Farmer Hunger Strike: भारत में किसानों की समस्याओं को उजागर करने के लिए 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 40 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। उनकी बिगड़ती सेहत के बावजूद, उन्होंने और उनके समर्थकों ने मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया है। यह प्रदर्शन किसानों की लंबित मांगों को पूरा करवाने के लिए हो रहा है।
प्रमुख मांगें क्या हैं?
डल्लेवाल और उनके समर्थक कई मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी: फसलों की कीमत तय करने का कानूनी अधिकार।
- कर्ज माफी: किसानों के बढ़ते कर्ज और आत्महत्याओं को रोकने के लिए।
- पेंशन योजना: किसानों और कृषि मजदूरों के लिए नियमित पेंशन।
- परिवारों के लिए मुआवजा: पिछले आंदोलनों में मारे गए किसानों के परिवारों के लिए।
- बिजली बिल में वृद्धि रोकना: बिजली की दरों में बढ़ोतरी पर रोक।
पिछले आंदोलनों से क्या अलग है?
2020 के किसान आंदोलन की तुलना में, इस बार केंद्र सरकार का रुख काफी अलग दिख रहा है।
- बातचीत में कमी: पिछली बार कई केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों के साथ बैठकें की थीं, लेकिन इस बार सरकार ने इन प्रदर्शनों से दूरी बनाई है।
- सुप्रीम कोर्ट का दखल: पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया, लेकिन प्रदर्शनकारी अभी भी अपने स्थान पर जमे हुए हैं।
- फोकस में बदलाव: सरकार सुप्रीम कोर्ट की समितियों के सुझावों के आधार पर काम करने का इरादा जताती दिख रही है।
भारत में कृषि संकट की तस्वीर
कृषि क्षेत्र, जो लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत है, आज गंभीर संकट से जूझ रहा है।
- आत्महत्या के आंकड़े: 1995 से अब तक 4 लाख से अधिक किसान और कृषि मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं।
- कर्ज का बोझ: कम आय और बढ़ते कर्ज किसानों की सबसे बड़ी समस्या है।
- सरकार का रुख: सुप्रीम कोर्ट की समिति ने नवंबर 2024 में एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें किसानों की समस्याओं और उनके समाधान का खाका दिया गया।
कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल?
डल्लेवाल पंजाब के किसान नेता हैं, जो कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों के अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं।
- 2018 का ट्रैक्टर मार्च: डल्लेवाल ने दिल्ली तक ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व किया था, जिसमें किसानों के लिए बेहतर समर्थन मूल्य और कर्ज माफी की मांग की गई थी।
- कृषि सुधार आंदोलन: वह 2020 के आंदोलन का हिस्सा रहे हैं, जिसने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्तमान संघर्ष: भूख हड़ताल के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि वे किसानों की समस्याओं को खत्म करने के लिए अपनी जान भी कुर्बान करने को तैयार हैं।
सरकार और किसानों के बीच बातचीत को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने समाधान के तौर पर डायरेक्ट इनकम सपोर्ट और मुआवजे जैसी योजनाओं की सिफारिश की है। लेकिन किसानों का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
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