North Korea में jeans पहनना मना है; सरकार तय करती है hairstyle?

Interesting Facts: North Korea, जिसे आधिकारिक रूप से Democratic People’s Republic of Korea (DPRK) कहा जाता है, दुनिया के सबसे बंद और तानाशाही शासन वाले देशों में से एक है। 1948 में स्थापित होने के बाद से यह देश किम वंश के अधीन रहा है। वर्तमान में, इसका नेतृत्व किम जोंग-उन कर रहे हैं। North Korea दुनिया से इतना अलग है कि यहां के लोग बाकी दुनिया की सामान्य चीजों से भी अनजान हैं। यहां सरकार हर पहलू पर नियंत्रण रखती है—लोग कहां रहेंगे, क्या काम करेंगे, और यहां तक कि उनके बालों का स्टाइल क्या होगा। इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह समझना है कि आम उत्तर कोरियाई लोग इस सख्त तानाशाही में अपनी रोजमर्रा की जिंदगी कैसे जीते हैं। और सरकार का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे किस तरह इस दबाव को झेलते हैं।

उत्तर कोरिया (North Korea) में किम परिवार को लगभग दिव्य दर्जा दिया गया है। यहां हर नागरिक को अपने नेता के प्रति निष्ठा दिखानी पड़ती है, और इस निष्ठा को सरकारी प्रचार के माध्यम से हर दिन मजबूत किया जाता है। जो कोई भी राजनीतिक विरोध करता है या असहमति जताता है, उसे कठोर सजा का सामना करना पड़ता है। इसमें labor camps में कैद से लेकर सार्वजनिक रूप से मौत की सजा तक दे दी जाती है।

Songbun system in North Korea?

उत्तर कोरियाई समाज को तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है, जिसे “सॉन्गबुन” (Songbun) सिस्टम कहते हैं:

  1. कोर क्लास (Core Class): ये लोग किम शासन के प्रति पूरी तरह वफादार माने जाते हैं और इन्हें विशेष सुविधाएं दी जाती हैं।
  2. वेवेरिंग क्लास (Wavering Class): ये वो लोग हैं जो सरकार के प्रति न तो वफादार हैं और न ही पूरी तरह विरोधी। इन्हें हमेशा निगरानी में रखा जाता है।
  3. होस्टाइल क्लास (Hostile Class): इन्हें सरकार का दुश्मन माना जाता है। इनमें वे लोग और उनके वंशज शामिल होते हैं, जिन्हें कभी सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल माना गया हो। इन्हें शिक्षा, रोजगार और यहां तक कि भोजन तक में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

इस वर्गीकरण के आधार पर ही तय होता है कि कोई व्यक्ति कहां रह सकता है, क्या खा सकता है, और उसे कौन सी सुविधाएं मिलेंगी। यह सिस्टम नागरिकों के बीच गहरी असमानता और भय का वातावरण बनाता है।

उत्तर कोरिया के हर नागरिक की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। इस काम के लिए इन्मिनबान (Inminban), जो कि पड़ोस की निगरानी समितियां हैं, जो हर घर और हर व्यक्ति की खबर रखती हैं। वहीँ Secret Police सुनिश्चित करती है कि कोई भी नागरिक शासन के खिलाफ कुछ भी न बोले। हर व्यक्ति की आवाजाही और बाहरी दुनिया से संपर्क को नियंत्रित किया जाता है। इस सर्विलांस सिस्टम का एक और भयावह पहलू यह है कि लोग अपने ही परिवार और दोस्तों पर भरोसा नहीं कर सकते। हर कोई एक-दूसरे पर नजर रखता है। यह डर का ऐसा माहौल बनाता है, जहां लोग खुलकर अपनी बात भी नहीं रख सकते। यह पूरा सिस्टम, “सॉन्गबुन” से लेकर सर्विलांस तक, सिर्फ इसीलिए बनाया गया है, ताकि किम परिवार का शासन मजबूत बना रहे। यहां का समाज इतना बंटा हुआ है कि लोग इस शासन के खिलाफ खड़े होने की सोच भी नहीं पाते।

