Rakshit Chaurasia Drink & Drive Case: गुजरात के वडोदरा में ड्रंक ड्राइविंग का एक और मामला सामने आया है। देर रात Amrapali Complex के पास एक तेज़ रफ्तार कार ने स्कूटी सवार महिला को टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। लड़के का नाम रक्षित चौरसिया (Rakshit Chaurasia) और उसके साथ एक और लड़का भी गाडी में था, जिसने 8 अन्य लोग घायल हो गए। सबसे हैरानी की बात यह है कि यह गुजरात में हुआ है, और गुजरात कई साल पहले से ही Dry State कहा जाता है! हालाँकि एक्सीडेंट के बाद लोकल लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने Rakshit Chaurasia की जमकर पिटाई कर दी। आरोपी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है – कब तक नशे में धुत लोग मासूमों की जान लेते रहेंगे? यह एक्सीडेंट CCTV फुटेज में कैप्चर हो गया था। घटना के बाद घायल लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।
Rakshit Chaurasia Drink & Drive Case: हर साल 1.5 लाख मौतें?
भारत में हर साल 1.5 लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं। ड्रंक ड्राइविंग, ओवरस्पीडिंग और लापरवाही इन घटनाओं की बड़ी वजह हैं। सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं, लेकिन उनकी इम्प्लीमेंटेशन की कमी है। आंध्र प्रदेश में 2015 में 490, 2016 में 128, और 2017 में 2,064 ऐसे एक्सीडेंट हुए थे। बिहार की बात करें तो 2015 में 1,457 और 2016 में 593 मामले दर्ज हुए। मध्य प्रदेश में 2015 में 2,665 और ओडिशा में 972 एक्सीडेंट के मामले दर्ज हुए।
पुणे Porsche केस (2024)
एक 17 साल के लड़के ने नशे की हालत में अपनी Porsche से दो IT प्रोफेशनल्स को टक्कर मार दी। पहले उसे जमानत मिल गई, लेकिन जनता के गुस्से और सोशल मीडिया दबाव के कारण उसे दोबारा अरेस्ट किया गया।
मुंबई Worli Sea Link हादसा (2023)
एक तेज़ रफ्तार BMW ने एक गाड़ी को टक्कर मार दी, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। ड्राइवर एक VIP था, जिसे तुरंत बेल मिल गई, जिससे जस्टिस सिस्टम पर सवाल खड़े हुए।
नोएडा एक्सप्रेसवे केस (2022)
एक शराबी ट्रक ड्राइवर ने तेज़ रफ्तार में कार को टक्कर मारी, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई।
बेंगलुरु Audi केस (2021)
नशे में धुत बिजनेसमैन के बेटे ने अपनी Audi से 4 लोगों को कुचल दिया। पैसे और प्रभाव के चलते उसे कुछ ही महीनों में बेल मिल गई।
Drunk Driving (Legal Aspects)
- Motor Vehicles Act, 1988 (Section 185): अगर किसी व्यक्ति के खून में 0.03% या उससे अधिक अल्कोहल पाया जाता है, तो उसे 6 महीने तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना हो सकता है।
- IPC Section 304A: अगर ड्रंक ड्राइविंग से किसी की मौत होती है, तो 2 साल तक की जेल हो सकती है।
- Hit and Run Case (2023 Amendment): अगर कोई एक्सीडेंट करने के बाद भागता है, तो उसे 10 साल की सजा और ₹7 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
- Juvenile Justice Act (2021 Amendment): अगर अंडरएज ड्राइवर हादसा करता है, तो माता-पिता और कार मालिक भी जिम्मेदार होंगे।
- Seizure of Vehicle & License Suspension: बार-बार ड्रंक ड्राइविंग करने पर लाइसेंस कैंसिल और गाड़ी जब्त हो सकती है।
यह मामला गुजरात का है और गुजरात को भारत का पहला “Dry State” (Gujarat India’s First “Dry State) कहा जाता है। इस राज्य में 1960 के दशक से ही शराब बेचना, इसकी प्रोडक्शन और consumption पर रोक है। Prime Minister Narendra Modi, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने इस कानून को कड़ाई से लागू रखा, ऐसा उनका मानना है, लेकिन इस घटना ने गुजरात में शराब की illegal availability की असलियत सबके सामने ला दी है! सवाल यह है कि गुजरात में शराब पूरी तरह बैन है, फिर भी यहाँ अवैध शराब का कारोबार कैसे फल-फूल रहा है? क्या पुलिस और प्रशासन इस काले धंधे को रोकने में नाकाम है? क्या यह हादसा इस बात का संकेत नहीं कि गुजरात में ड्राई स्टेट होने के बावजूद, शराब की अवैध सप्लाई एक बड़ा मुद्दा है?
