Breaking News: अगर आप Kedarnath Yatra 2025 की प्लानिंग कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है! महाशिवरात्रि 2025 के शुभ अवसर पर यानी 26 फरवरी को केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख का ऐलान हो चुका है। इस साल 2 मई 2025 को सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। हर साल, केदारनाथ धाम के कपाट अक्षय तृतीया के दिन बंद होते हैं और महाशिवरात्रि के दिन पुनः खोलने की तारीख तय होती है। इस साल कई नए बदलाव भी किए गए हैं, जिन्हे आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। केदारनाथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और ऐतिहासिक रूप से भी बेहद खास है। अब सवाल उठता है – केदारनाथ धाम का इतिहास क्या है? यात्रा के दौरान किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए? 2025 में इस यात्रा के क्या खास इंतजाम किए गए हैं? आइए, इन सभी सवालों का जवाब सरल भाषा में जानते हैं।
केदारनाथ धाम का इतिहास?
केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे महादेव शिव के सबसे पवित्र धामों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और शिव पुराण में मिलता है। कहा जाता है इसे पांडवों ने बनाया था।
इसके पीछे के एक पुरानी मान्यता है। कहा जाता है महाभारत के युद्ध के बाद, पांडवों ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की, लेकिन भगवान शिव ने खुद को एक बैल के रूप में बदल लिया। जब पांडवों ने उन्हें पहचान लिया, तो शिवजी ने अपने शरीर के पांच हिस्सों को अलग-अलग स्थानों पर प्रकट किया, जिन्हें पंच केदार के रूप में जाना जाता है। उसके बाद 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर को फिर से रेनोवेट किया गया था। उनका समाधि स्थल भी केदारनाथ मंदिर परिसर में स्थित है।
2013 का नेचुरल डिजास्टर
उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ ने केदारनाथ धाम को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। हजारों तीर्थयात्री इस डिसास्टर में फंस गए थे और मंदिर के चारों ओर की बस्तियां पूरी तरह से बह गई थीं। हालांकि, मंदिर कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था, जिसे लोग भगवान शिव का चमत्कार मानते हैं कि इतने बड़े डिसास्टर के बाद भी मंदिर को कुछ ख़ास नुक्सान नहीं हुआ। इसके बाद, सरकार और मंदिर प्रशासन ने फिर से मंदिर को बनवाया।
Kedarnath Yatra 2025: जरूरी जानकारी
कैसे पहुंचे केदारनाथ?
केदारनाथ पहुंचने के लिए आप फ्लाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) है, जो केदारनाथ से 250 किमी दूर है।इसके अलावा आप रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार के जरिए भी यहाँ पहुँच सकते हैं। वहीँ सोनप्रयाग तक बस या टैक्सी से पहुँचा जा सकता है, उसके बाद गौरीकुंड से ट्रैकिंग शुरू होती है। इसके बाद आपको गौरीकुंड से केदारनाथ धाम 16 किमी की ट्रैकिंग करनी होती है। ट्रैकिंग करने में 5-7 घंटे लग सकते हैं, इसलिए फिटनेस का ध्यान रखना जरूरी है। हालाँकि बुजुर्गों या बच्चों के लिए घोड़े, डंडी, पालकी और हेलीकॉप्टर सर्विस भी है।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी है!
अगर आप केदारनाथ की यात्रा करना चाहिए हैं, तो आपको रजिस्ट्रेशन करवानी होगी। आप उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, क्योंकि बिना रजिस्ट्रेशन यात्रा की परमिशन नहीं होगी।
केदारनाथ यात्रा 2025 में नए बदलाव?
इस बार सिक्योरिटी के लिहाज़ से कई बदलाव किए गए हैं। सिर्फ फाटा, सिरसी और गुप्तकाशी से केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सर्विस मिलेगी और हेलीकॉप्टर की बुकिंग ऑनलाइन पोर्टल से कर सकते हैं। इसके अलावा 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए हेल्थ सर्टिफिकेट जरूरी होगा, बिना इसके आप यात्रा नहीं कर पाएंगे। हालाँकि मेडिकल सर्विस और इमरजेंसी हेल्पलाइन भी शुरू की गई है। इसके अलावा सरकार ने प्लास्टिक बैग और डिस्पोजेबल सामान को बैन किया है, जिसके लिए सरकार ग्रीन ट्रैक और ईको-फ्रेंडली टॉयलेट्स भी बनवा रही है।
FAQ
क्या केदारनाथ यात्रा के लिए एडवांस बुकिंग जरूरी है?
हां, यात्रा से पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। और यदि आप हेलीकॉप्टर सर्विस भी चाहते हैं, तो आपको इसकी भी एडवांस बुकिंग करवानी होगी।
क्या पहली बार केदारनाथ जाने वालों के लिए कोई खास सुझाव हैं?
हां, अगर आप पहली बार केदारनाथ जा रहे हैं, तो ट्रेकिंग के लिए शारीरिक रूप से तैयार रहना बेहद जरूरी है। यात्रा से पहले कम से कम 10-15 दिन पैदल चलने की आदत डालें। क्योंकि वहां पहुंच कर आपको 15 km से ज्यादा की ट्रैकिंग करनी पड़ सकती है।
क्या सर्दियों में केदारनाथ यात्रा संभव है?
नहीं, सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान भगवान केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ में होती है।
क्या मोबाइल नेटवर्क केदारनाथ में उपलब्ध है?
हां, BSNL, Jio और Airtel के नेटवर्क उपलब्ध हैं, लेकिन मौसम और भीड़ के कारण सिग्नल कमजोर हो सकते हैं।
केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को खुलेंगे और दिवाली के बाद बंद कर दिए जाएंगे। केदारनाथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शांति और प्रकृति की सुंदरता का संगम है। हर साल लाखों भक्त महादेव के दर्शन के लिए यहां आते हैं, लेकिन इस यात्रा को सफल बनाने के लिए योजना और तैयारी बेहद जरूरी है।
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