दिमाग कैसे हमारी दुनिया बनाता है? Brain Time Delay, Brain Prediction & Consciousness Explained in Hindi

Brain Prediction: हमें लगता है कि जो भी हम देख रहे हैं, सुन रहे हैं या महसूस कर रहे हैं – वो सीधा हमारी आँखों और इंद्रियों (senses) से आ रहा है। लेकिन सच्चाई इससे बहुत अलग है। हमारा मस्तिष्क हर पल एक अनुमानित दुनिया बनाता है जिसे हम ‘वास्तविकता’ मान लेते हैं। ये version आपके दिमाग द्वारा edited, फिल्टर किया गया और आपके लिए कस्टमाइज़्ड होता है।

Brain Prediction की हकीकत

हमारी आंखों के दृष्टि क्षेत्र (field of view) का केवल एक छोटा हिस्सा – जोकि लगभग अंगूठे जितना है – high resolution में होता है। बाकी सब धुंधला होता है। आपकी आंखें हर सेकंड में 3-4 बार तेज़ मूवमेंट करती हैं जिसे हम “saccades” कहते हैं। इन मूवमेंट्स के दौरान आपको temporarily दिखाई नहीं देता है, लेकिन brain इन gaps को भरकर एक seamless scene बना देता है। यही कारण है कि हमें लगता है कि कभी कुछ miss नहीं हुआ, लेकिन भले ही कुछ ही सेकण्ड्स, लेकिन हमारी आँखें वो मिस कर देती हैं।

Temporal Illusion Explained

जब आप किसी object जैसे cup में चम्मच से दूध मिक्स करते हैं, तो light आपकी आंखों तक nanoseconds में पहुंचती है, sound आपके कानों तक milliseconds में और touch आपकी उंगलियों से brain तक 50ms में जाता है। ये सभी आपके ब्रेन तक अलग-अलग समय पर पहुंचते हैं, लेकिन brain हमें ऐसा दिखाता है, जैसे यह सब एक ही टाइम पर हुआ हो। असलियत में, हम हर पल लगभग 0.3 से 0.5 सेकंड पीछे होते हैं। यानी हम जो महसूस कर रहे हैं, वह वर्तमान नहीं बल्कि थोड़ा सा past है।

Predictive Perception | स्पीड से तेज़ मस्तिष्क

जब कोई professional table tennis खिलाड़ी गेम खेलता है, तो गेंद की speed इतनी तेज़ होती है कि मस्तिष्क को भविष्य की भविष्यवाणी करनी पड़ती है। एक बॉल 25m/s की स्पीड से आती है – और brain अगर केवल received input के आधार पर रिएक्ट करे तो response समय पर नहीं हो पाएगा। इसलिए brain object की गति, दिशा और pattern को देखकर उसके next position की prediction करता है और उसी को हम ‘देखते’ हैं।

Movement Prediction

जब आप चल रहे होते हैं, तो आप महसूस करते हैं कि आप consciously अपने कदम उठा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि आपके मस्तिष्क ने पहले से ही अगले दो कदम calculate कर लिए होते हैं। मसल्स को instruction पहले ही मिल चुका होता है। यहां तक कि अगर आप अचानक फिसल जाएं (like slipping on a banana peel), तो आपका spinal cord सबसे पहले react करता है, ना कि आपकी चेतना। यहाँ भी Autonomic Emergency System करता है। मान लो जब आप गिरने लगते हैं, तो आपके inner ear के balance sensors (vestibular system) तुरंत signal भेजते हैं। spinal cord within 200ms muscle instructions भेजता है – arms फैलते हैं, core muscles tighten हो जाते हैं और दूसरा पैर तुरंत संतुलन बनाने की कोशिश करता है। जब तक आपका brain इस घटना को ‘महसूस’ करता है, आपका शरीर action में आ चुका होता है।

Emotional Prediction Theory

Emotions केवल response नहीं होते, बल्कि predictions होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका दिमाग यह सोचता है कि आप किसी पार्टी में anxious महसूस करेंगे, तो वह पहले से ही heart rate, hormone levels और muscle tone को उसी हिसाब से adjust कर देता है। नतीजतन आप सच में anxious feel करने लगते हैं, भले ही party अभी शुरू भी नहीं हुई हो। यह एक तरह की self-fulfilling prophecy होती है।

Brain Prediction vs Reality

अब सवाल उठता है – अगर सब कुछ brain पहले से तय कर रहा है, तो आप क्या कर रहे हैं? दरअसल, आपकी consciousness एक storyteller है। यह long-term goals सेट करती है, values बनाती है और आपके experiences को meaning देती है। आप pilot नहीं, पर navigator ज़रूर हैं। आप brain के लिए direction तय करते हैं। Prediction का system सिर्फ survival के लिए नहीं है, यह efficiency के लिए भी है। हर नई चीज़ को zero से process करना बहुत slow होता, इसलिए brain short-cuts लेता है। ये short-cuts past experiences और expected outcomes पर based होते हैं। हालांकि, prediction system हमेशा accurate नहीं होता – यही वजह है कि कभी-कभी हम गलत सुनते हैं, गलत समझते हैं या झूठी यादें बना लेते हैं।

आपका brain एक virtual reality engine की तरह है। यह हर पल आपके लिए दुनिया को फिर से create कर रहा है – और वो भी इतने smoothly कि आपको कभी पता नहीं चलता। लेकिन अच्छी खबर यह है कि आपकी consciousness इस सिस्टम को reprogram करने की ताकत रखती है। नई आदतें, नया सोचने का तरीका और सही experiences आपके prediction मॉडल को बदल सकते हैं।

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