Latest Health News: होली… रंगों का त्योहार! लेकिन क्या ये रंग सच में खुशी के हैं या आपके लिए खतरनाक ज़हर (Toxic Holi Colors) बन चुके हैं? सोचिए, जो गुलाल आप चेहरे पर लगा रहे हैं, वो कहीं कैमिकल फैक्ट्री से तो नहीं आ रहा? क्या ये सच है? क्या आप जो रंग खेल रहे हैं, वो सच में सुरक्षित हैं या सिर्फ एक बड़ा झूठ? आज हम होली के रंगों में छिपे ज़हरीले सच का पर्दाफाश करेंगे—एक ऐसा सच जो आपको चौंका देगा!
होली के रंगों में छिपा ज़हर!
1990 के दशक तक होली के रंग हल्दी, नीम, टेसू के फूल और चंदन से बनाए जाते थे। आज, बाजार में मिलने वाले ज्यादातर रंग industrial dyes और chemicals से भरे होते हैं। ये वही केमिकल्स हैं जो फैक्ट्रियों में टेक्सटाइल, कार पेंट और बैटरियों में इस्तेमाल किए जाते हैं! अब सोचिए, जब ये केमिकल्स कार और कपड़ों पर इस्तेमाल होने के लिए बने हैं, तो इन्हें आपकी त्वचा, आँखों और फेफड़ों पर लगाने का अंजाम क्या हो सकता है?
🔴 लाल रंग – इसमें मरकरी सल्फाइड पाया जाता है, जो नर्वस सिस्टम को डैमेज कर सकता है और त्वचा में जलन पैदा करता है। अगर बार-बार इस रंग का संपर्क हो, तो यादाश्त कमजोर हो सकती है।
⚫ काला रंग – इसमें लेड ऑक्साइड होता है, जो किडनी फेलियर और कैंसर का कारण बन सकता है। रिसर्च के मुताबिक स्किन के ऊपर आप जो भी लगा रहे हैं वो डायरेक्ट आपके शरीर के अंदर जा रहा है, जो खून में मिलकर कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
🟢 हरा रंग – कॉपर सल्फेट से बना होता है, जो आँखों में तेज जलन, dryness, इर्रिटेशन के साथ साथ emporary blindness का कारण बन सकता है।
🟣 बैंगनी रंग – इसमें क्रोमियम आयोडाइड पाया जाता है, जो अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों को जन्म देता है। यह रंग हवा में मिलकर सांस के ज़रिए शरीर में चला जाता है और लंबे समय तक खतरनाक असर छोड़ता है। (स्रोत: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ, भारत)
अब सोचिए, जब ये रंग शरीर पर पड़ते हैं या गलती से मुँह में चले जाते हैं, तो कितना बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं! क्या आप चाहेंगे कि आपकी स्किन पर वही केमिकल लगे जो गाड़ियों की बॉडी पेंट करने में इस्तेमाल होते हैं?
असली घटनाएँ: फेफड़ों को जहरीले रंगों ने किया खराब
- होली के बाद झुलस गई त्वचा: 2019 में, मुंबई के रोहित शर्मा (नाम बदला गया) ने होली खेलने के बाद गंभीर स्किन बर्न की शिकायत की। बाद में टेस्ट हुआ तो पता चला कि उनके इस्तेमाल किए रंगों में लेड और मरकरी था, जिसने त्वचा की ऊपरी परत को जला दिया!
- फेफड़ों को जहरीले रंगों ने किया खराब: दिल्ली की अनीता वर्मा, जो अस्थमा की मरीज थीं, होली के दौरान बैंगनी रंग से संपर्क में आईं। यह रंग क्रोमियम आयोडाइड से बना था, जिससे उनकी सांस फूलने लगी और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
क्या यह सिर्फ भारत की समस्या है?
भारत में होली के रंगों को लेकर कोई कड़े नियम नहीं हैं, जिससे बाजार में खतरनाक रसायनों वाले रंग आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
- ब्रिटेन और अमेरिका में सिर्फ प्लांट-बेस्ड या फूड-ग्रेड कलर्स की अनुमति है।
- जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं, जिससे वहां सिर्फ non-toxic and eco-friendly colors ही बिकते हैं।
- भारत में आज भी बैन किए गए लेड और आर्सेनिक वाले रंग खुलेआम बिक रहे हैं!
नकली “हर्बल रंग” का Scam?
“100% हर्बल रंग” का टैग देखकर आपको भरोसा हो जाता है, लेकिन क्या ये वाकई सच है? 2022 में Consumer Affairs Ministry ने 70% so-called “Herbal Colors” का टेस्ट किया और पाया कि इनमें भी Lead और Arsenic था! (स्रोत: कंज़्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री रिपोर्ट, भारत 2022) मतलब… जो हर्बल दिख रहा है, वो भी असल में जहर हो सकता है!
2016 में सरकार ने प्लास्टिक बैन किया, लेकिन यह प्लास्टिक गुलाल और गुब्बारों को बैन करने की नाकाम कोशिश थी। 2019 में Chemical testing rules आये, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ, जिससे ज़हरीले रंग अब भी बाजार में मिल जाते हैं। नाममात्र इको-फ्रेंडली होली कैंपेन भी चलते हैं, लेकिन सिर्फ पोस्टर्स और एड्स में, लेकिन असल ज़िंदगी में कोई असर नहीं दिखा। सरकार ने कोशिश की, लेकिन सख्त नियम लागू न होने की वजह से आज भी लोग जहरीले रंगों का शिकार हो रहे हैं। कोई भी कानून बनाने के बाद administration भूल जाता है कि law enforcement को भी देखना था!
सेफ होली कैसे मनाये?
घर में बनाए रंग इस्तेमाल करें! हल्दी + बेसन से पीला, चुकंदर से लाल, और मेहंदी से हरा रंग आसानी से बनाया जा सकता है। सिर्फ ब्रांडेड और सर्टिफाइड ऑर्गेनिक रंग ही खरीदें, बाजार में कई certified organic colors मिल जाते हैं, जो सेफ हो सकते हैं। याद रखें होली तभी मज़ेदार होगी जब यह सेफ और केमिकल वाले रंगों से नहीं होगी। तो इस बार होली खेलें, मगर समझदारी से!
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