Asperger Syndrome क्या है? Criminal Justice Season 4 से क्यों Viral हुआ ये Autism Disorder

Trending News: “Asperger Syndrome” अचानक Google पर trending में है। इसका कारण है हाल ही में रिलीज़ हुई indian वेब सीरीज़ Criminal Justice Season 4, जिसमें एक लड़की को Asperger Syndrome से ग्रस्त दिखाया गया है। इस सीरीज़ को बहुत पसंद किया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही इसकी कहानी ने लोगों को इस neurological condition के बारे में जानने के लिए मजबूर कर दिया है। आजकल लोग गूगल पर सर्च कर रहे हैं Asperger Syndrome और Asperger Causes के बारे में।

अगर आप भी यह समझना चाहते हैं कि Asperger Syndrome असल में होता क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, और क्या इसका कोई इलाज संभव है, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए, इसमें हम आपको Asperger Syndrome के बारे में हर जानकारी देंगे।

Asperger Syndrome क्या होता है?

Asperger Syndrome एक neurodevelopmental condition है! यानी यह आपके ब्रेन या दिमाग से जुड़ी एक कंडीशन होती है। इसे भी Autism Spectrum Disorder (ASD) का ही एक पार्ट माना जाता है। अगर किसी बच्चे को यह प्रॉब्लम है, तो वो बच्चा verbal होता है यानी वह बोल सकता है, लेकिन उसकी social skills कमजोर होती हैं। ऐसा बच्चा बातचीत शुरू करने में hesitation महसूस करता है, और इसी की वजह से वो बच्चा काफी कम बात करेगा। इसके अलावा ऐसे बच्चों में emotions को पहचानने में भी मुश्किल होती है! इस कंडीशन की सबसे बड़ी बात यह होती है कि इसमें बच्चा एक ही activity या topic में ज्यादा इंटरेस्ट लेता है। पहले Asperger Syndrome को Autism से अलग माना जाता था, लेकिन अब इसे Autism Spectrum का ही एक हिस्सा समझा जाता है। इसमें Autism की तुलना में थोड़ी कम प्रॉब्लम होती है, लेकिन इससे जुड़े challenges भी बच्चों की लाइफ पर बहुत नेगेटिव असर डालते हैं।

Asperger Syndrome Symptoms क्या होते हैं?

Eye Contact से बचना: Asperger से ग्रस्त बच्चे अक्सर दूसरों की आंखों में देखकर बात नहीं करते। वे eye contact को uncomfortable मानते हैं।

Repetitive Behavior: ये बच्चे किसी एक शब्द, लाइन या activity को बार-बार दोहराते हैं। जैसे किसी खिलौने को लगातार घुमाते रहना या एक ही सवाल पूछते रहना।

Social Bonding में दिक्कत: Asperger वाले बच्चों को दोस्त बनाना मुश्किल लगता है। वे अकेले रहना पसंद करते हैं और social interaction में रुचि नहीं लेते।

किसी एक विषय में अत्यधिक रुचि: ये बच्चे किसी एक topic (जैसे train, space, या maps) में गहरी knowledge रखते हैं और उसी के बारे में बार-बार बात करते हैं।

Sensory Sensitivity: Asperger वाले बच्चे तेज़ आवाज़, तेज़ रोशनी या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर uncomfortable महसूस करते हैं। इतना ही नहीं, कुछ बच्चों को कपड़ों की texture तक परेशान कर सकती है।

12 possible causes of Asperger Syndrome

  1. Genetic Mutation – कुछ genes में बदलाव जो ASD से जुड़े हो सकते हैं।
  2. पिताजी की उम्र अधिक होना – higher paternal age से risk बढ़ता है।
  3. Premature जन्म – समय से पहले जन्म लेने पर risk ज़्यादा होता है।
  4. Low birth weight – कम वजन वाले बच्चों में neurological development impact हो सकता है।
  5. Pregnancy के दौरान lead, mercury जैसे harmful chemicals के संपर्क में आने से भी यह प्रॉब्लम हो सकती है।
  6. गर्भावस्था में viral infection होना – अगर किसी महिला को pregnancy में कोई वायरल इन्फेक्शन हो जाती है, तो maternal immune system का प्रभाव बच्चे के development पर पड़ सकता है।
  7. परिवार में पहले से neurological condition होने से भी इसका खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि यह एक genetic predisposition है।
  8. इसके अलावा अगर मस्तिष्क के कुछ हिस्सों का असामान्य विकास होता है, खासकर frontal lobe का, तब भी Asperger Syndrome का खतरा होगा।
  9. आप शायद यकीन ना करें, लेकिन Metabolic disorders – जैसे phenylketonuria आदि से भी Asperger Syndrome हो सकता है।
  10. Mitochondrial dysfunction भी Asperger Syndrome का एक बड़ा कारण है, क्योंकि यह energy production पर असर डालता है, जिससे brain function पर सीधा असर पड़ता है।
  11. हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि Gut health ब्रेन के लिए कितनी जरूरी है। Gut health imbalance से Asperger Syndrome हो सकता है, क्योंकि gut-brain axis की वजह से behavior पर असर हो सकता है।
  12. Vitamin D की कमी भी Asperger Syndrome का बड़ा कारण है, खासकर early pregnancy में इसकी कमी भी risk factor हो सकती है।

(Note: ये सारे कारण संभावित हैं, exact cause हर case में अलग हो सकता है)

Asperger Syndrome Early Diagnosis क्यों ज़रूरी है?

Asperger Syndrome का समय पर पता लगना इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि early intervention से बच्चे की life में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। जैसे कि उन बच्चो का भी बचपन चल रहा होता है, तो उसमें आप उन्हें प्रॉपर guidence की मदद से उनके व्यवहार और रूटीन में बदलाव ला सकते हैं।

यह कोई ऐसी सिचुएशन नहीं है, जिससे डरने की जरूरत है, लेकिन Behavior therapy, social skills training और occupational therapy के ज़रिए बच्चा daily life की activities में बेहतर performance दे सकता है, और इसमें आप उनकी मदद तब कर सकते हैं, जब आपको Asperger Syndrome के बारे में शुरुआत में ही पता चल जाए। अगर ये diagnosis late होता है, तो बच्चा emotional और social isolation का शिकार हो सकता है, जिससे depression, anxiety जैसी समस्याएं भी develop हो सकती हैं।

Asperger Syndrome और Autism में अंतर

Asperger Syndrome वाले बच्चे सामान्य रूप से बोलते हैं और उनमें language development delay नहीं होता, जबकि Autism वाले बच्चों में speech delay बहुत common है। Asperger वाले बच्चों का IQ सामान्य या उससे ऊपर होता है, जबकि Autism में ऐसा भी संभव है कि दिमाग लगाने वाली चीज़ों में बिलकुल जीरो हो।

अगर आपके बच्चे में ऊपर बताए गए symptoms दिख रहे हैं, तो doctor या child psychologist से consult करें। Asperger Syndrome कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक अलग neurological wiring है, जिसे समझना और support देना ज़रूरी है। Society में awareness ही सबसे बड़ा इलाज है।

Conclusion

Asperger Syndrome के बारे में जागरूकता बढ़ाना समय की मांग है। जब लोकप्रिय series (Criminal Justice) इस topic को उठाते हैं, तो समाज में एक बड़ा फर्क पड़ता है। हमें इस moment को educational opportunity में बदलना चाहिए। Early understanding और सही support से Asperger से जूझ रहे बच्चे भी confident और successful life जी सकते हैं।

 

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