Germany Nuclear Power: क्या दोबारा शुरू होंगे न्यूक्लियर प्लांट्स?

World News: जर्मनी ने 2023 में अपने आखिरी तीन न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बंद कर दिए, लेकिन बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच न्यूक्लियर एनर्जी (Germany Nuclear Power) पर दोबारा विचार किया जा रहा है। यह फैसला न केवल जर्मनी की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अहम है।

Germany Nuclear Power का इतिहास

जर्मनी में न्यूक्लियर एनर्जी की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी। 2011 में जापान के फुकुशिमा आपदा के बाद, जर्मनी ने अपने न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का निर्णय लिया।

  • पहला प्लांट: 1969 में पहला कमर्शियल न्यूक्लियर प्लांट शुरू हुआ।
  • उत्पादन में हिस्सेदारी: 1990 तक न्यूक्लियर पावर जर्मनी की कुल बिजली उत्पादन का लगभग 25% था।
  • 2023 में समाप्ति: 15 अप्रैल 2023 को आखिरी तीन न्यूक्लियर पावर प्लांट (एम्सलैंड, इसार 2 और नेकरवेस्टहेम 2) को बंद कर दिया गया।

वर्तमान स्थिति और विवाद

हालांकि जर्मनी ने न्यूक्लियर पावर छोड़ने का फैसला लिया है, लेकिन ऊर्जा संकट और बढ़ते कार्बन उत्सर्जन के कारण इसे दोबारा शुरू करने पर चर्चा चल रही है! 2024 में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि जर्मनी को भविष्य में नए न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बनाने पर विचार करना चाहिए।

  • ऊर्जा संकट: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते प्राकृतिक गैस की कमी से जर्मनी की ऊर्जा आपूर्ति पर असर पड़ा है।
  • कोयले पर निर्भरता: न्यूक्लियर पावर की अनुपस्थिति ने कोयले और प्राकृतिक गैस पर निर्भरता बढ़ा दी है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हुई है!
  • पुनः शुरुआत का सुझाव: न्यूक्लियर एनर्जी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकती है।
  • ऊर्जा कंपनियों का रुख: जर्मनी की प्रमुख ऊर्जा कंपनियाँ जैसे EON SE और RWE AG ने न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को दोबारा शुरू करने के सुझाव को खारिज कर दिया है।

न्यूक्लियर बनाम रिन्यूएबल एनर्जी

  • रिन्यूएबल एनर्जी की चुनौतियाँ: सोलर और विंड एनर्जी स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पाती हैं।
  • न्यूक्लियर का लाभ: न्यूक्लियर एनर्जी से बड़ी मात्रा में और स्थिर बिजली उत्पादन संभव है, जो ऊर्जा संकट को हल कर सकता है।

जर्मनी के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को दोबारा शुरू करने पर चल रही चर्चा यह दिखाती है कि बढ़ती ऊर्जा मांग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नए विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। क्या जर्मनी भविष्य में न्यूक्लियर पावर को अपनाएगा, या रिन्यूएबल एनर्जी पर पूरी तरह निर्भर रहेगा? यह सवाल समय ही बताएगा।

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