Breaking News: हाल ही में विख्यात अभिनेता परेश रावल (Paresh Rawal Latest News) एक चौंकाने वाले बयान के चलते फिर से चर्चा में आ गए। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने अपने घुटने की चोट से राहत पाने के लिए 15 दिनों तक अपना मूत्र पिया। उनका दावा था कि यह आयुर्वेद से प्रेरित पद्धति उनके लिए प्रभावी रही और इससे उन्हें recovery में मदद मिली। यह बयान सोशल मीडिया से लेकर मेडिकल एक्सपर्ट्स तक में गहन बहस का विषय बन गया है। लेकिन क्या यह दावा वैज्ञानिक रूप से सही है? क्या वास्तव में ऐसा करने से चोट ठीक हो सकती है? और परेश रावल की पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी में ऐसा क्या है जो उन्हें इतना unconventional बनाता है? आइए जानते हैं विस्तार से:
Paresh Rawal Latest News: एक्टिंग और फैमिली
परेश रावल का जन्म 30 मई 1955 को मुंबई में हुआ था। 2025 में वो 69 साल के हैं। उनकी पत्नी स्वरूप संपत एक पूर्व मिस इंडिया और जानी-मानी अभिनेत्री रही हैं। उनके बेटे आदित्य रावल भी फिल्मों में एक्टिंग और राइटिंग कर रहे हैं। परेश रावल का नाम paresh rawal comedy movies जैसे हेरा फेरी, ओह माय गॉड, अंदाज़ अपना अपना जैसे कई ब्लॉकबस्टर मूवीज (blockbuster movies) से जुड़ा है। वे संसद के सदस्य भी रह चुके हैं और उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। आज उनकी paresh rawal net worth लगभग ₹93 करोड़ मानी जाती है।
Is it safe to drink urine?
इस सवाल का जवाब जितना सीधा दिखता है, उतना है नहीं। कुछ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में ‘Urine Therapy’ को एक वैकल्पिक इलाज माना गया है, जिसमें लोग अपने मूत्र को पीते हैं या उसे स्किन पर लगाते हैं। उनका मानना होता है कि इससे बीमारियां ठीक हो सकती हैं और शरीर की अंदरूनी सफाई होती है। लेकिन जब हम इस पर वैज्ञानिक नजरिए से बात करते हैं, तो मेडिकल साइंस इस थ्योरी को गलत और खतरनाक मानता है।
मानव मूत्र (Human urine) में 95% पानी होता है, बाकी 5% में यूरिया, यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन, सोडियम, पोटेशियम, और शरीर से निकले टॉक्सिन्स होते हैं। ये सब वो चीजें होती हैं, जिन्हें हमारा शरीर खुद बहार निकालता है। मतलब, मूत्र शरीर का वेस्ट यानी कचरा होता है। डॉक्टरों के अनुसार, “मूत्र को दोबारा शरीर में ले जाना न केवल अनावश्यक है, बल्कि इससे इन्फेक्शन हो सकती है। यानी शरीर मूत्र के जरिए जो भी विषैले पदार्थ बाहर निकालता है, उन्हें दोबारा अंदर ले जाना बिल्कुल भी सही नहीं है।
Urine पीने से लिवर को खतरा
- Bacterial infections: मूत्र में बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं, जिन्हें ingest करने से gastrointestinal infection हो सकता है।
- Electrolyte imbalance: मूत्र में सोडियम और अन्य खनिज तत्व की अधिकता, शरीर में असंतुलन पैदा कर सकती है।
- Digestive issues: मतली, उल्टी, और लिवर संबंधी दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं।
WHO इस पर क्या कहता है?
