क्या Fasting आपके Testosterone और सेहत के लिए खतरा है?

Health and Fitness: आजकल Fasting एक हेल्थ ट्रेंड बन गया है। इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) और टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (Time-Restricted Eating) जैसे तरीके आजकल लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। इनके जरिए लोग वजन कम करने, मेटाबॉलिज्म सुधारने और हेल्थ को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। Testosterone सिर्फ पुरुषों का हार्मोन नहीं है; यह हर किसी की ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी है। यह हार्मोन मसल मास (muscle mass), मूड (mood), एनर्जी (energy), और रिप्रोडक्टिव हेल्थ (reproductive health) को मेंटेन करने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर में इसका सही स्तर न केवल आपकी फिजिकल हेल्थ बल्कि मेंटल वेल-बीइंग के लिए भी जरूरी है। तो क्या Fasting Testosterone लेवल पर असर डालता है? क्या यह हार्मोन को बढ़ाने में मददगार है, या इसका उल्टा प्रभाव पड़ता है?

Fasting and Hormone Changes

फास्टिंग के दौरान हमारा शरीर एक खास तरह के “एडाप्टिव मोड” (adaptive mode) में चला जाता है। इस स्थिति में शरीर अपने ऊर्जा स्रोतों को बेहतर ढंग से इस्तेमाल करता है और गैर-जरूरी प्रक्रियाओं को धीमा कर देता है। फास्टिंग के कारण हॉर्मोन लेवल में बदलाव होता है, खासकर इंसुलिन, ग्रोथ हार्मोन (Growth Hormone), और टेस्टोस्टेरोन जैसे हॉर्मोन्स में।

  • इंसुलिन का कम होना: फास्टिंग के दौरान इंसुलिन लेवल कम हो जाता है, जिससे फैट बर्निंग (fat burning) प्रोसेस तेज हो जाती है।
  • ग्रोथ हार्मोन का बढ़ना: शोध बताते हैं कि फास्टिंग ग्रोथ हार्मोन को 300-500% तक बढ़ सकता है। यह मसल रिपेयर (muscle repair) और टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को भी सपोर्ट करता है।
  • एनर्जी प्रबंधन: फास्टिंग के दौरान शरीर ऊर्जा के लिए फैट पर निर्भर होता है, जिससे हार्मोन बैलेंस बेहतर होता है।

Testosterone का शरीर में महत्व

टेस्टोस्टेरोन एक प्रमुख हार्मोन है जो न केवल पुरुषों में, बल्कि महिलाओं में भी कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। यह मसल ग्रोथ (muscle growth) और स्ट्रेंथ बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। टेस्टोस्टेरोन का सही लेवल बेहतर मूड और हाई एनर्जी के लिए जरूरी है। यह सेक्स ड्राइव (sex drive) और फर्टिलिटी (fertility) को भी नियंत्रित करता है। यह बोन हेल्थ (bone health) को सुधारता है और उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के नुकसान को रोकता है।

फास्टिंग और हार्मोन प्रोडक्शन पर कई रिसर्च हो चुकी हैं। शोध से पता चला है कि टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग टेस्टोस्टेरोन के स्तर को स्थिर बनाए रखने या बढ़ाने में मददगार हो सकता है। लेकिन पोषक तत्वों, खासकर प्रोटीन और जिंक (Zinc), की कमी टेस्टोस्टेरोन लेवल को प्रभावित कर सकती है। वहीँ लंबे समय तक कैलोरी की कमी (Calorie Deficit) से टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो सकता है, लेकिन शॉर्ट-टर्म फास्टिंग इसके उलट प्रभाव डाल सकता है।

Testosterone के स्तर में बदलाव

कई अध्ययन बताते हैं कि शॉर्ट-टर्म फास्टिंग (16-24 घंटे) से Testosterone स्तर में मामूली वृद्धि देखने को मिली। यह मुख्य रूप से हॉरमोनल अडैप्टेशन (hormonal adaptation) के कारण हुआ, जिसमें शरीर ने खुद को फास्टिंग के अनुकूल किया। इस दौरान टेस्टोस्टेरोन स्तर में स्थिरता आई, और शरीर ने मांसपेशियों को बचाने के लिए बेहतर तरीके से प्रतिक्रिया दी। लेकिन जब फास्टिंग की अवधि (24 घंटे से अधिक) बढ़ी, तो टेस्टोस्टेरोन स्तर में कुछ गिरावट देखी गई, लेकिन इसके बाद एक रिवर्स भी हुआ, और अधिकतर प्रतिभागियों के टेस्टोस्टेरोन स्तर में वृद्धि हुई। यह वृद्धि तब हुई जब शरीर ने केटोसिस (ketosis) की स्थिति में प्रवेश किया और वसा को प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया।

इस दौरान कोर्टिसोल (Cortisol) और इंसुलिन (Insulin) के स्तर में भी बदलाव देखे गए हैं। जैसे फास्टिंग के पहले कुछ दिनों में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा, जो तनाव हार्मोन के रूप में कार्य करता है। कोर्टिसोल की अधिकता लंबे समय तक फास्टिंग के दौरान मांसपेशियों के टूटने की प्रक्रिया को तेज कर सकती है, लेकिन साथ ही यह शरीर को ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है। वहीँ जैसे ही फास्टिंग शुरू होता है, इंसुलिन का स्तर गिरता है, जो शरीर को फैट बर्निंग और अधिक एनर्जी प्रोडक्शन में मदद करता है। इंसुलिन का कम स्तर टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा फास्टिंग के दौरान, एलएच (Luteinizing Hormone) का स्तर बढ़ने से टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बढ़ावा मिलता है, जिससे टेस्टोस्टेरोन के स्तर में भी वृद्धि होती है।

2020 के एक अध्ययन के अनुसार, 16:8 फास्टिंग पैटर्न से टेस्टोस्टेरोन स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, खासकर जब इसे नियमित व्यायाम के साथ जोड़ा गया। हालांकि, अत्यधिक फास्टिंग के कारण कुछ अध्ययनों ने कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर और मांसपेशियों में कमी की रिपोर्ट की है, जो टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को कम कर सकते हैं।

अन्य कारकों की भूमिका

  • व्यायाम (Exercise): अध्ययन में पाया गया कि फास्टिंग के दौरान नियमित रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Resistance Training) टेस्टोस्टेरोन स्तर को बनाए रखने और बढ़ाने में सहायक हो सकती है।
  • नींद (Sleep): पर्याप्त और गहरी नींद फास्टिंग के दौरान हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • तनाव (Stress): तनाव के कारण कोर्टिसोल बढ़ सकता है, जो टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बाधित करता है। फास्टिंग के दौरान तनाव को कम करना महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन पर फास्टिंग का प्रभाव अधिक स्पष्ट और सकारात्मक हो सकता है। जबकि महिलाओं में, हार्मोनल प्रभाव अधिक जटिल हो सकता है, क्योंकि फास्टिंग कभी-कभी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन स्तर को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष 

सही तरीके से Fasting अपनाने से Testosterone स्तर में वृद्धि हो सकती है। फास्टिंग, खासकर इंटरमिटेंट फास्टिंग, इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है, बॉडी फैट घटाता है और ग्रोथ हार्मोन को बढ़ाकर टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। हालांकि, अत्यधिक या लंबे समय तक Fasting करने से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है, जो Testosterone को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, 16:8 फास्टिंग पैटर्न या सीमित समय की Fasting Testosterone को बढ़ाने में प्रभावी साबित हो सकती है।

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