Cells कैसे हमारी बॉडी को Virus से बचाते हैं?

Health and Fitness News: क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी बॉडी कैसे हर रोज़ कई खतरनाक Virus से लड़ती है? हमारी बॉडी का डिफेंस सिस्टम, जिसे हम इम्यून सिस्टम (Immune System) कहते हैं, असल में हमारी कोशिकाओं (Cells) और वायरस (Viruses) के बीच एक “मुकाबला” है। वायरस का काम हमारी हेल्दी सेल्स (Healthy Cells) को इन्फेक्ट करके अपनी कॉपीज बनाना है। लेकिन हमारी सेल्स भी चुप नहीं बैठतीं। उनके पास वायरस से लड़ने के लिए कई तरीके होते हैं, जैसे एंटीबॉडी (Antibodies) बनाना और वायरस को नष्ट करना। इस लेख में, हम समझेंगे कि हमारी सेल्स कैसे वायरस से हमें बचाने में मदद करती हैं। साथ ही जानेंगे कि यह लड़ाई क्यों इतनी अहम है और इसके पीछे का विज्ञान।

Virus क्या है; कैसे संक्रमित करते हैं?

Virus एक ऐसा माइक्रो-एजेंट है, जो ज़िंदा और निर्जीव के बीच की सीमा पर खड़ा होता है। ये non-living entities हैं, जो genetic material (DNA या RNA) से बने होते हैं और इन्हें एक प्रोटीन कोट (capsid) से घेरा जाता है। कुछ वायरस के पास एक अतिरिक्त लिपिड एन्कैप्सुलेशन (lipid envelope) भी होता है। वायरस के पास खुद की cellular machinery नहीं होती, इसलिए इसे रिप्लिकेट (replicate) करने के लिए किसी होस्ट सेल (host cell) में घुसने की जरूरत पड़ती है। यह उन्हें सेल के अंदर घुसकर अपनी संख्या बढ़ाने के लिए निर्भर बनाता है। वायरस की प्रक्रिया किसी इनवेज़न की तरह होती है, जिसमें ये होस्ट सेल को पूरी तरह हाईजैक कर लेते हैं। इस प्रक्रिया के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:

  1. Attachment:
    वायरस सबसे पहले होस्ट सेल की सतह पर मौजूद खास रिसेप्टर्स (receptors) को पहचानता है और उनसे जुड़ता है।
  2. Entry:
    इसके बाद वायरस अपनी genetic material (DNA या RNA) को सेल के अंदर इंजेक्ट करता है या पूरे का पूरा सेल के अंदर प्रवेश कर जाता है।
  3. Replication:
    वायरल genes होस्ट सेल की मशीनरी को हाईजैक करके अपने नए पार्टिकल्स बनाना शुरू कर देते हैं।
  4. Assembly:
    नई viral particles को सेल के अंदर ही असेंबल किया जाता है।
  5. Release:
    जब नए वायरस तैयार हो जाते हैं, तो वे सेल को तोड़कर बाहर निकलते हैं, जिससे सेल अक्सर मर जाती है। ये नए वायरस फिर आसपास की दूसरी सेल्स को संक्रमित करने लगते हैं।

वायरस की यह प्रक्रिया न केवल होस्ट सेल को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि पूरे शरीर की इम्यून सिस्टम को भी चुनौती देती है। अब सवाल उठता है कि हमारी सेल्स इन खतरनाक वायरस से कैसे मुकाबला करती हैं?