WHO, Mayo Clinic और भारतीय चिकित्सा परिषद जैसी संस्थाओं ने इस थेरेपी को कभी समर्थन नहीं दिया। उनका स्पष्ट मानना है कि “is it safe to drink urine” का जवाब है — नहीं। यह न तो scientifically backed है और न medically advisable. यानि, शरीर की किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए ऐसे इलाज को अपनाना, जिससे नुकसान ज्यादा और फायदा कुछ नहीं — ये फैसला सोच-समझ कर ही लेना चाहिए। कुछ लोग urine therapy या auto-urine treatment को वैकल्पिक इलाज के रूप में मानते हैं। इस पद्धति में लोग अपने ही पेशाब को पीते हैं या बाहरी रूप से इस्तेमाल करते हैं। दावा यह किया जाता है कि यह शरीर को ठीक करने में मदद करता है। लेकिन मेडिकल साइंस इस दावे से बिलकुल सहमत नहीं है।
घुटने की सामान्य चोटें? Common Knee Injuries
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, घुटनों में wear and tear यानी धीरे-धीरे घिसावट और चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। खासकर जो लोग एक्टिंग, खेल या कोई भी एक्टिव पेशा अपनाते हैं, उनमें यह और आम है। परेश रावल की उम्र और एक्टिव लाइफ को देखते हुए, यह संभव है कि उन्हें osteoarthritis या ligament tear जैसी समस्या हुई हो।
ACL Tear (Anterior Cruciate Ligament Tear): ये लिगामेंट घुटने के आगे होता है और अधिकतर चोट अचानक मुड़ने या गिरने से लगती है। इससे चलने में परेशानी और घुटना ढीला महसूस होता है।
Meniscus Tear: ये cartilage का हिस्सा होता है, जो घुटने में cushioning का काम करता है। अचानक मोड़ने या घुटने पर ज्यादा प्रेशर से ये फट सकता है।
Cartilage Damage: cartilage घुटने की हड्डियों के बीच में होता है, जो घर्षण (friction) से बचाता है। ज्यादा दौड़ना, चढ़ाई या उम्र बढ़ने से यह धीरे-धीरे टूट सकता है।
Arthritis: यह उम्र बढ़ने से joints में होने वाली inflammation की बीमारी है, जो सूजन और दर्द पैदा करती है।
घुटने के दर्द का साइंटिफिक इलाज़
Physiotherapy: यह सबसे जरूरी और शुरुआती इलाज होता है। इसमें एक्सरसाइज से मांसपेशियों को मजबूत किया जाता है जिससे घुटने की मूवमेंट और स्टेबिलिटी बेहतर होती है। इससे surgery की जरूरत कई बार टाली जा सकती है।
Painkillers और Anti-inflammatory दवाएं: डॉक्टर की सलाह से आप डिक्लोफेनेक, आईबुप्रोफेन जैसी दवाइयां ले सकते हैं, जो सूजन और दर्द को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इन्हें लंबे समय तक नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे पेट और लिवर पर असर हो सकता है।
Cold Therapy (बर्फ से सिकाई): चोट लगने के तुरंत बाद बर्फ लगाने से सूजन और दर्द दोनों कम होते हैं। इसे दिन में 3-4 बार 15-20 मिनट के लिए किया जाता है।
Arthroscopic Surgery: यह एक minimally invasive surgery होती है, जिसमें छोटी सर्जरी के जरिये डैमेज cartilage या torn ligament को रिपेयर किया जाता है। यह surgery तब जरूरी मानी जाती है, जब फिजियोथेरेपी और दवाएं असर न करें।
Common misconceptions about Urine Therapy
कई लोग सोचते हैं कि घरेलू नुस्खों, तेल मालिश, या वैकल्पिक उपचारों से ये चोटें पूरी तरह ठीक हो सकती हैं। लेकिन मेडिकल साइंस के अनुसार, structural damage जैसे ligament tear या cartilage damage का इलाज केवल डॉक्टरी तरीके से ही संभव होता है। डॉ. का कहना है, “घुटनों की चोट को हल्के में लेना भविष्य में mobility यानी चलने-फिरने की आज़ादी को खत्म कर सकता है। इसका इलाज सही समय पर और सही माध्यम से करना बेहद ज़रूरी है।”
परेश रावल एक बेहद सम्मानित और टैलेंटेड कलाकार हैं, लेकिन उनका यह health experiment विज्ञान की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। शरीर की देखभाल के लिए कोई भी ऐसा तरीका अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना और वैज्ञानिक जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी होता है। अगर आप भी किसी health remedy के बारे में सोच रहे हैं, तो सोशल मीडिया की जगह किसी qualified डॉक्टर से बात करें।
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