Ranga and Billa Case Study: क्या आपने Black Warrant series देखी (Ranga Billa New Series) है? यह कोई फिक्शनल स्टोरी नहीं है, non-fiction book “Black Warrant” (Confessions of a Tihar Jailer by Sunil Gupta and Sunetra Choudhury) पर बेस्ड है। इसके 2nd एपिसोड में जिस Kuljeet Singh और Jasbir Singh का एक क्राइम दिखाया गया है। यह वही कुख्यात Ranga और Billa हैं, जिनके खौफ से 1978 में न सिर्फ पूरी दिल्ली, बल्कि गवर्नमेंट तक हिल गयी थी! इन दोनों पर 2 बच्चों – “गीता और संजय चोपड़ा” के मर्डर और रेप के चार्जेज लगे थे। और उस वक्त Ranga और Billa की उम्र भी कुछ ज्यादा नहीं थी, दोनों करीब 20 से 25 के आसपास थे।
1) Background of Kuljeet “Ranga” and Jasbir “Billa”
अगर उनके पास्ट की बात करें तो रंगा एक टैक्सी और ट्रक ड्राइवर था। उसका एक जानकार था – शाम नाम का आदमी- जिसके जरिये वो Billa से मिला था। ये जो Chopra children murder case था, जिसकी पहले हमने बात की, उससे पहले भी Billa की आलरेडी क्रिमिनल हिस्ट्री थी, यह उसका कोई पहला क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था।
दिल्ली के इस मर्डर केस से पहले Ranga और Billa ने मुंबई में रंगा की टैक्सी का इस्तेमाल करके 1 लड़के को किडनैप किया था, लेकिन Ranga ने उसे छोड़ दिया। जिसके बाद पुलिस ने शाम को अरेस्ट कर लिया, और पकड़े जाने के डर से Ranga और Billa मुंबई से भाग गए, और सूरत और अहमदाबाद होते हुए दिल्ली पहुँच गए। इस बीच पुलिस रिकार्ड्स में शाम ने बयान दिया था कि Billa ने पहले भी 2 अरब लोगों (two Arab men) का मर्डर किया था।
2) Geeta and Sanjay Murder Timeline 1978 (Stealing Car)
यहाँ Ranga और Billa ने दिल्ली पहुंचकर सबसे पहले 19 अगस्त, 1978 को एक कार चुराई। एक “नींबू या सरसों के रंग की फिएट कार थी। उन्होंने उस पर नकली नंबर प्लेट लगा दी और 25 अगस्त को बाहर निकले। उनका प्लान था किसी अमीर couple को किडनैप करेंगे और फिरौती की डिमांड करेंगे। लेकिन इस बार उनके हाथ कोई नहीं लगा।
अगले दिन फिर 26 अगस्त को दोनों इसी mindset से निकले, लेकिन इस बार 2 अनजान बच्चे – गीता और संजय चोपड़ा उनके हाथ लग गए।
3) Geeta and Sanjay Chopra Kidnapping Case
गीता चोपड़ा (16½) और उनके भाई संजय चोपड़ा (14), Indian Navy officer कैप्टन एम.एम. चोपड़ा और उनकी पत्नी रोमा चोपड़ा के बच्चे थे। वो सरकारी residential enclave में Dhaula Kuan, New Delhi में रहते थे। गीता Jesus and Mary College में second-year student थी, और उसका भाई संजय 10th में था।
शनिवार, 26 अगस्त, 1978 को दोनों भाई-बहन ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर “युवा वाणी” नाम के एक प्रोग्राम में participate कर रहे थे। उन्हें ऑल इंडिया रेडियो स्टूडियो में 7 बजे तक पहुंचना था, इसलिए वो शाम 6:15 बजे घर से निकल गए। और उनके पिता का प्लान था कि शो ख़त्म होने के बाद वो 9 बजे उन्हें पिक कर लेंगे। घर से वो अकेले नहीं निकले थे, एक family friend, Dr. M. S. Nanda ने उन्हें लिफ्ट दी थी, लेकिन सिर्फ Connaught Place के पास जो Gole Dak Khana है, वहां तक। वहां से स्टूडियो अभी भी काफी दूर था।
बस यहीं पर एंट्री होती है कुलजीत उर्फ़ “रंगा” और जसबीर “बिल्ला” की। दोनों उन्हें लिफ्ट का ऑफर देते हैं, और बच्चे मान भी जाते हैं। लेकिन जब गाडी किसी दूसरी डायरेक्शन में जाने लगती है, तो गीता और संजय को शक होता है कि कुछ तो गड़बड़ है। टाइम था करीब 6.30 से 6.45 के बीच, दोनों बच्चे गाडी से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं, लेकिन रंगा और बिल्ला ने inner door handles पहले से ही तोड़ दिए थे कि कोई भाग न पाए।