शरीर का Cellular Defense Mechanisms

हमारा शरीर वायरस से बचने के लिए एक जटिल और प्रभावी सुरक्षा प्रणाली का उपयोग करता है। यह रक्षा प्रणाली मुख्यतः दो हिस्सों में बंटी होती है: Innate Immune Response (प्राकृतिक प्रतिरक्षा) और Adaptive Immune Response (अनुकूलनशील प्रतिरक्षा)। दोनों का तालमेल हमारी सेल्स को वायरल इन्फेक्शन से बचाने में अहम भूमिका निभाता है।

1. Innate Immune Response (प्राकृतिक प्रतिरक्षा)

यह शरीर की पहली सुरक्षा पंक्ति है, जो किसी भी वायरस के संपर्क में आते ही तुरंत प्रतिक्रिया देती है।

  • फिजिकल बैरियर्स (Physical Barriers):
    • स्किन (Skin): वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है।
    • म्यूकस मेम्ब्रेन (Mucus Membrane): सांस की नली और अन्य अंगों को कवर करके वायरस को ट्रैप करती है।
  • सेलुलर डिफेंस (Cellular Defense):
    • नेचुरल किलर सेल्स (Natural Killer Cells): ये सेल्स वायरस से संक्रमित सेल्स को पहचान कर उन्हें नष्ट कर देते हैं।
    • फैगोसाइट्स (Phagocytes): जैसे मैक्रोफेज, जो वायरस को निगल कर खत्म कर देते हैं।
  • साइटोकाइन्स (Cytokines): ये छोटे प्रोटीन सिग्नल वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट करते हैं।
  • इंटरफेरॉन्स (Interferons): जब कोई सेल वायरस से संक्रमित होती है, तो ये प्रोटीन दूसरे सेल्स को अलर्ट कर देते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा बढ़ जाती है।

2. Adaptive Immune Response (अनुकूलनशील प्रतिरक्षा)

अगर वायरस Innate Immunity को पार कर लेता है, तो Adaptive Immunity इसे रोकने के लिए अधिक विशिष्ट और शक्तिशाली प्रतिक्रिया देती है।

  • टी-सेल्स (T-Cells):
    • हेल्पर टी-सेल्स (Helper T-Cells): ये अन्य इम्यून सेल्स को एक्टिवेट करते हैं।
    • साइटोटॉक्सिक टी-सेल्स (Cytotoxic T-Cells): संक्रमित सेल्स को पहचान कर नष्ट कर देते हैं।
  • बी-सेल्स (B-Cells):
    • एंटीबॉडी (Antibodies) बनाकर वायरस को बेअसर करती हैं।
    • एक बार वायरस खत्म होने के बाद, ये “मेमोरी सेल्स” (Memory Cells) के रूप में रहकर भविष्य में उसी वायरस से लड़ने के लिए तैयार रहती हैं।

जब वायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो Innate Immunity तुरंत एक अलार्म सिस्टम की तरह काम करती है और Adaptive Immunity को एक्टिवेट करती है। Adaptive Immunity ज्यादा सटीक और लंबे समय तक चलने वाली सुरक्षा देती है। इन दोनों इम्यून सिस्टम की मदद से शरीर वायरस को न केवल खत्म करता है, बल्कि भविष्य में होने वाले संक्रमण के लिए मजबूत प्रतिरक्षा तैयार करता है। यही कारण है कि वैक्सीन जैसी चीजें शरीर को किसी वायरस के लिए तैयार करने में मदद करती हैं। अब सवाल यह है कि कभी-कभी ये सिस्टम वायरस के सामने क्यों कमजोर पड़ जाती है?

Innate Immunity

वायरस के खिलाफ शरीर की पहली सुरक्षा पंक्ति है, जो तुरंत प्रतिक्रिया देकर संक्रमण को रोकने में मदद करती है। इसमें Physical Barriers, Cellular Defenses, और Molecular Defenses शामिल होते हैं, जो वायरस के शरीर में प्रवेश और फैलाव को रोकते हैं। Physical Barriers जैसे त्वचा (skin), म्यूकस झिल्ली (mucus membranes), और सिलिया (cilia) वायरस को शरीर के अंदर प्रवेश करने से रोकते हैं। त्वचा एक सख्त अवरोध के रूप में कार्य करती है, जबकि म्यूकस झिल्ली और सिलिया वायरस और अन्य हानिकारक कणों को फँसाकर बाहर निकालने में मदद करते हैं।

