Nagpur Riots Mastermind Arrested: Nagpur में 17 मार्च को हुई Communal Violence के मामले में पुलिस ने Mastermind फहीम शमीम खान को गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फहीम खान ने 500 से ज्यादा दंगाइयों को इकट्ठा कर हिंसा भड़काई थी। अब उसे 21 मार्च तक Police Custody में भेजा गया है। ये पूरा मामला औरंगजेब के पुतले को जलाने से जुड़ा है, जिसके बाद विवाद बढ़ता चला गया। पुलिस अब ये पता लगाने में जुटी है कि इस हिंसा के पीछे और कौन-कौन शामिल था और इसकी प्लानिंग कैसे हुई। Nagpur में हुई हिंसा ने सिर्फ Law & Order की स्थिति पर सवाल नहीं उठाए, बल्कि दो बड़े मुद्दों को उजागर किया है – 1) महिला पुलिसकर्मियों की सुरक्षा – जब खुद वर्दी पहनने वाली महिलाएँ भीड़ का शिकार बन रही हैं, तो आम महिलाओं की स्थिति क्या होगी? 2) इतिहास और राजनीति का टकराव – औरंगज़ेब जैसा 17वीं शताब्दी का शासक आज भी political controversy का मुद्दा क्यों बन रहा है? औरंगज़ेब की कब्र को हटाने को लेकर यह हिंसा हो रही है। लोगों ने पथरबाज़ी की। हालाँकि पुलिस ने कुछ जगह पर कर्फ्यू भी लगा दिया, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यह सिर्फ एक isolated incident है, या फिर एक बड़ी systemic problem की निशानी?
Nagpur Riots Mastermind Arrested: Faheem Shamim Khan
Nagpur दंगों में एक महिला कांस्टेबल के साथ छेड़छाड़ और उसके कपड़े फाड़ने की कोशिश ने दिखा दिया कि पुलिस की वर्दी भी महिलाओं को सुरक्षित नहीं रख सकती।क्या यह पहली बार हुआ? बिल्कुल नहीं! Data बताता है कि “2021 में, 35% महिला पुलिसकर्मियों ने ड्यूटी के दौरान sexual harassment का सामना किया था। CAA Protest (2020) में दिल्ली में महिला पुलिस अधिकारियों पर हमला हुआ था। JNU Violence (2022) और Manipur Riots (2023) में भी महिला अफसरों को भीड़ का सामना करना पड़ा।”
Female Officers के सामने 3 बड़े खतरे?
- Sexual Harassment & Gender Discrimination – महिलाएँ पुरुष पुलिसकर्मियों से 10 गुना ज्यादा vulnerability महसूस करती हैं।
- Riot & Protest Handling में Extra Risk – लाठीचार्ज और Tear Gas के बावजूद महिलाओं को भीड़ में soft target बना दिया जाता है।
- Lack of Training & Protection – Body Armour, Protective Gear और Backup Support में कमी रहती है।
Women Police Task Force बनानी चाहिए, जो Female Officers की सुरक्षा को priority दे। Fast-track legal action हों, जिससे आरोपियों को बिना देरी के सज़ा मिले। लेकिन सवाल सिर्फ महिला पुलिस अफसरों का ही नहीं है, इस दंगे में इतिहास को भी weapon बनाया गया!
औरंगज़ेब: 17वीं शताब्दी का शासक, 21वीं शताब्दी की राजनीति का मुद्दा क्यों?
Nagpur दंगे की वजह बनी औरंगज़ेब की तस्वीरें। लेकिन आखिर क्यों भारत में ऐतिहासिक शख्सियतों को लेकर इतना विवाद होता है? यह पहली बार नहीं हुआ है! 2015 में औरंगज़ेब रोड (दिल्ली) का नाम बदलकर APJ Abdul Kalam Road कर दिया गया। 2023 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया गया। UP सरकार ने Mughal Empire से जुड़ी कई जगहों और किताबों को हटाने का फैसला लिया।
India में ऐतिहासिक नामों पर विवाद होता रहा है! जिसके कई कारण हैं। एक Hindutva vs Secularism Debate है, कुछ लोग औरंगज़ेब को अत्याचारी मानते हैं, कुछ उसे एक कुशल प्रशासक मानते हैं। Political Narrative Building भी इसका कारण है, Historical Figures को पार्टियों द्वारा अपने एजेंडे के हिसाब से प्रस्तुत किया जाता है। Historical Legacy vs Modern Identity भी आजकल बड़ी वजह बन रही है, भारत आज किस तरह के राष्ट्रीय पहचान की ओर बढ़ रहा है? अलग-अलग राज्यों में औरंगज़ेब को लेकर क्या सोच है? महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी के कारण यहाँ औरंगज़ेब को एक क्रूर शासक के रूप में देखा जाता है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कई Mughal Era के संदर्भ हटाए और कुछ जगहों का नाम बदला। दिल्ली में यहाँ आज भी Mughal History के कई निशान मौजूद हैं, लेकिन समय-समय पर नाम बदलने की मांग उठती रहती है।
इतिहास हमें सीखने के लिए है, लड़ने के लिए नहीं। जब भी किसी ऐतिहासिक शख्सियत को लेकर राजनीति होती है, असली मुद्दे – जैसे बेरोज़गारी, महिला सुरक्षा, और कानून व्यवस्था – पीछे छूट जाते हैं। Nagpur Violence सिर्फ एक घटना नहीं, एक पैटर्न है! इतिहास को राजनीति से अलग रखना चाहिए और Real Issues पर ध्यान देना, न कि Symbolic Debates पर।
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