North Korea daily life

  • आवास (Housing): उत्तर कोरिया में आवास सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता पूरी तरह से सॉन्गबुन सिस्टम पर निर्भर करती है। प्योंगयांग में रहने वाले एलीट वर्ग को बेहतर और आधुनिक घर मिलते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोग तंग और खराब हालत वाले घरों में रहते हैं। बिजली की स्थिति बेहद खराब है। प्योंगयांग के बाहर के क्षेत्रों में अक्सर ब्लैकआउट होते हैं, और लोग अंधेरे में रहने के लिए मजबूर हैं। 1990 के दशक के अकाल के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और बिगड़े हैं।
  • रोजगार (Employment): उत्तर कोरिया में नौकरी पाने का कोई विकल्प नहीं है; सरकार हर व्यक्ति का पेशा तय करती है। काम के घंटे लंबे होते हैं, जिनमें अनिवार्य राजनीतिक बैठकें और निष्ठा जताने वाले अभ्यास शामिल होते हैं। ग्रामीण इलाकों में किसान कठोर श्रम करते हैं। उन्हें अक्सर भोजन राशन के रूप में भुगतान किया जाता है, जो पर्याप्त नहीं होता। शहरों में भी, वेतन इतना कम है कि लोग अपनी जरूरतों के लिए ब्लैक मार्केट पर निर्भर रहते हैं।
  • Food and Rationing: भोजन सरकारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System) के माध्यम से वितरित किया जाता है, लेकिन इसकी कमी आम बात है। और यही वजह है कि कुपोषण (Malnutrition) उत्तर कोरिया में एक गंभीर समस्या है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme) का अनुमान है कि यहां की 40% आबादी कुपोषित है। अकाल के समय, लोगों ने मेंढ़क, चूहे और घास तक खाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
  • शिक्षा (Education): उत्तर कोरिया में शिक्षा निःशुल्क और अनिवार्य है, लेकिन यह पूरी तरह से सरकारी प्रचार (Propaganda) से भरी होती है। पाठ्यक्रम में किम परिवार के प्रति वफादारी को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। प्योंगयांग के एलीट स्कूलों में संसाधन और अवसर बेहतर हैं, लेकिन ग्रामीण स्कूलों में स्थिति खराब है। वहां अक्सर शिक्षकों को घूस देकर पढ़ाई में ध्यान देने को कहा जाता है। बच्चे स्कूलों में भले ही पढ़ाई करें, लेकिन असली शिक्षा अक्सर ब्लैक मार्केट से आने वाले बाहरी जानकारी से मिलती है।
  • स्वास्थ्य सेवा (Healthcare): उत्तर कोरिया में स्वास्थ्य सेवा कागजों पर निःशुल्क है, लेकिन असलियत में यह खराब और सुविधाओं की कमी से ग्रस्त है। शहरी अस्पतालों में केवल बुनियादी उपकरण हैं। ग्रामीण इलाकों में तो मेडिकल सप्लाई और प्रशिक्षित डॉक्टर भी नहीं हैं। लोग अक्सर गैरकानूनी बाजारों में दवाओं और चिकित्सा सेवाओं के लिए जाते हैं। एक सर्वाइवर ने कहा कि डॉक्टरों का वेतन इतना कम है कि वे दवा के बदले खाना मांगते हैं।

स्वतंत्रता और प्रतिबंध (Freedom and Restrictions)

North Korea में लोगों की स्वतंत्रता पर कड़ी पाबंदी है, और सरकार उनके जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करती है। यात्रा की बात करें तो, देश के भीतर शहरों के बीच जाने के लिए या विदेश यात्रा के लिए सरकारी अनुमति लेना अनिवार्य है। राजधानी प्योंगयांग केवल एलीट वर्ग के लिए आरक्षित है, जहां आम नागरिक बिना विशेष अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकते। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में आना भी काफी मुश्किल है, क्योंकि प्योंगयांग को एक आदर्श समाजवादी मॉडल के रूप में दिखाने की कोशिश की जाती है।

मीडिया और संचार पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में है। नागरिक केवल सरकार द्वारा अनुमोदित रेडियो, टीवी, और अखबार देख सकते हैं। विदेशी फिल्में या टीवी शो देखना अपराध माना जाता है, और पकड़े जाने पर कठोर श्रम या मौत की सजा दी जा सकती है। इंटरनेट तक पहुंच केवल कुछ विशेष लोगों के लिए है, जबकि आम नागरिकों को सरकार नियंत्रित इन्ट्रानेट का उपयोग करना पड़ता है। फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम समय-समय पर स्क्रीनशॉट लेते हैं, और यह सीधे सरकार को भेजा जाता है, जिससे नागरिकों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है।

भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। सरकार के खिलाफ बोलने वालों को राजनीतिक जेल कैंप में भेज दिया जाता है। हर नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित प्रचार अभियानों और प्रदर्शनों में भाग लेना अनिवार्य होता है। यहां तक कि परिवार के सदस्य भी एक-दूसरे पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि हर कोई सरकार का जासूस हो सकता है। धार्मिक स्वतंत्रता भी उत्तर कोरिया में पूरी तरह से अनुपस्थित है। यह देश आधिकारिक रूप से नास्तिक है और यहां किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध है। किम परिवार को एक देवता की तरह पूजा जाता है। 2009 में एक महिला को बाइबल बांटने के लिए सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी गई थी, और उनके परिवार को जेल कैंप में भेज दिया गया। ईसाईयों को विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है, क्योंकि उन्हें अमेरिकी प्रभाव का प्रतीक माना जाता है।

North Korea black markets?

उत्तर कोरिया में लोगों के लिए सरकार द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के बावजूद, एक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था यानी जंगमदांग मार्केट्स उनकी जीविका का अहम हिस्सा बन गई है। ये बाजार देशभर में फैले हुए हैं और यहां वे सामान बेचे जाते हैं जो सरकार द्वारा प्रतिबंधित हैं। भोजन, कपड़े, और यहां तक कि चीन से तस्करी कर लाई गई विदेशी फिल्मों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक, हर चीज इन बाजारों में मिलती है। ये न केवल जीविका का साधन हैं बल्कि उन लोगों के लिए जानकारी का स्रोत भी हैं जो बाहरी दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं।

इन बाजारों की शुरुआत 1990 के दशक के अकाल के दौरान हुई थी, जब सरकार राशन देने में असमर्थ हो गई थी। मजबूरी में लोगों ने काले बाजार के जरिए व्यापार शुरू किया। यहां तक कि सरकार, जो शुरू में इन पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही थी, अब इन पर नियंत्रण नहीं कर पा रही। भ्रष्टाचार भी उत्तर कोरिया की अंडरग्राउंड इकोनॉमी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अधिकारी अक्सर घूस लेकर तस्करी और गैर-अधिकृत व्यापार जैसे नियमों के उल्लंघन को नजरअंदाज कर देते हैं। यहां रिश्वत हर जगह काम आती है—चाहे शिक्षा हो, रोजगार हो, या किसी सजा से बचना। कई लोग अपने घर के पास छोटे-छोटे बगीचे लगाते हैं ताकि वे निजी स्तर पर सब्जियां उगा सकें। कुछ लोग सेवाओं का आदान-प्रदान करते हैं, जैसे कि सिलाई, मरम्मत, या घरेलू शिक्षा।

जंगमदांग मार्केट्स केवल आर्थिक गतिविधियों का केंद्र नहीं हैं, बल्कि यहां लोगों के बीच भरोसे का एक नया तंत्र भी विकसित हुआ है। सरकार के प्रचार से हटकर, लोग इन बाजारों में एक-दूसरे पर भरोसा करना सीखते हैं। इसने लोगों को सरकार द्वारा लगाए गए सामाजिक अविश्वास और जासूसी के माहौल से उबरने में मदद की है।

शहरों और गांवों में कितना फर्क?

उत्तर कोरिया में शहरी और ग्रामीण जीवन के बीच बहुत बड़ा अंतर है। राजधानी प्योंगयांग, जो उत्तर कोरिया का शोकेस शहर है, केवल वहां के विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग यानी कोर क्लास के लिए आरक्षित है। यह शहर बाकी देश से बिल्कुल अलग दिखता है, जहां बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, आयातित सामानों तक पहुंच, और सांस्कृतिक आयोजनों जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्योंगयांग में लोगों को सरकार के द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का अधिकतम लाभ मिलता है, जैसे कि नियमित बिजली, सार्वजनिक परिवहन और उच्च-गुणवत्ता के स्कूल।