गुजरात: कब और कैसे बना “ड्राई स्टेट”?
गुजरात में 1949 से ही शराबबंदी (Alcohol prohibition) लागू थी, लेकिन 1960 में गुजरात राज्य के निर्माण के साथ officially इस क़ानून को और भी सख्त कर दिया गया। असल में गुजरात महात्मा गांधी का गृह राज्य है और गांधीजी हमेशा शराबबंदी के फेवर में थे। जिस कारण 1960 में राज्य में पूरी तरह से शराबबंदी कर दी गयी। जब महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात एक स्वतंत्र राज्य बना, तब सरकार ने Prohibition Law को सख्ती से लागू किया। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री (2001-2014) थे, तब उन्होंने इस कानून को और सख्त कर दिया। मोदी हर बार अपने भाषणों में इसे गुजरात की संस्कृति और नैतिकता का हिस्सा बताते रहे हैं।
क्या ये सिर्फ कागज़ों पर ही लागू है?
आज भी गुजरात में शराब की तस्करी का नेटवर्क है। गुजरात में शराब की तस्करी राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से की जाती है। बॉर्डर इलाकों में शराब माफिया एक्टिव हैं, जो भारी मात्रा में शराब (large consignments) को चोरी-छिपे गुजरात में सप्लाई करते हैं। कई बार पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत भी इन नेटवर्क्स को फलने-फूलने में मदद करती है। अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा जैसे बड़े शहरों में “Home Delivery Liquor” का धंधा खुलेआम चलता है। यह बात आम जनता को पता है, लेकिन शायद प्रशासन को सरकार को इस बात की खबर नहीं है।
“Permit System” का Misuse
गुजरात में लीगल तरीके से भी शराब मिल जाती है। इसके लिए एक परमिट होता है। गुजरात में शराब खरीदने का एकमात्र कानूनी तरीका है “Permit System”, लेकिन यह फेसिलिटी सिर्फ आपको तब मिलती है, जब आपको कोई मेडिकल इशू हो या फिर आप एक विदेशी नागरिक (foreign citizen) हैं। लेकिन इस परमिट सिस्टम का मिसयूज कर बड़ी मात्रा में शराब ब्लैक मार्केट में बेची जाती है। 5 स्टार होटल और प्राइवेट क्लब्स में VIP लोगों के लिए शराब आसानी से उपलब्ध होती है। यानी ड्राई स्टेट का मतलब शराब का न मिलना नहीं, बल्कि उसे खरीदने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं! आसान भाषा में कहें तो ड्राई स्टेट का मतलब 100% शराबबंदी नहीं, बल्कि अंडरग्राउंड बिज़नेस बढ़ना है। अवैध शराब (Hooch) का खतरा भी बड़ा मुद्दा है, जिससे कई बार जहरीली शराब से मौतें हो चुकी हैं।
लेकिन Rakshit Chaurasia Drink & Drive Case जैसे मामलों में असली समस्या क्या है? कानून तो हैं, लेकिन क्या सही से लागू होते हैं? ऐसे मामलों में Zero Tolerance Policy होनी चाहिए, ड्रंक ड्राइविंग पर कड़ी सजा और लाइसेंस रद्द हो। Alcohol Testing Booths, रात में ड्राइवरों की टेस्टिंग बढ़ाई जाए। Stronger Implementation of Laws जरूरी है, कानूनों को लागू करने में कोई ढील नहीं होनी चाहिए। और सबसे बड़ी बात, VIP Privileges खत्म हों, कानून सबके लिए एक जैसा होना चाहिए, भले ही आरोपी अमीर हो या गरीब।
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