May 2025 में China ने अरुणाचल प्रदेश के 27 जगहों के नए नाम जारी किए। वो इसे “South Tibet” कहता है, और ये चौथी बार है, जब उसने ऐसा किया है (पहले 2017, 2021, 2023 में किया था)।
China ने फिर बदले अरुणाचल प्रदेश के नाम
Foreign Ministry ने साफ कहा – “अरुणाचल प्रदेश था, है और रहेगा भारत का हिस्सा। China की ये naming tricks कुछ नहीं बदल सकती।”
भारत का जवाब: “नाम बदलने से ज़मीन नहीं बदलती”
China अरुणाचल को अपना हिस्सा बताता है और इसे “Zangnan” (South Tibet) के नाम से बुलाता है।
Arunachal पर China का पुराना दावा
2017, 2021, 2023 और अब 2025 — हर बार जब भी China ने नाम बदले, भारत ने उसे reject किया।
भारत का जवाब हर बार एक जैसा रहा है
India-China के बीच 1962 की वॉर के बाद से ही Arunachal एक sensitive issue बना हुआ है। China ने तब Tawang तक कब्जा कर लिया था लेकिन बाद में पीछे हट गया।
1962 की लड़ाई के बाद से तनाव जारी है
Asian Games 2023 में China ने अरुणाचल के 3 खिलाड़ियों को stapled visa दिया। India ने इस पर कड़ा विरोध जताया और delegation ही भेजने से मना कर दिया।
2023 में खेलों के दौरान वीज़ा विवाद
US ने साफ कहा – “We recognize Arunachal Pradesh as an integral part of India.” ये एक strong diplomatic backing थी भारत के लिए।
USA और कई देशों ने भारत को support किया
Experts मानते हैं कि ये China की “salami slicing” strategy का हिस्सा है — पहले नक्शों में बदलाव, फिर naming, फिर धीरे-धीरे territorial claim को legitimize करना।
Naming strategy का क्या मकसद है China का?
India ने Infra development तेज किया है — Arunachal में नई roads, tunnels और bridges बनाए जा रहे हैं, जैसे Sela Tunnel, जो strategically important है।
भारत भी अब पीछे नहीं
April 2025 में भारत ने Himalayan Buddhist monasteries में Chinese influence कम करने के लिए नया syllabus शुरू किया — ताकि cultural roots मजबूत रहें।
Education front पर भी तैयारी
2021 के डेटा के मुताबिक, Arunachal में 600+ villages हैं, और उनमें से कई border से सिर्फ 5-10 KM दूर हैं। चीन द्वारा नाम बदलना, इन जगहों पर psychological pressure बनाने की कोशिश है।
आंकड़े बताते हैं – ये सिर्फ symbolic नहीं है
भारत ने साफ कर दिया है – “कोई भी देश किसी भी जगह का नाम बदल ले, Arunachal Pradesh हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा।” ये मुद्दा सिर्फ maps का नहीं, sovereignty का है।