How to Reach Simhachalam Temple? Best Time, Travel Guide & Giri Pradakshina Complete Info in Hindi

Breaking News: अगर आप पहली बार सिंहाचलम दर्शन या गिरी प्रदक्षिणा के लिए जा रहे हैं या प्लान (How to Reach Simhachalam Temple) कर रहे हैं, तो यह गाइड आपके लिए बेहद उपयोगी होगा। सिंहाचलम मंदिर विशाखापत्तनम (Vizag) से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान एयर, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, यानी आप आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं, लेकिन उसके बाद की यात्रा आपके लिए थोड़ी कठिन हो सकती है, आइए जानते हैं क्यों?

  • हवाई मार्ग (By Air): विशाखापत्तनम इंटरनेशनल एयरपोर्ट भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से सिंहाचलम मंदिर तक टैक्सी या ऑटो से 45 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
  • रेल मार्ग (By Train): विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है। स्टेशन से टैक्सी, बस या लोकल ऑटो के माध्यम से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
  • सड़क मार्ग (By Road): APSRTC की Regular bus service विशाखापत्तनम शहर से सिंहाचलम मंदिर तक उपलब्ध हैं। आप निजी गाड़ी या कैब के माध्यम से भी यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।

How to Reach Simhachalam Temple? Best Time

Simhachalam में जाने का बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च में होता है। इस वक्त वहां का मौसम भी अच्छा रहता है और ज्यादा भीड़ भी नहीं मिलती। इसके अलावा आप Simhachalam की यात्रा चंदन उत्सव (Chandanotsavam 2025) के दौरान कर सकते हैं। ज्यादातर लोग इसी समय Simhachalam की यात्रा करते हैं। चंदन उत्सव अक्षय तृतीया के दिन होता है, जब लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। यह पर्व गर्मियों में आता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा गिरी प्रदक्षिणा भी Simhachalam जाने का बेस्ट टाइम है। यह आषाढ़ पूर्णिमा (जुलाई) की रात को मनाई जाती है। यदि आप प्रदक्षिणा में भाग लेना चाहते हैं, तो इस दिन की योजना बनाएँ।

सिंहाचलम किस ज़िले में है?

सिंहाचलम (Simhachalam) भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के विशाखापत्तनम (Which district is Simhachalam in?) ज़िले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह स्थान भगवान नारसिंह (Narasimha) को समर्पित सिंहाचलम मंदिर (Simhachalam Temple) के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष यहाँ लाखों श्रद्धालु गिरी प्रदक्षिणा (Giri Pradakshina) के लिए एकत्र होते हैं। यह परंपरा न केवल आस्था से जुड़ी है, बल्कि भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मंदिर में 3 दिन बेहद ख़ास होते हैं। पहला चंदन उत्सव (Chandanotsavam), यह अक्षय तृतीया पर मनाया जाता है। दूसरा नरसिंह जयंती, यह भगवान नरसिंह के प्रकट होने का दिन है। तीसरा कार्तिक मासम, इस महीने में विशेष पूजा और दीपोत्सव का आयोजन होता है।

विशाखापत्तनम को शॉर्ट में ‘विज़ाग’ (Vizag) कहा जाता है। विज़ाग एक प्रमुख बंदरगाह शहर है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। अब आप सोच रहे होंगे इसे विजाग क्यों कहा जाता है? (Why is Visakhapatnam called Vizag?) असल में Visakhapatnam काफी बड़ा शब्द है, इसलिए ब्रिटिश काल के दौरान Visakhapatnam को बोलने में थोड़ा आसान बनाने के लिए Vizagapatam और बाद में Vizag कहा गया। यानी कि यह इसका निक name है।

What is Simhachalam famous for?

सिंहाचलम एक प्राचीन तीर्थस्थल है जो भगवान श्री वराह नरसिंह स्वामी को समर्पित है। यह मंदिर दक्षिण भारत की वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है और इसे विष्णु के नौवें अवतार – नरसिंह के रूप की पूजा के लिए जाना जाता है। यहाँ भगवान की मूर्ति साल भर चंदन लेप (chandanam) से ढकी रहती है, जो सिर्फ एक दिन (अक्षय तृतीया) को हटाई जाती है। इस प्रक्रिया को ‘चंदन उत्सव’ कहा जाता है।

सिंहाचलम मंदिर का इतिहास (History of Simhachalam Temple)

ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार सिंहाचलम मंदिर का निर्माण प्रारंभिक पूर्वी गंगा राजवंश के समय (11वीं सदी) में हुआ था। मंदिर का वर्तमान स्वरूप विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया। श्री कृष्णदेवराय जैसे राजा यहाँ दर्शन करने आते थे। यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जो भगवान नरसिंह के उग्र रूप में श्रद्धा रखते हैं।

अगर इस मंदिर की वास्तुकला (architecture) की बात करें, तो यह डॉविड़ और कलिंगा शैली में है। इसमें बड़े बड़े स्तम्भ हैं, जिन पर नक्काशी हुई है, इसके अलावा मंडप और गोपुरम अत्यंत भव्य हैं। मंदिर के कैंपस में 16 शिलालेख मिले हैं, जिनमें डाटा लिखा हुआ है कि किस राजा ने वहां कितना दान किया था।

सिंहाचलम मंदिर दर्शन समय

यहां अगर दर्शन की टाइमिंग (Simhachalam Temple Timings) की बात करें, तो मंदिर सुबह 7:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। हालंकि विशेष दिनों में जैसे नरसिंह जयंती और अक्षय तृतीया पर समय में बदलाव किया जाता है। दर्शन के लिए दो मुख्य स्लॉट होते हैं – सुबह और शाम।

Giri Pradakshina History

गिरी प्रदक्षिणा (Giri Pradakshina) एक लम्बे समय से चली आ रही परंपरा है। इसमें श्रद्धालु सिंहाचलम की पहाड़ी की पूरी परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा आषाढ़ पूर्णिमा की रात से शुरू होती है और यह लगभग 34 किलोमीटर लंबी होती है। श्रद्धालु पूरी रात पैदल चलते हुए यह यात्रा करते हैं। यह परिक्रमा भगवान के प्रति श्रद्धा और आत्मशुद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

How to start Giri Pradakshina

प्रदक्षिणा आमतौर पर शाम को शुरू होती है, लेकिन भक्त दोपहर से ही विशाखापत्तनम की सड़कों पर एकत्र होना शुरू कर देते हैं। यात्रा के दौरान कई धार्मिक संगठन और स्वयंसेवी समूह रास्ते में जल, नींबू पानी, प्रसाद और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा प्रदान करते हैं। रास्ते में कुछ स्थल जैसे हनुमान मंदिर, पंचधारा और गंगाधारा आदि पर रुककर पूजा की जाती है।

यह न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक विशाल सामाजिक समागम का रूप ले चुका है। यहाँ कई जातियों, वर्गों और क्षेत्रों के लोग एक साथ चलकर सामाजिक समरसता का प्रतीक प्रस्तुत करते हैं। प्रशासन की ओर से विशेष ट्रैफिक व्यवस्था, पुलिस सुरक्षा, और सफाई अभियान की व्यवस्था होती है।

Giri Pradakshina Distance and Duration

गिरी प्रदक्षिणा की दूरी लगभग 34 किलोमीटर है। इसे पूरा करने में लगभग 6 से 10 घंटे का समय लगता है, हालाँकि यह आप पर निर्भर करता है कि आप इस यात्रा में कितनी स्पीड से पूरा करते हैं। लम्बी यात्रा है, बीच में रेस्ट भी करनी पड़ती है, कुछ पड़ाव भी हैं, जहाँ पूजा करनी होती है, ऐसे में जितना टाइम इस सब में जाता है, उतना ही ज्यादा टाइम Giri Pradakshina में लगता है। यह यात्रा काफी कठिन भी है, एक साथ आपको 34 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

How many steps is Simhachalam?

सिंहाचलम मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 1000 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। हालाँकि, अगर आप सड़क से होते हुए जाएँ, तब भी मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। प्रदक्षिणा के बाद अधिकांश भक्त मंदिर में दर्शन करने पहुँचते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट और निजी वाहन की सुविधा भी उपलब्ध है।

What is special about Simhachalam?

यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान नरसिंह का रूप चंदन से ढका रहता है। यह मंदिर वास्तुकला, धर्म, और परंपराओं का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। गिरी प्रदक्षिणा इसकी सबसे विशेष परंपरा मानी जाती है, जिसमें भाग लेना भक्तों के लिए पुण्य का कार्य समझा जाता है। सिंहाचलम गिरी प्रदक्षिणा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास और भक्ति का उत्सव भी है। इसकी 34 किलोमीटर की यात्रा श्रद्धालुओं के मन में एक नई ऊर्जा और आस्था का संचार करती है। यदि आप आत्मिक शांति की तलाश में हैं, तो यह यात्रा आपके लिए एक यादगार अनुभव बन सकती है।

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