लेकिन यह चमक-धमक केवल राजधानी तक सीमित है। ग्रामीण इलाकों की स्थिति बिल्कुल अलग है। यहां की अधिकांश आबादी गरीबी और खाद्य असुरक्षा से जूझ रही है। सामूहिक खेतों में काम करने वाले किसान बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करते हैं। उन्हें लंबे समय तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इसके बदले में उन्हें पर्याप्त भोजन या वेतन नहीं मिलता। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति बेहद अनियमित है, और कई बार लोग बिना बिजली के जीवन बिताने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में भी शहरी और ग्रामीण जीवन में बड़ा अंतर है। प्योंगयांग के अस्पतालों में जहां बुनियादी उपकरण और चिकित्सा सेवाएं मौजूद हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर अस्पतालों में दवाओं और प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी होती है। शिक्षा के मामले में, राजधानी के स्कूल संसाधनों से संपन्न हैं, जबकि ग्रामीण स्कूलों में पढ़ाई के लिए बुनियादी ढांचा तक नहीं होता। कई बार शिक्षकों का ध्यान भी रिश्वत देने वाले परिवारों के बच्चों पर अधिक होता है।

शहरी और ग्रामीण जीवन के बीच की यह खाई केवल संसाधनों की असमानता तक सीमित नहीं है। प्योंगयांग के निवासी खुद को ग्रामीण निवासियों से श्रेष्ठ मानते हैं। यह विभाजन सोंगबुन सिस्टम का परिणाम है, जहां आपका जन्म स्थान और सामाजिक पृष्ठभूमि आपके जीवन की गुणवत्ता को तय करती है।

प्रचार और ब्रेनवाश

उत्तर कोरिया के लोग बचपन से ही सरकार और किम परिवार की महिमा को स्वीकार करने के लिए तैयार किए जाते हैं। स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में किम जोंग उन और उनके पूर्वजों को देवताओं की तरह दिखाया जाता है। यह लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास करता है कि उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे अच्छा देश है और बाकी सभी देश, विशेषकर अमेरिका और दक्षिण कोरिया, उनके दुश्मन हैं। यह निरंतर प्रचार नागरिकों के दिमाग पर गहरा असर डालता है और उन्हें बाहरी दुनिया के वास्तविकता से अनजान रखता है।

अंतरराष्ट्रीय संबंध (International Relations)

North Korea पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो न केवल उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं बल्कि उसके नागरिकों के जीवन को भी कठिन बनाते हैं। इन प्रतिबंधों का मुख्य उद्देश्य उत्तर कोरिया को उसके न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम से रोकना है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव आम नागरिकों पर पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था को लगभग ठप कर दिया है। जैसे कोयला, कपड़ा, और तेल आयात जैसे उद्योगों को निशाना बनाया गया है। ये प्रतिबंध देश के संसाधनों को और सीमित करते हैं, जिससे ऊर्जा संकट और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। प्रतिबंधों के कारण विदेश से खाद्य और चिकित्सा आपूर्ति में कमी हो गई है। इसने पहले से ही भूख और कुपोषण का सामना कर रहे नागरिकों की स्थिति और खराब कर दी है। North Korea विदेशी निवेश और आधुनिक तकनीकों से कट गया है, जिससे देश में बुनियादी ढांचे और सेवाओं का विकास ठप हो गया है। 

कोई भागना चाहे तो क्या होगा?

North Korea से भागना किसी बुरे सपने से कम नहीं है। कठोर तानाशाही के इस देश में देश छोड़ने की कोशिश करने वालों को अक्सर मौत या उम्रकैद का सामना करना पड़ता है! उत्तर कोरिया की सीमाओं पर तैनात गार्डों को बिना किसी चेतावनी के भागने वालों को गोली मारने (shoot-on-sight) का आदेश है। अगर कोई व्यक्ति भागने की कोशिश करता है, तो उसकी पूरी पीढ़ी को दंडित किया जाता है। कई बार, परिवार के सदस्यों को जेल, श्रम शिविरों या सार्वजनिक फांसी का सामना करना पड़ता है। कहा जाता है कि Shin Dong Hyuk कैम्प 14 से भागने वाले एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने North Korea के लेबर कैम्प्स की क्रूर सच्चाई को दुनिया के सामने रखा। भागने वालों ने न केवल अपने जीवन को बचाया, बल्कि उनकी गवाही ने उत्तर कोरिया की कठोर सच्चाई को उजागर किया।

निष्कर्ष

North Korea में जीवन भय, प्रतिबंधों और संघर्षों से भरा हुआ है। तानाशाही की कठोरता में बंधे इन लोगों के पास सीमित स्वतंत्रता और असंख्य कठिनाइयां हैं, जो यह दिखाती हैं कि मानव अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करना कितना आवश्यक है।

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