SpaceX: अगले हफ्ते भारत का GSAT-20 सैटेलाइट SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और एलन मस्क की SpaceX के बीच पहली व्यावसायिक साझेदारी है। इस सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में ब्रॉडबैंड सेवाओं और फ्लाइट कनेक्टिविटी (IFC) को बेहतर बनाना है, खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित या अनुपलब्ध है।
GSAT-20 कैसे करेगा काम?
GSAT-20, जिसे GSAT-N2 भी कहा जा रहा है, अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है।
- बहु-बीम संरचना (Multi-Beam Architecture): इसमें 32 यूजर बीम हैं, जिनमें से 8 बीम उत्तर-पूर्व भारत के लिए समर्पित हैं और 24 बीम देश के अन्य हिस्सों को कवर करेंगी।
- स्पॉट बीम और फ्रीक्वेंसी रीयूज़: यह सैटेलाइट छोटे यूजर टर्मिनल्स के जरिए बड़ी संख्या में सब्सक्राइबर्स को सेवा प्रदान करेगा। इसकी फ्रीक्वेंसी रीयूज़ तकनीक सिस्टम की क्षमता को काफी बढ़ाएगी।
- Ka x Ka ट्रांसपोंडर्स: यह हाई-स्पीड इंटरनेट और एयरलाइन कनेक्टिविटी को सक्षम बनाएगा।
SpaceX और ISRO की साझेदारी क्यों?
GSAT-20 का वजन 4,700 किलोग्राम है, जो भारतीय रॉकेट्स की क्षमता से अधिक है। इसे स्पेसएक्स के Falcon 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा, जिसका अनुमानित खर्च $60-70 मिलियन है। ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने अगस्त में इस साझेदारी की पुष्टि की थी। उन्होंने बताया था कि GSAT-20 को अमेरिका भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह सैटेलाइट 14 वर्षों तक काम करेगा और भारत के दूरस्थ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं प्रदान करेगा।
GSAT-20 के फायदे
- दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट: यह सैटेलाइट उन इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाएगा, जहां अब तक इंटरनेट की सुविधा नहीं है।
- इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी: एयरलाइन यात्रियों को उड़ान के दौरान हाई-स्पीड इंटरनेट मिलेगा।
- ब्रॉडबैंड सेवाओं का विस्तार: भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को तेज़ और अधिक सुलभ बनाया जाएगा।
भविष्य की योजनाएं - ISRO ने इस सैटेलाइट के साथ-साथ भविष्य के मिशनों जैसे चंद्रयान 4 और 5 के लिए भी योजनाएं तैयार कर ली हैं। इसके अलावा,
- ISRO और SpaceX के बीच भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजने का समझौता भी हो चुका है।
GSAT-20 का लॉन्च भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह सैटेलाइट न केवल इंटरनेट सेवाओं को मजबूत करेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को भी आगे बढ़ाएगा। क्या यह SpaceX और ISRO के बीच और भी सहयोग के द्वार खोलेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
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