Kashmir Terrorist Attack 2025: Pahalgam Terror Attack के बाद कितना कम हो जायेगा Tourism | Experts Insight

Latest Story: कश्मीर जैसे खूबसूरत टूरिज़्म डेस्टिनेशन पर आतंकी हमला (Kashmir Terrorist Attack 2025) सिर्फ जान लेने के लिए नहीं, बल्कि देश की छवि को चोट पहुँचाने के लिए भी किया जाता है। इन हमलों का मकसद डर और अनिश्चितता फैलाना होता है, जिसका सबसे ज्यादा असर टूरिज़्म इंडस्ट्री पर पड़ता है।

Kashmir Terrorist Attack 2025: इकॉनमी पर असर

सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, 2022 में लगभग 1.88 करोड़ टूरिस्ट कश्मीर आए थे, जो एक दशक का रिकॉर्ड था। लेकिन जैसे ही कोई आतंकी हमला होता है, होटल बुकिंग्स 30% से 70% तक गिर जाती हैं। कश्मीर में लगभग 2.5 लाख लोग सीधे टूरिज़्म इंडस्ट्री पर निर्भर करते हैं। जब हमले होते हैं, तो ना सिर्फ इनकी रोज़ी-रोटी छिनती है, बल्कि पूरे क्षेत्र की इकॉनमी को झटका लगता है। एक भी हमला पूरे टूरिस्ट सीज़न को खराब कर देता है।

टूरिस्ट पर अटैक क्यों करते हैं आतंकवादी?

दुनिया भर में आतंकवादी संगठनों की यह स्ट्रैटेजी होती है कि वो ऐसी जगह को निशाना बनाएं, जहाँ ज्यादा लोग हों और जिससे इंटरनेशनल मीडिया में तुरंत खबर बने। उनके इस मकसद के लिए टूरिस्ट प्लेस से बढ़िया ऑप्शन कुछ नहीं, जहाँ लोगों की भीड़ और मीडिया की पहुँच दोनों मिल जाती है। टूरिस्ट प्लेस इसीलिए उनके लिए सबसे आसान और असरदार टारगेट बन जाते हैं।

भारत की आज़ादी के साथ ही कश्मीर एक पॉलिटिकली और इंटरनेशनली सेंसेटिव एरिया बन गया था, और अब वहां अगर कोई हमला होता है, तो वो सिर्फ देश ही नहीं, पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन जाता है। Tourism किसी भी देश की soft power होती है। इस पर अटैक करके आतंकवादी उस देश की इमेज और इकॉनमी दोनों पर वार करते हैं।

पहलगाम को ही क्यों चुना गया?

कश्मीर के गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग और श्रीनगर जैसी जगहों पर हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं। जब किसी जगह पर भीड़ ज्यादा होती है, तो हमला करने का असर भी बड़ा होता है। Peak tourist seasons जैसे अप्रैल से जुलाई के बीच टूरिस्ट बसें, होटल्स और बोटिंग पॉइंट्स हमेशा फुल होते हैं। ऐसे समय में हमला करने से न केवल जान-माल का नुकसान होता है, बल्कि पूरे देश में डर और गुस्से की लहर दौड़ जाती है। टूरिस्ट्स को टारगेट करके आतंकवादी यह दिखाना चाहते हैं कि राज्य में कोई भी सुरक्षित नहीं है, और इसी से international media का ध्यान भी attract होता है।

कश्मीर में हुए कुछ बड़े हमले

  • 2024 में पहलगाम में ग्रेनेड अटैक हुआ, जिसमें गुजरात के 3 टूरिस्ट घायल हो गए। इस हमले का इम्पैक्ट इतना ज्यादा हुआ कि इसके बाद 72 घंटे में लगभग 45% होटल बुकिंग्स कैंसिल हो गईं।
  • 2017 में अमरनाथ यात्रा के दौरान हमला हुआ, जिसमें 5 से ज्यादा श्रद्धालु मारे गए और कई घायल हो गए। ऐसे हमलों के बाद टूरिज्म का कम होना तय है और इस हमले के बाद अगले महीने टूरिज्म 65% तक गिर गया।
  • 2006 में श्रीनगर में एक कार बम धमाका हुआ था, जिसमें टूरिस्ट बस को निशाना बनाया गया। इस हमले में 10 से ज्यादा लोग मारे गए और इसके बाद कई यूरोपीय देशों ने कश्मीर को “रेड ज़ोन” घोषित कर दिया।

फ्रांस में टूरिज़्म 1.5 मिलियन कम हुआ

  • पेरिस में 2015 में Bataclan अटैक हुआ था। इस हमले ने वहां की टूरिज्म इंडस्ट्री को बुरे तरीके से प्रभावित किया था। इस हमले के बाद अगले साल फ्रांस में टूरिज़्म 1.5 मिलियन कम हुआ और होटल्स को लगभग €270 मिलियन का नुकसान हुआ।
  • 2002 में बाली बॉम्बिंग्स में 202 लोग मारे गए, जिनमें ज़्यादातर टूरिस्ट्स थे। इसके बाद इंडोनेशियन टूरिज़्म 50% तक गिर गया।
  • 2015 में इजिप्ट में रशियन प्लेन बमिंग में 224 लोगों की मौत हुई। इसके बाद रूस और UK ने कई महीनों तक वहां की फ्लाइट्स रोक दीं। टूरिज़्म में 41% की गिरावट हुई।

सरकार ने टूरिस्ट स्पॉट्स पर CRPF की तैनाती बढ़ाई है और कई स्थानों पर ड्रोन सर्विलांस शुरू कर दिया गया है। श्रीनगर के प्रमुख टूरिस्ट स्थलों पर अब Tourism Police भी नियुक्त की गई है जो tourists की सुरक्षा के लिए specially trained होती है। इसके साथ ही, कई लोकल लोग अब suspicious activity होते ही पुलिस को सूचित करते हैं। यह पहले नहीं होता था क्योंकि लोग डरते थे। लेकिन अब धीरे-धीरे माहौल बदल रहा है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद यह लगने लगा है कि शायद और सुधार की जरूरत थी, जो नहीं किया गया, नतीजतन Pahalgam terror attack में 26 लोगों ने जान गंवाई!

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