क्या Artificial Sweeteners से बढ़ रहा दिल की बीमारियों का खतरा?

Artificial Sweeteners and Heart Disease: हाल ही में कई स्टडीज और रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जो दिखाती हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स, जैसे कि ज़ाइलीटॉल (Xylitol) और एरिथ्रिटॉल (Erythritol), न केवल शुगर का एक कम-कैलोरी विकल्प हैं, बल्कि इनके हेल्थ पर गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इन स्वीटनर्स को आमतौर पर डायबिटीज और वजन घटाने के लिए बेहतर विकल्प माना जाता था, लेकिन अब इन पर नए डेटा सामने आ रहे हैं, जो हमें सावधान रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

Are artificial sweeteners increasing the risk of heart disease?

क्या है आर्टिफिशियल स्वीटनर?

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स वे केमिकल कंपाउंड होते हैं, जो शुगर की मिठास देते हैं लेकिन बिना कैलोरी के। इनका इस्तेमाल डायबिटीज मरीजों और वजन घटाने के इच्छुक लोगों द्वारा किया जाता है। आमतौर पर ये स्वीटनर्स डाइट सोडा, शुगर-फ्री स्नैक्स, और दवाओं में पाए जाते हैं।

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के कुछ उदाहरण हैं:

  • एस्पार्टेम (Aspartame): डाइट ड्रिंक्स और लो-कैलोरी प्रोडक्ट्स में बहुत ही सामान्य है।
  • सैक्रिन (Saccharin): सबसे पुराना और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला स्वीटनर है।
  • सुक्रालोज (Sucralose): ज्यादातर बेकिंग के लिए इस्तेमाल होता है।
  • ज़ाइलीटॉल (Xylitol) और एरिथ्रिटॉल (Erythritol): ये शुगर अल्कोहल्स के रूप में जाने जाते हैं, और शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होते हैं।

National Institutes of Health (NIH) के अनुसार सैकरीन की खोज एक सदी से भी पहले हुई थी और इसका इस्तेमाल 100 से ज़्यादा सालों से खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में गैर-कैलोरी स्वीटनर के रूप में किया जाता रहा है। लेड वाली चीनी के अलावा, सैकरीन पहला artificial sweetener था, जो 1879 में खोजा गया। यह विश्व युद्ध के दौरान बहुत लोकप्रिय हुआ, क्योंकि शुगर की कमी हो गई थी और  शुरुआती दिनों में इसे शुगर का सस्ता विकल्प माना जाता था। इसके बाद एस्पार्टेम और सुक्रालोज जैसे स्वीटनर्स विकसित किए गए, जो वजन घटाने के उपाय के रूप में तेजी से पॉपुलर हो गए। 1960 के दशक में एस्पार्टेम की खोज हुई, जिसे लो-कैलोरी डाइट का एक अहम हिस्सा माना जाने लगा।

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के फायदे | Benefits of artificial sweeteners

  • वजन नियंत्रण: कम कैलोरी वाले होने के कारण, ये स्वीटनर्स वजन घटाने में मददगार हो सकते हैं।
  • डायबिटीज मैनेजमेंट: ये स्वीटनर्स ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं, क्योंकि ये इंसुलिन की प्रतिक्रिया को प्रभावित नहीं करते।
  • डेंटल हेल्थ: आर्टिफिशियल स्वीटनर्स कैविटी नहीं बनाते, इसलिए इन्हें शुगर-फ्री गम और माउथवॉश में भी इस्तेमाल किया जाता है।

लेटेस्ट स्टडीज़ और हेल्थ रिस्क

2024 की National Institutes of Health (NIH) की एक बड़ी स्टडी ने ज़ाइलीटॉल को हृदय संबंधी जोखिम (cardiovascular risk) से जोड़ा है। NIH और Cleveland Clinic की रिसर्च में यह पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से ज़ाइलीटॉल युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, उनमें ब्लड क्लॉटिंग और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इस स्टडी में शामिल जिन लोगों के खून में सबसे ज़्यादा ज़ाइलीटॉल के स्तर पाए गए, उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम लगभग 50% अधिक था। 

क्या ज़ाइलीटॉल हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है?