जब वायरस इन बाधाओं को पार करने की कोशिश करता है, तो Cellular Defenses सक्रिय हो जाती हैं। Epithelial Cells वायरस को गहरे ऊतकों तक पहुंचने से रोकने के लिए एक सख्त अवरोध बनाते हैं। Macrophages और Dendritic Cells शरीर के चारों ओर गश्त करते हैं, वायरस को फागोसाइटोसिस (phagocytosis) के माध्यम से निगल लेते हैं और उनके एंटीजन को अन्य इम्यून कोशिकाओं को सतर्क करने के लिए प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा, Natural Killer (NK) Cells वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को पहचानकर apoptosis (प्रोग्राम्ड सेल डेथ) की प्रक्रिया से नष्ट कर देती हैं।

इसके साथ ही, Molecular Defenses वायरस को और अधिक नुकसान पहुँचाने से रोकती हैं। Interferons (IFNs), जो वायरस से संक्रमित कोशिकाओं द्वारा स्रावित किए जाते हैं, आसपास की कोशिकाओं को सतर्क करते हैं और उन्हें एंटीवायरल रक्षा को सक्रिय करने का संकेत देते हैं। ये वायरल प्रतिकृति (viral replication) को भी रोकते हैं। इसके अलावा, Complement System, प्रोटीन के समूह के रूप में काम करता है, जो वायरस को चिह्नित करता है ताकि इम्यून सेल्स उन्हें आसानी से नष्ट कर सकें या उनकी लिपिड झिल्ली (lipid envelope) को तोड़ सके।

इन सभी डिफेंस मैकेनिज्म के समन्वय से शरीर वायरस के खिलाफ प्रारंभिक और प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, यदि वायरस इन बाधाओं को पार कर लेता है, तो Adaptive Immunity अगली पंक्ति के रूप में कार्य करती है।

Adaptive Immunity

जब वायरस Innate Immunity को पार कर जाते हैं, तो Adaptive Immunity सक्रिय होती है, जो अधिक सटीक और शक्तिशाली प्रतिक्रिया प्रदान करती है। यह प्रतिक्रिया मुख्य रूप से B-Cells और T-Cells के माध्यम से होती है, जो वायरस को नष्ट करने के लिए समर्पित होती हैं। Adaptive Immunity का एक विशेष गुण यह है कि यह शरीर में “Memory Cells” बनाकर भविष्य में वायरस के खिलाफ तेज और प्रभावी प्रतिक्रिया करने में सक्षम होती है।

B-Cells शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं। ये एंटीबॉडीज वायरस के एंटीजन को पहचानकर उन्हें निष्क्रिय कर देती हैं। उदाहरण के लिए, एंटीबॉडीज वायरस को होस्ट सेल से जुड़ने से रोकती हैं और उन्हें इम्यून सेल्स द्वारा नष्ट करने के लिए चिह्नित करती हैं। इस तरह, B-Cells वायरस के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

दूसरी ओर, T-Cells वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती हैं। इनमें Helper T-Cells (CD4+) और Cytotoxic T-Cells (CD8+) शामिल हैं। Helper T-Cells इम्यून प्रतिक्रिया को समन्वित करते हुए B-Cells और Cytotoxic T-Cells को सक्रिय करती हैं। Cytotoxic T-Cells सीधे वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें नष्ट करती हैं। ये कोशिकाएं विशेष एंजाइम्स छोड़ती हैं, जो संक्रमित कोशिकाओं में apoptosis (नियंत्रित सेल मृत्यु) को प्रेरित करती हैं।

जब संक्रमण खत्म हो जाता है, तो B-Cells और T-Cells में से कुछ Memory Cells में बदल जाती हैं। ये Memory Cells भविष्य में उसी वायरस के संपर्क में आने पर तेजी से और अधिक प्रभावी प्रतिक्रिया करती हैं। यह “इम्यून सिस्टम की याददाश्त” वैक्सीन के सिद्धांत का भी आधार है। वैक्सीन शरीर को कमजोर या निष्क्रिय वायरस से परिचित कराती है, जिससे Memory Cells बनते हैं और भविष्य में वास्तविक संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।

