Nishant Tripathi Suicide Case: IPC 306 & 498A; कानून जो आपको 2025 में जानने चाहिए

India Suicide 2025: अभी हाल ही में मुंबई के निशांत त्रिपाठी ने सुसाइड (Nishant Tripathi Suicide Case) कर ली और होटल के कमरे में मरे पाए गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अपनी पत्नी को इस फैसले के लिए जिम्मेदार ठहराया था। होटल के कमरे के बाहर “Do Not Disturb” का बोर्ड लगा हुआ था, जिससे किसी को शक नहीं हुआ। अभी कुछ समय पहले आईटी प्रोफेशनल अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी, इसलिए यह कोई पहला मामला नहीं है, भारत में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। NCRB (National Crime Records Bureau) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 1.64 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की। यानी हर 4 मिनट में 1 व्यक्ति सुसाइड कर रहा है। इनमें से 70% केस पुरुषों के होते हैं, और सबसे ज्यादा मामले रिश्तों में तनाव, आर्थिक दबाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े होते हैं।

Nishant Tripathi Suicide Case

निशांत त्रिपाठी करीब 40 साल के थे और मुंबई के रहने वाले हैं। निशांत प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते थे। उनकी एक बच्चा भी था। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अपने सुसाइड नोट में पत्नी पर मानसिक प्रताड़ना (mental harassment) का आरोप लगाया था। होटल के सीसीटीवी में निशांत अकेले होटल में आते-जाते दिखे थे। फिलहाल मुंबई पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और उनकी पत्नी से पूछताछ की जा रही है।

भारत में आत्महत्या– क्या कहता है IPC?

  • IPC धारा 306: अगर किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाया जाता है, तो उस पर IPC की धारा 306 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। इसमें दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। अगर पुलिस की जांच में निशांत की पत्नी पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप साबित होता है, तो यह केस IPC 306 के तहत दर्ज किया जा सकता है।
  • IPC धारा 498A: अगर किसी पुरुष को उसकी पत्नी मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती है, तो उस पर धारा 498A के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। यह धारा अक्सर दहेज प्रताड़ना से जुड़ी होती है, लेकिन कई बार इसे मानसिक प्रताड़ना के मामलों में भी इस्तेमाल किया जाता है। अगर निशांत त्रिपाठी की पत्नी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप साबित होता है, तो यह केस IPC 306 और 498A दोनों के तहत आ सकता है।
  • Mental Healthcare Act, 2017: भारत में Mental Healthcare Act, 2017 लागू है, जिसके तहत आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को मानसिक रोगी माना जाता है और उसे इलाज और सहायता दी जानी चाहिए। सुसाइड अटेम्प्ट अब अपराध नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता है। हर राज्य में मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन और काउंसलिंग सेंटर मौजूद हैं। इसका मतलब यह है कि मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों को अब जेल भेजने की बजाय उन्हें सही काउंसलिंग और मेडिकल हेल्प दी जाती है।

अगर कोई व्यक्ति उदास रहता है, डिप्रेशन में दिखता है, या सुसाइड के संकेत देता है, तो उससे बात करें। अगर किसी को गंभीर मानसिक तनाव है, तो थेरेपी या काउंसलिंग ज़रूरी है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलकर बात करने से ही आत्महत्याओं की संख्या को कम किया जा सकता है। जब भी कोई बड़ी समस्या हो, तो जल्दबाजी में कोई कठोर कदम न उठाएं। इस मामले में मुंबई पुलिस इस केस की गहराई से जांच कर रही है। पत्नी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया गया है, लेकिन अभी तक यह साबित नहीं हुआ है। अगर आरोप साबित हुए, तो यह केस IPC 306 और 498A के तहत आ सकता है।

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