Climate change: आज के समय में अमीर लोग प्राइवेट जेट्स का इस्तेमाल टैक्सियों की तरह कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण (environment) पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। एक नई रिसर्च में पाया गया है कि 2019 से 2023 के बीच प्राइवेट जेट्स से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के उत्सर्जन में 46% की वृद्धि हुई है, जो क्लाइमेट चेंज को और अधिक तेज़ी से बढ़ा सकता है।
एक घंटे की उड़ान, एक साल का उत्सर्जन
रिसर्च के अनुसार, केवल एक घंटे की प्राइवेट जेट फ्लाइट से इतना CO₂ रिलीज़ होता है जितना एक सामान्य व्यक्ति पूरे साल में करता है। स्वीडन की Linnaeus University के प्रोफेसर Stefan Gossling, जो इस रिसर्च का नेतृत्व कर रहे हैं, ने बताया, “यह देखकर लगता है कि कुछ लोग खुद को उन मानकों से ऊपर समझते हैं, जो हमने एक वैश्विक समुदाय के रूप में तय किए हैं।”
रिसर्च में बताया गया कि 2023 में प्राइवेट जेट्स ने लगभग 15.6 मिलियन टन CO₂ उत्पन्न किया, जो करीब 3.7 मिलियन पेट्रोल कारों के सालभर के उत्सर्जन के बराबर है। हालांकि, यह कुल वैश्विक उत्सर्जन का केवल 1.8% है, लेकिन यह दिखाता है कि दुनिया का एक छोटा तबका, जैसे कि “ultra-high-net-worth” individuals, अपने लग्जरी साधनों से पर्यावरण पर भारी बोझ डाल रहा है।
COVID-19 के बाद बढ़ी मांग
कोविड महामारी के बाद प्राइवेट जेट्स की मांग में बढ़ोतरी हुई है। रिसर्चर्स का मानना है कि कमर्शियल यात्रा पर प्रतिबंध और लॉकडाउन के बाद से अमीर लोगों ने निजी विमानों का अधिक इस्तेमाल शुरू कर दिया है। रिसर्च में ये भी पाया गया कि ज्यादातर यात्रा कम दूरी की होती है, जैसे Ibiza और Nice जैसी जगहों के लिए, खासकर वीकेंड पर।
2022 के Fifa World Cup के समय Qatar में 1,846 प्राइवेट जेट्स उतरे, जिससे लगभग 14,700 टन CO₂ का उत्सर्जन हुआ। इसी प्रकार, 2023 में Dubai में आयोजित UN Climate Conference के दौरान भी 291 प्राइवेट जेट्स ने वहां लैंड किया, जिससे 1,500 टन CO₂ का उत्सर्जन हुआ।
संकट के प्रति चेतावनी
प्रोफेसर Gossling का कहना है कि आने वाले 10 सालों में लोग यह इच्छा करेंगे कि हमने क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए और भी अधिक कदम उठाए होते। UN की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो इस सदी के अंत तक पृथ्वी का तापमान 3.1°C तक बढ़ सकता है।
2025 तक Net-Zero लक्ष्य
International Air Transport Association ने 2050 तक aviation को net-zero करने का संकल्प लिया है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी पारंपरिक ईंधन का स्पष्ट विकल्प ढूंढने में असमर्थ हैं, जिससे विमान यात्रा का उत्सर्जन कम हो सके। रिसर्च टीम ने 18,655,789 उड़ानों का डेटा एनालाइज किया, जिसमें उड़ानों के समय और ईंधन की औसत खपत का हिसाब लगाया गया।
यह शोध अब विज्ञान पत्रिका Communications Earth & Environment में प्रकाशित किया गया है और क्लाइमेट चेंज को लेकर एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
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