गीता ने ड्राइवर यानी बिल्ला के बाल नोचना शुरू कर दिया, उधर संजय भी रंगा को रोकने का try कर रहा था। दोनों बच्चे हेल्प के लिए चिल्ला रहे थे, कुछ एक लोगों ने उन्हें देखा भी! भगवान दास नाम के एक आदमी और उसके साथ कोई और आदमी भी था, उन दोनों ने बाहर से गाडी का दरवाजा खोलने की नाकाम कोशिश भी की, लेकिन Ranga और Billa दोनों बच गए और गाड़ी को Willingdon Hospital की तरफ लेकर चले गए।
4) अपहरण की पहली रिपोर्ट: 6:45 PM
जब Bhagwan Dass ने एक लड़का और लड़की को ज़बरदस्ती एक mustard-colored Fiat में खींचते हुए देखा, तो उन्हें तुरंत समझ में आ गया कि कुछ गड़बड़ है। बिना देरी किए उन्होंने 6:45 PM पर पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल की और बताया कि एक किशोर लड़का और लड़की को जबरन कार में बैठाया गया है। उन्होंने गाड़ी का नंबर बताया – HRK 8930, और ज़ोर देकर कहा कि लड़की मदद के लिए चिल्ला रही थी।
लेकिन अफ़सोस की बात ये रही कि पुलिस ऑपरेटर ने नंबर गलत (MRK 8930) दर्ज कर लिया — या तो किसी clerical mistake की वजह से या फिर communication में कमी की वजह से।
5) दूसरा गवाह: Inderjeet Singh की बहादुरी
इसी दौरान, एक और चश्मदीद सामने आया – Inderjeet Singh, जो 23 साल का एक जूनियर इंजीनियर था और उस वक्त अपनी स्कूटर पर था। उसने वही Fiat कार Willingdon Hospital के पास देखी और उसके बगल में स्कूटर ले जाकर रुका। उसे कार के पीछे बैठे डरे हुए लड़के ने दिखा, जो अपने कंधे पर खून से सना रुमाल दबाए हुए था और मदद के लिए इशारा कर रहा था।
Inderjeet ने बिना समय गंवाए उस गाड़ी का पीछा किया और ट्रैफिक में चलते हुए उसका सही नंबर नोट किया। लेकिन जब कार ने Shankar Road पर रेड लाइट तोड़ी, तो उसका पीछा नहीं कर पाया। इसके बाद वो सीधे राजेन्द्र नगर थाने पहुंचा और वहां रिपोर्ट दर्ज करवाई।
6) पुलिस की लापरवाही और jurisdiction पर बहस
Inderjeet की रिपोर्ट के बावजूद, पुलिस ने तुरंत एक्शन नहीं लिया। इस केस को routine cognizable offense की तरह लिया गया और अलग-अलग थानों के बीच jurisdiction को लेकर बहस शुरू हो गई। एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने इसलिए हिचकिचाहट दिखाई क्योंकि उन्हें लगा कि शायद गाड़ी दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड है, और उन्हें कार्रवाई करने के लिए किसी और कोर्ट की परमिशन चाहिए होगी।
इन सब bureaucratic delays और procedural confusion की वजह से जो precious घंटे बर्बाद हुए — वही आगे चलकर Ranga-Billa केस में सबसे बड़े सवाल बनकर उभरे। अगर पहले ही सही गाड़ी नंबर नोट होता, और jurisdiction की बहस में वक्त बर्बाद न किया जाता — तो शायद इस केस की दिशा ही कुछ और होती।
7) Fiat कार के अंदर क्या हो रहा था?
जब बाहर लोग मदद के लिए भागदौड़ कर रहे थे, उसी वक्त Fiat कार के अंदर Ranga और Billa अपना अगला कदम सोच रहे थे। बाद में सामने आया कि उनका असली इरादा ransom यानी फिरौती के लिए किडनैपिंग करना था। लेकिन जब उन्होंने कार में चलते-चलते Geeta और Sanjay से casually पूछा कि उनके पिता क्या करते हैं, तो उन्हें पता चला कि उनके पिता एक Naval Officer हैं — कोई अमीर बिजनेसमैन नहीं। ये सुनकर Ranga ने कहा कि हमें बच्चों को छोड़ देना चाहिए। उसे लगा कि अगर घरवाले पैसे नहीं दे पाए, तो ये risk बेकार जाएगा। और साथ ही, एक फौजी पिता तुरंत पुलिस को involve करेगा और मुकाबला भी करेगा।
लेकिन Billa इस बात से सहमत नहीं था। उसने बच्चों को छोड़ने से इनकार कर दिया। उल्टा उसने Geeta और Sanjay को झूठी तसल्ली दी — उसने कहा कि वो Geeta को एक ‘bait’ की तरह इस्तेमाल करेंगे, जैसे कोई stranded passenger जो किसी jeweller की गाड़ी को रोकने की कोशिश कर रही हो। उसके बाद उन्हें छोड़ दिया जाएगा। लेकिन ये सिर्फ़ एक झूठ था — ताकि बच्चे डरें नहीं और चुपचाप साथ चलें।
8) Buddha Jayanti Park के पास गाड़ी क्यों रोकी?
