Polio: कितने दिनों तक रहता है संक्रमण का खतरा?

Health and Fitness: पोलियो (Poliomyelitis) दुनिया में सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक रही है। 1988 में, पोलियो से हर साल 3,50,000 लोग प्रभावित होते थे। 2023 में, यह संख्या कुछ सौ तक सीमित हो गई, लेकिन यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। भारत में 2011 में आखिरी पोलियो का मामला सामने आया। 2014 में, भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया। हालांकि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अभी भी पोलियो के मामले देखने को मिलते हैं, जिससे भारत में सतर्कता जरूरी है।

Polio क्या है और कैसे फैलता है?

Polio एक संक्रामक बीमारी है, जो पोलियोवायरस (Poliovirus) के कारण होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है लेकिन वयस्क भी इससे अछूते नहीं हैं। पोलियोवायरस के 3 प्रकार:

  1. टाइप 1 (Type 1): सबसे सामान्य और खतरनाक।
  2. टाइप 2 (Type 2): 1999 में उन्मूलन किया गया।
  3. टाइप 3 (Type 3): दुर्लभ लेकिन प्रभावी।

कैसे फैलता है?

  • मुख्यतः गंदगी के माध्यम से: वायरस संक्रमित मल (fecal matter) या दूषित पानी से फैलता है।
  • एयरबोर्न ड्रॉपलेट्स: किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से वायरस फैल सकता है।
  • लंबे समय तक संक्रमण: संक्रमित व्यक्ति 3 से 6 हफ्तों तक दूसरों को संक्रमित कर सकता है।
  • समुदायों में तेजी से फैलाव: खराब स्वच्छता वाले क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक फैलती है।

Polio के लक्षण और प्रभाव

यह वायरस नसों को प्रभावित करता है, जिससे मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। कई मामलों में, लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन वायरस सक्रिय रहता है और अचानक गंभीर हो सकता है।

प्रारंभिक लक्षण:

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • थकावट
  • गले में खराश

गंभीर लक्षण:

  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • हाथ और पैरों में लकवा (Paralysis)
  • सांस लेने में कठिनाई

Polio वैक्सीन का इतिहास

जोन्स साल्क और पहला इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (IPV): 1955 में, अमेरिकी वैज्ञानिक जोन्स साल्क (Jonas Salk) ने पहला सफल इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (Inactivated Polio Vaccine – IPV) विकसित किया। यह वैक्सीन मरे हुए वायरस से बनाई गई थी, जो संक्रमण को रोकने में प्रभावी थी। इस वैक्सीन के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के बाद अमेरिका और अन्य देशों में पोलियो के मामलों में तेजी से कमी आई। साल्क का वैक्सीन इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है और यह आज भी बच्चों और वयस्कों में प्रभावी है।

इसके बाद अल्बर्ट साबिन (Albert Sabin) ने 1961 में पोलियो का एक नया टीका विकसित किया, जिसे ओरल पोलियो वैक्सीन (Oral Polio Vaccine – OPV) कहा जाता है। यह वैक्सीन मौखिक रूप से दी जाती है, यानी इसे पीने के रूप में लिया जाता है। इसमें कमजोर जीवित वायरस का उपयोग किया गया, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, लेकिन बीमारी का कारण नहीं बनता। ओपीवी का व्यापक उपयोग 1960 के दशक में शुरू हुआ और यह दुनिया भर में पोलियो उन्मूलन के लिए सबसे प्रभावी साबित हुआ।

1995: भारत में पल्स पोलियो अभियान

भारत में पल्स पोलियो अभियान (Pulse Polio Campaign) की शुरुआत 1995 में हुई। यह अभियान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ (UNICEF) और भारतीय सरकार के संयुक्त प्रयासों से शुरू किया गया। 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो वैक्सीन की खुराक देना, ताकि हर बच्चे को सुरक्षा मिल सके। इससे काफी सफलता मिली, हालाँकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खराब स्वच्छता और जनसंख्या घनत्व के कारण पोलियो के मामले अधिक थे। 2011 में भारत में आखिरी पोलियो का मामला सामने आया। और 2014 में, भारत को पोलियो मुक्त देश (Polio-Free Nation) घोषित किया गया। भारत का पोलियो उन्मूलन अभियान दुनिया के सबसे बड़े और सफलतम स्वास्थ्य अभियानों में से एक है।

IPV और OPV दोनों ने मिलकर पोलियो को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाई। OPV न केवल व्यक्ति को सुरक्षित करता है, बल्कि “हर्ड इम्यूनिटी” (Herd Immunity) विकसित करता है, जिससे वायरस का प्रसार रुकता है। जबकि 2024 में भी, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो के मामले सामने आ रहे हैं।

बचाव के उपाय:

  1. टीकाकरण (Vaccination): बच्चों को समय पर टीके दिलवाएं।
  2. स्वच्छता बनाए रखें (Hygiene): दूषित पानी और भोजन से बचें।
  3. सामुदायिक जागरूकता (Community Awareness): पल्स पोलियो अभियान का हिस्सा बनें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।
  4. अंतरराष्ट्रीय यात्रा: पोलियो प्रभावित देशों की यात्रा करने से पहले वैक्सीन लें।

भारत ने Polio को खत्म कर एक मिसाल कायम की है। यह मॉडल अन्य बीमारियों जैसे कि डेंगू और मलेरिया के खिलाफ भी उपयोगी हो सकता है। इसके लिए सामुदायिक भागीदारी, टीकाकरण और स्वच्छता पर ध्यान देना होगा।

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