Specialized Cellular Responses to Viruses

जब वायरस अधिक जटिल रूप से कोशिकाओं पर हमला करता है, तो शरीर की कुछ विशेष प्रक्रियाएं (specialized responses) सक्रिय हो जाती हैं, जो न केवल वायरस को रोकने बल्कि उसकी प्रतिकृति (replication) को रोकने में भी मदद करती हैं।

Autophagy:
वायरस से संक्रमित कोशिकाएं एक अनोखी प्रक्रिया अपनाती हैं जिसे Autophagy (ऑटोफैगी) कहते हैं। इस प्रक्रिया में, कोशिकाएं वायरस को ऑटोफैगोसॉम (autophagosome) नामक संरचनाओं में कैद कर लेती हैं। इसके बाद, ये ऑटोफैगोसॉम लिसोसोम (lysosome) के साथ मिल जाते हैं, जो वायरस को तोड़कर नष्ट कर देते हैं। यह प्रक्रिया वायरस को आगे फैलने से रोकने के लिए शरीर की एक प्राकृतिक सफाई प्रणाली की तरह काम करती है।

RNA Interference (RNAi):
RNAi एक जटिल प्रक्रिया है, जहां कोशिकाएं छोटे RNA अणुओं का उपयोग करके वायरल RNA को निशाना बनाती हैं और उसे नष्ट कर देती हैं। यह वायरस की प्रतिकृति (replication) को रोकता है और संक्रमण को फैलने से बचाता है। RNAi न केवल वायरस को नष्ट करने में मदद करता है, बल्कि यह कोशिकाओं को अधिक वायरल प्रतिरोधक (resistant) भी बनाता है।

Cytokine Storms:
कभी-कभी, गंभीर वायरल संक्रमणों के दौरान, शरीर की इम्यून सिस्टम एक तीव्र प्रतिक्रिया (overreaction) दे सकती है, जिसे Cytokine Storm कहा जाता है। इसमें साइटोकाइन नामक रसायन अत्यधिक मात्रा में निकलते हैं। ये रसायन आमतौर पर वायरस से लड़ने के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनियंत्रित हो जाती है, तो ये स्वस्थ ऊतकों (healthy tissues) को नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह स्थिति फेफड़ों और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है, जिससे जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

वायरस खुद को कैसे बचाता है? 

वायरस खुद को शरीर की सुरक्षा प्रणाली से बचाने के लिए कई रणनीतियां अपनाते हैं। इनकी यह क्षमता (evasion tactics) उन्हें अधिक घातक और जटिल संक्रमण फैलाने में मदद करती है।

Immune Evasion (इम्यून सिस्टम से बचाव):
कुछ वायरस, जैसे HIV, मेज़बान कोशिकाओं (host cells) के अंदर छिप जाते हैं ताकि इम्यून सिस्टम उन्हें पहचान न सके। इस प्रक्रिया में, ये वायरस अपनी मौजूदगी को छिपा लेते हैं और लंबे समय तक शरीर में टिके रहते हैं। उदाहरण के लिए, HIV कोशिकाओं के अंदर छिपकर शरीर की टी-कोशिकाओं (T-cells) को निष्क्रिय कर देता है।

Mutation (म्यूटेशन):
कई वायरस, जैसे इन्फ्लुएंज़ा (Influenza), तेज़ी से म्यूटेशन (mutation) करते हैं। यह उनके जीनोम (genome) में बदलाव लाकर इम्यून सिस्टम को भ्रमित करता है। म्यूटेशन के कारण बनने वाले नए वेरिएंट (variants) एंटीबॉडी द्वारा पहचान से बच जाते हैं, जिससे वायरस बार-बार संक्रमण फैला सकते हैं।