इसके बाद करीब 7:30 बजे Ranga और Billa ने अपनी Fiat कार को Delhi Ridge के सुनसान रास्ते की ओर मोड़ा। उन्होंने गाड़ी Buddha Jayanti Park के पास एक शांत इलाके में पार्क कर दी — ये जगह दिन ढलते ही लगभग वीरान हो जाती है।
Geeta और Sanjay डरे हुए थे, और शायद उन्हें थोड़ा शांत करने के लिए Ranga कुछ देर के लिए गाड़ी से उतरा और पास के एक vendor से ice cream और Campa Cola खरीद लाया। लेकिन Sanjay के कंधे से अब भी खून बह रहा था, उसे प्यास लगी थी, और उसने पानी मांगा। Ranga ने उसे cola दी, जिसे Sanjay ने मना कर दिया। लेकिन Geeta ने उसे हल्के से कहा कि ice cream ले लो, ताकत बनी रहेगी। Sanjay ने ice cream ले ली — शायद उस पल में उसे यही राहत की उम्मीद दिखी।
कुछ समय तक गाड़ी वहीं खड़ी रही, अंधेरा गहराता गया। तभी Ranga और Billa ने एक और चाल चली — उन्होंने Fiat की license plate बदल दी, जो पहले HRK 8930 थी, अब उसे बदलकर DHI 280 कर दिया गया। उन्हें डर था कि कहीं Gole Dak Khana इलाके से किसी ने सही नंबर देखकर पुलिस को खबर न कर दी हो। इसलिए उन्होंने नंबर बदलकर खुद को पकड़ से दूर रखने की कोशिश की। इस छोटी सी डिटेल ने आगे चलकर केस की जांच को और पेचीदा बना दिया।
9) रात 9 बजे: Sanjay Chopra मर्डर
जैसे-जैसे रात गहराती गई (करीब 9 बजे), Ranga और Billa ने फैसला लिया कि अब वक्त आ गया है कि वे अपने अपराध के सारे सबूत खत्म कर दें। उन्होंने गाड़ी को main सड़क से हटाकर एक कच्चे रास्ते पर मोड़ लिया, जो कि Delhi Ridge के जंगलों में जाता था। कुछ बहाने से उन्होंने Geeta और Sanjay को अलग कर दिया। Sanjay को यह कहकर करीब 100 गज दूर झाड़ियों की ओर ले जाया गया कि उसे उसकी बहन के पास ले जाया जा रहा है, जिसे “robbery” के बहाने छोड़ दिया जाएगा।
हकीकत में, दोनों अपहरणकर्ताओं का इरादा अब बच्चों की हत्या करने का था। Billa ने अपने पास मौजूद लंबी kirpan (करीब 3 फीट लंबी तलवार) Ranga को दी और Sanjay को मार डालने का आदेश दिया।
Ranga ने तलवार से एक बार वार (Ranga Billa kirpan attack) किया और Sanjay घायल हो गया, लेकिन उसके बाद वह पीछे हट गया — शायद वह हत्या करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। तभी Billa ने तलवार वापस छीन ली और Sanjay पर बेरहमी से हमला किया। उसने 14 साल के Sanjay पर कई बार वार किया, उसे बार-बार चाकू से गोदा गया — जब तक कि Sanjay की मौत नहीं हो गई।
बाद की रिपोर्ट्स में बताया गया कि Sanjay Chopra ने आखिरी सांस तक लड़ाई की। उसने बहादुरी से हमलावरों का सामना किया और बचने की पूरी कोशिश की। उसके शरीर पर कई ज़ख्म थे जो साबित करते हैं कि वो आखिर तक संघर्ष करता रहा।
10) Delhi Ridge में Geeta Chopra की हत्या (9:15–9:30 PM)
जब Ranga Sanjay की हत्या के बाद चाकू से खून साफ कर रहा (Delhi Ridge murder 1978) था, तब Billa ने Geeta की ओर रुख किया। उस सुनसान जंगल में खड़ी Fiat कार के भीतर, Billa ने 16 साल की Geeta Chopra के साथ रेप किया। यह अपराध Delhi के सबसे सनसनीखेज अपराधों में से एक बन गया, जिसने पूरे देश को हिला दिया था।
पहले रेप के बाद, Billa ने Ranga को भी बुलाया और उसने भी Geeta का यौन शोषण किया। लेकिन Geeta की पीड़ा यहीं खत्म नहीं हुई। जब Billa ने दूसरी बार फिर से उस पर हमला करने की कोशिश की, तभी Geeta ने हिम्मत दिखाई — उसने पास पड़ी लंबी kirpan को उठाया और पूरी ताकत से Billa के सिर पर मार दी।
