Poverty-Hunger In India: सरप्लस प्रोडक्शन के बावजूद भारत के लाखों लोग भूखे मरने को मजबूर

Poverty-Hunger In India: 2023 वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index 2023) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ देशों में हंगर स्कोर काफी कम हुआ है, लेकिन 2015 के बाद से ग्लोबल लेवल पर बहुत कम इम्प्रूवमेंट हुई है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार अभी भी 43 देशों में हंगर लेवल अलार्मिंग स्टेज पर है, यानी बहुत सीरियस कंडीशन है। और 18 देश तो ऐसे हैं, जहाँ moderate, serious, या alarming hunger लेवल 2015 के मुकाबले कई गुना ज्यादा बढ़ गया है। इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2030 तक 58 देश ऐसे होंगे, जो हंगर स्कोर के low level को अचीव नहीं कर पाएंगे। 

Poverty-Hunger In India

असल में पूरी दुनिया में हंगर इंडेक्स के न सुधरने का एक यह भी कारण है कि 2Poverty-Hunger In India015 से विश्व ने कई संकटों का सामना किया है। जैसे COVID-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्थिक ठहराव, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और दुनिया के कई देशों के सामने आने वाले कठिन संघर्ष इसमें शामिल थे।

भारत दुनियाभर के टॉप एग्रीकल्चर प्रोडूसर्स में से एक है, फिर भी देश में लाखों लोग आज भी भूख से मर रहे हैं। अगर कैलोरी के आधार पर देखा जाए, तो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फ़ूड प्रोडूसर भारत है, फिर भी हाल ही में प्रकाशित ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 125 देशों में से 111वें स्थान पर रहा है, जिसने भारत की आबादी में भूख के स्तर को “गंभीर” बताया है। आखिर इसका कारण क्या है कि सरप्लस प्रोडक्शन के बावजूद भारत के लोग भूखे मरने को क्यों मजबूर हैं? 

दरअसल इसका कारण यह है कि भारत में प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, जिसकी वजह से कटाई के बाद किसानों को लगभग 40% नुकसान हुआ है। यह हम नहीं, यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट का कहना है। आयरलैंड और जर्मनी के गैर-सरकारी संगठनों कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ की रिपोर्ट तो यह तक कहती है कि भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा (18.7%) बाल बर्बादी दर है।

Poverty-Hunger In India: malnutrition in India
Poverty-Hunger In India: malnutrition in India

2019-21 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) से पता चलता है कि भारत में छोटे बच्चों का एक बड़ा हिस्सा खाद्य असुरक्षा का सामना करता है, जो उनके विकास और भविष्य की भलाई के बारे में चिंताएँ पैदा करता है। पूरी दुनिया में जितने भी कुपोषित लोग हैं, उनमें से एक-चौथाई कुपोषित लोग भारत में रहते हैं। 2018-2020 में देश में कुपोषण की दर 14.6% थी, जो 2019-2021 में बढ़कर 16.3% हो गई है। यही नहीं भारत में 19 करोड़ से ज़्यादा भूखे लोग रहते हैं। भारत में साल 2014 में बच्चों की कमजोरी दर 15.1% थी, जो अब बढ़ कर 19.3% हो चुकी है। 

Poverty-Hunger In India: बच्चों के विकास के लिए सरकारी योजनाएं

मिशन पोषण 2.0: यह एक इंटीग्रेटेड नुट्रिशन सपोर्ट प्रोग्राम है, जो गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करता है। इसके तहत तीन योजनाएं आती हैं, जैसे पहली आंगनवाड़ी सेवा, दूसरी किशोरियों के लिये योजना और तीसरा पोषण अभियान। हालांकि इसके अलावा मार्च 2021 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ‘पोषण ट्रैकर’ आईसीटी ऐप्प भी शुरू किया था, जो बच्चों के विकास के लिए दी जा रही सरकार की सेवाओं को ट्रैक करता है।

Zero Hunger Program: भारत सरकार ने विश्व खाद्य दिवस यानी 16 अक्टूबर 2017 को जीरो हंगर प्रोग्राम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम को ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) ने ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) और M.S. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के साथ मिलकर BIRAC (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद) के साथ मिलकर शुरू किया। इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस पोषण, स्वास्थ्य और कृषि पर है। 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की कृषि उप-समिति की सिफारिशों के आधार पर 2007 में शुरू की गई थी, जो एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से चावल, गेहूं, दालों जैसी लक्षित फसलों के उत्पादन में सतत वृद्धि करना है।  इसके अलावा मोटे अनाज, पोषक अनाज और तिलहन की पैदावार बढ़ाने के साथ -साथ मिटटी की उर्वरता को बढ़ाकर ओवरऑल प्रोडक्शन को प्रमोट करना है। ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके। 

Eat Right India Movement

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा 2018 में शुरू किया गया यह मूवमेंट कुपोषण, मोटापे और आहार से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने का प्रयास करता है। यह खाद्य सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य लेबलिंग, स्वच्छता और खाद्य अपव्यय को कम करने के महत्व पर जोर देता है। यह मूवमेंट खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिए खाद्य उद्योग में तकनीकी और इनोवेशन को अपनाने को भी बढ़ावा देता है। कुल मिलाकर, ईट राइट इंडिया मूवमेंट का उद्देश्य स्वस्थ खाने की संस्कृति को बढ़ावा देकर और यह सुनिश्चित करके भारत में फ़ूड  इकोसिस्टम को बदलना है, ताकि सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सभी के लिए सुलभ हो।

इसके अलावा भी कई योजनाएं हैं, लेकिन आज भी देश में लाखों लोग भूखे रहने को मजबूर हैं। भले ही भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, लेकिन देश में कुपोषण और भूख की स्थिति गर्व करने लायक नहीं है। भारत की आबादी में महिलाओं और बच्चों की संख्या 67.7 प्रतिशत है, इसलिए zero hunger के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2 को प्राप्त करने के लिए, भारत को खाद्य असुरक्षा को खत्म करने और सभी के लिए पौष्टिक भोजन तक सस्ती पहुँच सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक पहल करनी चाहिए।

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