Jhansi Hospital Fire: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए। इस त्रासदी ने परिजनों के दिलों को तोड़कर रख दिया है। कई माता-पिता और परिजन अब भी अपने बच्चों को खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
Jhansi Hospital Fire
झांसी जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार के अनुसार, आग रात करीब 10:45 बजे लगी। उस समय NICU में 52 से 54 बच्चे भर्ती थे। जो बच्चे NICU के बाहरी हिस्से में थे, उन्हें बचा लिया गया, लेकिन अंदर के हिस्से में मौजूद कई बच्चों को समय पर बाहर नहीं निकाला जा सका।
परिजनों का दर्द
महौबा जिले के परसाहा गांव की एक मां, जिसकी 10 दिन की नवजात बच्ची NICU में थी, ने कहा, “मैंने अपनी बच्ची को हर जगह खोजा, लेकिन वह नहीं मिली। मुझे नहीं पता कि मेरी बच्ची कहां है।” यह उनका पहला बच्चा था। राजगढ़ की एक दादी ने कहा कि जब आग लगी, तो नर्सें किसी को अंदर नहीं जाने दे रही थीं। “लोगों ने खिड़कियों से तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला। लेकिन मेरा बच्चा अब तक नहीं मिला।” एक अन्य परिजन ने बताया कि उन्हें अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया और काफी देर बाद जानकारी दी गई कि उनका बच्चा आग में झुलस गया। उन्होंने अस्पताल की पहचान प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए डीएनए टेस्ट की मांग की।
अस्पताल की प्रतिक्रिया
अस्पताल प्रशासन ने कहा कि मृत बच्चों की पहचान उनके ‘टैग्स’ के आधार पर की गई। लेकिन कई परिजन इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। एक महिला ने बताया कि उन्हें एक ऐसा बच्चा सौंपा गया जो उनका नहीं था। उन्होंने खुद इस बात की जानकारी प्रशासन को दी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह ने कहा कि कुछ परिजन आग के बाद अपने बच्चों को घर ले गए। उन्होंने कहा कि अस्पताल अब यह सुनिश्चित कर रहा है कि NICU में भर्ती सभी बच्चों की स्थिति का पता लगाया जाए।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
झांसी की इस दर्दनाक घटना (Jhansi Hospital Fire) ने अस्पतालों में सुरक्षा और प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है। इस त्रासदी ने न केवल परिवारों को गहरा आघात पहुंचाया है, बल्कि सरकार और प्रशासन के लिए भी एक कड़ी चुनौती पेश की है। क्या इस घटना से कोई सबक लिया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे?
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