Breaking News: The Conference of the Parties (COP) जलवायु परिवर्तन (climate change) से निपटने के लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण मंच है। इस साल यानी 2025 में COP30 मीटिंग होगी, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके बाद एनवायरनमेंट को लेकर कुछ सार्थक कार्रवाई हो सकती है। लेकिन COP आखिर है क्या, और यह क्यों यह इतना महत्वपूर्ण है? आइए COP30, इसकी महत्वाकांक्षाओं, पिछली मीटिंग के बारे में जानें।
COP क्या है?
COP का पूरा नाम Conference of the Parties है, जो कि United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC) के तहत आता है। इसे 1992 में स्थापित किया गया था। यह UNFCCC की एक अंतर्राष्ट्रीय संधि (international treaty) है, जिसे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करने और जलवायु परिवर्तन में ख़ास वजह यानी मनुष्य के इंटरफेरेंस को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस ट्रीटी के तहत हर साल, लगभग 200 देश वैश्विक जलवायु नीतियों पर चर्चा करने, अगले टारगेट निर्धारित करने और देशों को जवाबदेह ठहराने के लिए COP मीटिंग में हिस्सा लेते हैं। इन शिखर सम्मेलनों के परिणामस्वरूप क्योटो प्रोटोकॉल (1997-Kyoto Protocol) और पेरिस समझौता (2015-Paris Agreement) जैसे ऐतिहासिक समझौते हुए हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए काम कर रहे हैं।
Conference of the Parties का लक्ष्य
COP का व्यापक लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में दुनिया को एक साथ लाना है। इसमें शामिल हैं: जैसे उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य निर्धारित करना, क्लीमेंट चेंज की वजह से हो रहे नेचुरल डिजास्टर से लड़ने के लिए पैसा जुटाना, पर्यावरण के साथ न्याय सुनिश्चित करना और इनोवेशन और टेक्निक की मदद से renewable energy जैसी अन्य सतत तकनीकों को बढ़ावा देना है।
दुबई, UAE में हुआ था COP28
COP30 की ओर देखने से पहले, आइए COP28 पर फिर से नज़र डालें, जो नवंबर 2023 में दुबई, UAE में हुआ था। इस मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए थे, ताकि भविष्य की जलवायु चर्चाओं के लिए मंच तैयार किया। जैसे:
ग्लोबल स्टॉकटेक (GST): इसके तहत पहली बार, ग्लोबल स्टॉकटेक ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों की दिशा में वैश्विक प्रगति का आकलन किया। और पाया कि दुनिया 1.5°C तक तापमान वृद्धि को सीमित करने के अपने लक्ष्य से बहुत दूर है। इस लक्ष्य को पाने के लिए, साल 2030 तक हमें उत्सर्जन में 43% की कटौती करनी होगी, जो कि फिलहाल तक पाना मुश्किल लग रहा है।
Renewable energy और commitments: 100 से अधिक देशों ने 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का संकल्प लिया, जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव का संकेत है।
2025 में COP30
इस साल COP30 – 10 Nov से 21 Nov, 2025 को आयोजित होगा। COP30 का आयोजन ब्राजील के बेलेम में किया जाएगा, जो अमेज़न रीजन में स्थित एक शहर है। ब्राजील का चयन जलवायु परिवर्तन से निपटने में वर्षावनों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है और वनों की कटाई और जैव विविधता हानि जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करता है।
प्रमुख विषय और फोकस क्षेत्र: बढ़ता NDC का स्तर: देशों से अधिक महत्वाकांक्षी जलवायु प्रतिबद्धताएँ प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाएगी। विकासशील देशों के लिए वित्त पोषण बढ़ाना, जिसमें हानि और क्षति निधि का पूर्ण कार्यान्वयन शामिल है। वनों, आर्द्रभूमि और पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा और बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। हाशिए पर पड़े समुदायों का मज़बूत प्रतिनिधित्व एक प्रमुख विषय होगा।
वैश्विक स्टॉकटेक फॉलो-अप: 2024 में दूसरे वैश्विक स्टॉकटेक (जीएसटी) के बाद COP30 पहला प्रमुख शिखर सम्मेलन होगा, जो वैश्विक प्रयासों का पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना करने का अवसर प्रदान करेगा।
जीवाश्म ईंधन की लड़ाई जारी रहेगी: कोयला, तेल और गैस को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर निरंतर बहस की उम्मीद है, जिसमें कई लोग मजबूत प्रतिबद्धताओं की उम्मीद कर रहे हैं।
तकनीकी नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन कैप्चर और संधारणीय कृषि में सफलताएँ संभवतः एक फोकस क्षेत्र होंगी।
हालाँकि अभी भी COP का उमीदों पर खरा उतरना मुश्किल है, क्योंकि लगभग 200 देशों के बीच एक ही दिशा में फैसला होना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर जब सभी देशों के लिए economic interests, पर्यावरणीय लक्ष्यों से जयादा अहम हों। क्योंकि सभी देशों के लिए economic स्टेबिलिटी ज्यादा मायने रखती है, हालाँकि पर्यावरण को भी उतना ही जरूरी समझने की जरूरत है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इसके तहत सभी विकसित देशों ने हर साल $100 बिलियन क्लाइमेट फाइनेंस के लिए देने का फैसला किया था, लेकिन अभी तक यह नहीं हो पाया है।
जैसा कि इस साल की शुरुआत के साथ, दुनिया के पास 2030 के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सिर्फ़ पाँच साल बाकी हैं। ऐसे में अगर COP30 में अहम फैसले लिए जाते हैं और उनकी इम्प्लीमेंटेशन पर 100% काम किया जाता है, केवल तभी हम अपने क्लाइमेट चेंज लक्ष्यों को पूरा कर पाएंगे, वरना पर्यावरण का यह संकट, हमारे भविष्य का सबसे बड़ा सकंट हो सकता है।
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