High GDP Growth और Real Income Growth में बहुत अंतर है। GDP ग्रोथ बढ़ रही है, लेकिन आम आदमी की इनकम क्यों नहीं? भारत की GDP ग्रोथ रेट 2023 में 6.5% थी, लेकिन मजदूरी में औसतन 3% ही बढ़ोतरी हुई। वेतनभोगी कर्मचारियों (salaried workers) को बढ़ती महंगाई के कारण कोई खास राहत नहीं मिलती। ग्रामीण इलाकों में मजदूरी दर (wage growth) बहुत धीमी है। Urban areas में 10% सबसे अमीर लोगों की आय, 10% सबसे गरीब लोगों की तुलना में 20 गुना ज़्यादा है।

क्या High-Income States भी गरीबी से जूझ रहे हैं?

मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है, लेकिन यहाँ करीब 42% लोग झुग्गियों में रहते हैं! बड़े उद्योगों और IT कंपनियों के बावजूद, ग्रामीण इलाकों में किसानों की आत्महत्या की दर बहुत ज्यादा है। Per Capita Income में टॉप राज्यों में होने के बावजूद, तमिलनाडु के कई ज़िलों में गरीबी दर 20% से ऊपर है। Industrial development ने अमीरों को और अमीर बनाया, लेकिन छोटे कारोबारियों और ग्रामीण श्रमिकों को ज्यादा फायदा नहीं मिला। दिल्ली भारत का सबसे धनी राज्य है, लेकिन यहाँ की 30% से ज्यादा आबादी झुग्गी बस्तियों में रहती है। Expensive lifestyle और high cost of living के कारण मिडिल क्लास और लोअर क्लास के लोगों के लिए स्ट्रगल और बढ़ गई है। इसलिए सिर्फ High Per Capita Income होने से राज्य के हर नागरिक की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होती।

Job Creation, Inflation और Unbalanced Growth

  • Job Creation की कमी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। High Per Capita Income का फायदा तब तक नहीं होता, जब तक लोगों को बेहतर नौकरियाँ नहीं मिलतीं। भारत में बेरोज़गारी दर 8% के करीब बनी हुई है। IT और Manufacturing सेक्टर का विकास हुआ है, लेकिन कम पढ़े-लिखे या अनस्किल्ड मज़दूरों के लिए नौकरियों की भारी कमी है।
  • महंगाई (Inflation) से Income Growth Neutralized हो जाती है। बढ़ती महंगाई आम लोगों की इनकम पर असर डालती है। खाने-पीने की चीज़ों के दाम 20-30% तक बढ़ चुके हैं, लेकिन लोगों की सैलरी उतनी नहीं बढ़ी।
  • ज्यादातर आर्थिक विकास शहरों में रहता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में अभी भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। बड़े शहरों में तो Per Capita Income बढ़ रही है, लेकिन गाँवों में लोग आज भी रोज़गार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

अगर आर्थिक विकास का फायदा सिर्फ अमीरों तक सीमित रहेगा, तो Per Capita Income बढ़ने से गरीबी कम नहीं होगी। Per Capita Income एक average figure है, जो असली आर्थिक असमानता (real economic inequality) को नहीं दिखाता। Job Creation और Real Income Growth पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि सिर्फ अमीर वर्ग ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी इसका फायदा उठा सकें। गरीबी कम करने के लिए बेहतर Wealth Distribution और सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ ज़रूरी हैं। Urban और Rural इलाकों में समान रूप से आर्थिक विकास होना चाहिए।

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