यह वार इतना तेज था कि Billa को बाद में टांके लगाने पड़े। चोट खाकर Billa चौंक गया और कुछ कदम पीछे हट गया। Geeta ने इसी मौके का फायदा उठाया और गाड़ी से बाहर निकलकर सड़क की ओर दौड़ पड़ी। वो अधनंगी हालत में मदद के लिए चिल्ला रही थी। लेकिन Ranga ने तुरंत पीछा किया और सड़क तक पहुंचने से पहले ही उसे फिर से पकड़ लिया।
उन्होंने Geeta को फिर से कपड़े पहनने को मजबूर किया और एक और झूठ बोला — कहा कि वे उसे उसके भाई से मिलवाने ले जा रहे हैं। अंधेरे में जैसे ही Geeta उनके आगे-आगे चलने लगी, Billa ने अचानक पीछे से उस पर वार कर दिया।
Billa और/या Ranga ने मिलकर Geeta को कई बार चाकू से गोदा और उसकी उसी तरह हत्या कर दी जैसे Sanjay की की थी। यह पूरी घटना 26 अगस्त 1978 को करीब 9:30 PM के आसपास Delhi की Upper Ridge Road के जंगलों में हुई थी। यह double murder, जिसमें Geeta और Sanjay Chopra की हत्या कर दी गई, इंडिया की क्राइम हिस्ट्री के सबसे दुखद (Delhi crime history) और चर्चित केसों में गिना जाता है। ये केस आज भी इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किए गए Delhi true crime stories में शामिल है।
11) भागने की प्लानिंग: 26–31 अगस्त 1978
Geeta और Sanjay Chopra की बेरहमी से हत्या (Ranga Billa case timeline) करने के बाद, Ranga और Billa ने Geeta की लाश को झाड़ियों में घसीटा और दोनों भाई-बहनों के शवों को Delhi Ridge की घनी झाड़ियों में छिपा दिया। इसके बाद उन्होंने बेहद methodical तरीके से अपनी Fiat कार की सफाई शुरू की — सीटों और अंदरूनी हिस्सों से खून के दाग साफ करने की कोशिश की गई।
उन्होंने वह हर चीज़ इकट्ठा की जिससे उन पर हत्या या बलात्कार का शक जा सकता था — जैसे कि हथियार, personal belongings — और फिर वहां से फरार हो गए। अब उनका मकसद सिर्फ एक था: किसी भी तरह से गिरफ्तारी से बचना। Billa, जो Geeta के द्वारा मारे गए जोरदार वार से घायल हो चुका था (उसे सिर पर टांके लगाने पड़े), इस बात को लेकर निश्चित था कि अब Delhi में रहना बहुत जोखिम भरा है। इसलिए अगली ही सुबह, 28 अगस्त 1978, वह एक ट्रेन पकड़कर Bombay (अब Mumbai) की ओर भाग गया।
Ranga कुछ और दिन Delhi में ही छिपा रहा। लेकिन जैसे ही 30 अगस्त को उसे जानकारी मिली कि Bombay पुलिस के कुछ अफसर Delhi में मौजूद हैं, शायद उसकी तलाश में — उसने घबराकर वो Fiat कार छोड़ दी जिसे उन्होंने चोरी किया था। ये गाड़ी उसने Majlis Park के एक रिहायशी इलाके में खड़ी कर दी, वो भी उस किराए के घर से कुछ ही गलियों की दूरी पर जिसे वे इस्तेमाल कर रहे थे। Ranga ने गाड़ी को जितना हो सके उतना छिपाने की कोशिश की।
31 अगस्त को Ranga ने न्यूज़ में देखा कि पुलिस को वह कार मिल चुकी है। अब मामला गर्म हो चुका था। इसी दौरान Billa भी Bombay से वापस Delhi लौट आया — या तो हालात की जानकारी मिलने के बाद, या खुद प्लान के तहत। जब दोनों को समझ में आ गया कि अब पुलिस बहुत नज़दीक है, तब उन्होंने तुरंत Delhi छोड़ दिया और Agra की ओर भाग गए। ये वही वक्त था जब यह केस दिल्ली और भारत के सबसे ज्यादा चर्चित true crime manhunts में शामिल हो गया था।
(Sources: Ndtv, Official court judgments, Delhi High Court (1979) and Supreme Court (1980–81) summaries, Hindustan Times, Wikipedia summary)
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