Inhibiting Interferons (इंटरफेरॉन्स को अवरुद्ध करना):
इंटरफेरॉन्स (Interferons) वायरस से लड़ने वाले सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन हैं, जो आस-पास की कोशिकाओं को अलर्ट करते हैं। लेकिन कुछ वायरस, जैसे हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C), इंटरफेरॉन्स के सिग्नल को ब्लॉक कर देते हैं। इससे ये कोशिकाओं के अंदर चुपचाप अपनी प्रतिकृति (replication) जारी रखते हैं और इम्यून सिस्टम को धोखा देते हैं। वायरस की ये रणनीतियां उन्हें इम्यून सिस्टम से बचने और संक्रमण फैलाने में सक्षम बनाती हैं। यही कारण है कि वायरस के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन और एंटीवायरल दवाओं का विकास इतना महत्वपूर्ण है।

Vaccination क्यों जरूरी है?

वैक्सीनेशन (Vaccination) हमारी इम्यून सिस्टम को किसी विशेष वायरस से लड़ने के लिए पहले से तैयार करता है। यह प्रक्रिया शरीर को बीमारी होने से पहले ही सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रभावी तरीका है।

कैसे काम करता है वैक्सीन?
वैक्सीनेशन (Vaccination) हमारे इम्यून सिस्टम को विशेष वायरस से पहचानने और उनसे लड़ने के लिए प्रशिक्षित करता है। वैक्सीन के जरिए शरीर में हानिरहित वायरल एंटीजन (viral antigens) डाले जाते हैं, जो बीमारी का कारण नहीं बनते लेकिन इम्यून सिस्टम को सक्रिय करते हैं। यह प्रक्रिया मेमोरी बी सेल्स (Memory B Cells) और टी सेल्स (T Cells) को विकसित करती है, जो भविष्य में वायरस के वास्तविक संक्रमण का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। वैक्सीन न केवल वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि गंभीर संक्रमण के खतरे को भी कम करता है।

सेल्स और वायरस के बीच संघर्ष के उदाहरण

Influenza Virus (फ्लू वायरस):
इन्फ्लुएंजा वायरस के खिलाफ शरीर का पहला जवाब इंटरफेरॉन (Interferons) होता है, जो वायरस की संख्या बढ़ने से रोकते हैं। इसके बाद, साइटोटोक्सिक टी सेल्स (Cytotoxic T Cells) संक्रमित श्वसन कोशिकाओं (respiratory cells) को नष्ट करके संक्रमण को नियंत्रित करते हैं।

HIV (एचआईवी):
एचआईवी सीधे हेल्पर टी सेल्स (T Helper Cells) पर हमला करता है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। यह वायरस इम्यून सिस्टम को धोखा देकर लंबे समय तक शरीर में छिपा रहता है। हालांकि, एंटीरेट्रोवायरल दवाएं (Antiretroviral Drugs) वायरस को नियंत्रित करने और रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मदद करती हैं।

COVID-19 (SARS-CoV-2):
COVID-19 वायरस का स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) एंटीबॉडीज को सक्रिय करता है, जिससे वायरस को बेअसर करने में मदद मिलती है। एमआरएनए वैक्सीन (mRNA Vaccines) इम्यून सेल्स को वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने और उसे नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित करती हैं।

निष्कर्ष

हमारे शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एक जटिल और प्रभावी सुरक्षा तंत्र (defense mechanism) मौजूद है, जिसमें प्राकृतिक (innate) और अनुकूल (adaptive) दोनों तरह की इम्यूनिटी शामिल हैं। हालांकि, वायरस लगातार विकसित होते रहते हैं, जिससे वे इन सुरक्षा तंत्रों को पार कर सकें।

वायरस और कोशिकाओं के बीच यह संघर्ष मानव स्वास्थ्य को समझने और नई चिकित्सा और वैक्सीन विकसित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ जीवनशैली (healthy lifestyle), नियमित वैक्सीनेशन, और वैज्ञानिक शोध के माध्यम से हम अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं और वायरस के खतरों से बेहतर तरीके से सुरक्षित रह सकते हैं।

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