स्टडी के दौरान, शोधकर्ताओं ने पाया कि ज़ाइलीटॉल न केवल प्लेटलेट्स (platelets) को अधिक संवेदनशील बना देता है, बल्कि इससे ब्लड क्लॉट्स (रक्त के थक्के) जल्दी बनने लगते हैं। रिसर्च में पाया गया कि जब ज़ाइलीटॉल-मीठे पेय को लोगों ने पिया, तो उनके ब्लड में ज़ाइलीटॉल का स्तर तेजी से बढ़ गया और 4-6 घंटे तक ब्लड क्लॉटिंग का खतरा पाया गया। इस बढ़ी हुई प्लेटलेट ने हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा दिया।

एरिथ्रिटॉल vs ज़ाइलीटॉल?

यह रिसर्च पहले से ही विवादों में रहे एरिथ्रिटॉल पर किए गए अध्ययनों के समान है। इससे पहले, एरिथ्रिटॉल को भी हृदय संबंधी समस्याओं से जोड़ा गया था। अब दोनों स्वीटनर्स के मामले में यह सवाल उठता है कि क्या सभी शुगर अल्कोहल्स (sugar alcohols) सुरक्षित हैं, खासकर जब इनका उपयोग उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो डायबिटीज या मोटापे से ग्रस्त हैं।

सिर्फ हृदय संबंधी जोखिम ही नहीं, आर्टिफिशियल स्वीटनर, खासकर एस्पार्टेम (Aspartame), को लेकर भी बहस जारी है। Food Standards Australia New Zealand (FSANZ) और अन्य अंतरराष्ट्रीय नियामक एजेंसियों ने टेबलटॉप स्वीटनर, कार्बोनेटेड शीतल पेय, दही और कन्फेक्शनरी सहित कई खाद्य पदार्थों में सामान्य उपयोग के लिए एस्पार्टेम को मंजूरी दी है। हालाँकि इस पर हुए कुछ अध्ययनों ने संवेदनशील व्यक्तियों में पित्ती और सूजन जैसे एलर्जी के लक्षणों की पुष्टि की है।

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क्या आपको ज़ाइलीटॉल से बचना चाहिए?

यदि आप शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स का सेवन कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप जानें कि आपके भोजन में कौन से शुगर अल्कोहल्स शामिल हैं। ज़ाइलीटॉल सबसे ज्यादा शुगर-फ्री कैंडी, गम, और बेक्ड प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। हालांकि, इसे मॉडरेशन में लेना सबसे बेहतर तरीका है। खासकर अगर आप डायबिटीज या हृदय रोग से जूझ रहे हैं, तो इन स्वीटनर्स से बचने में ही भलाई है।

दुनिया भर में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2023 में एस्पार्टेम को संभावित रूप से कार्सिनोजेनिक करार दिया, जबकि FDA और European Food Safety Authority (EFSA) ने इसके सीमित उपयोग को सुरक्षित बताया।

अमेरिका में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का सबसे ज्यादा उपयोग डाइट ड्रिंक्स में होता है, जबकि यूरोप में सुक्रालोज का ज्यादा उपयोग देखा जाता है; जबकि एशिया में, लोग शुगर के प्राकृतिक विकल्प जैसे स्टेविया और मॉन्क फ्रूट की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

सरकार क्या कहती है?

FDA (यू.एस.) ने कई आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को मंजूरी दी है, जिनमें एस्पार्टेम और सुक्रालोज प्रमुख हैं। इनका कहना है कि ये स्वीटनर्स सीमित मात्रा में सेवन करने पर सुरक्षित हैं। European Food Safety Authority (EFSA)ने 2013 में एस्पार्टेम पर एक रिसर्च जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि सामान्य मात्रा में इसका सेवन सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। हालांकि, अब WHO की नई रिपोर्ट के बाद EFSA भी इस पर नए सिरे से विचार कर रहा है। 

भारत में FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) ने आर्टिफिशियल स्वीटनर्स की एक निश्चित मात्रा में उपयोग को मंजूरी दी है। FSSAI के अनुसार, इनके उपयोग की लिमिट्स को ध्यान में रखकर ही प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के फायदों के साथ उनके जोखिमों को समझना ज़रूरी है। जबकि ये कैलोरी कम करने और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन इनके लॉन्ग-टर्म हेल्थ इफेक्ट्स पर अभी भी और रिसर्च की जरूरत है।

डॉ. हेज़न और अन्य विशेषज्ञों की राय में, मॉडरेशन सबसे सही तरीका है। हमें यह समझने की जरूरत है कि कोई भी आर्टिफिशियल स्वीटनर पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, खासकर उन लोगों के लिए जो डायबिटीज़ या हृदय संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं

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