Breaking News: अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति Donald Trump ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल 2025 से अमेरिका उन देशों पर ‘Reciprocal Tariffs’ लगाएगा, जो अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैरिफ लगाते हैं। खासकर भारत और चीन को इस नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित माना जा रहा है। अब सवाल ये है कि Trump की ये नई ट्रेड पॉलिसी क्या है? भारत, चीन और बाकी देशों पर इसका क्या असर होगा? क्या इससे ग्लोबल ट्रेड वॉर तेज़ हो जाएगी? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
क्या होता है Reciprocal Tariffs?
Reciprocal Tariffs यानी ‘जैसे को तैसा’ टैरिफ पॉलिसी। मतलब अगर कोई देश अमेरिका के सामान पर ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी लगाता है, तो अमेरिका भी उतनी ही ड्यूटी उस देश के प्रोडक्ट्स पर लगा देगा। मान लो अगर भारत, चीन या यूरोप अमेरिका से आने वाले प्रोडक्ट्स पर 30% इम्पोर्ट ड्यूटी लगाते हैं, तो अमेरिका भी उनके सामान पर 30% टैरिफ लगाएगा। इससे पहले अमेरिका का तरीका अलग था, अमेरिका Free Trade को प्रोमोट करता था, लेकिन अब Trump- ‘America First’ पॉलिसी पर फोकस कर रहे हैं। सिर्फ ट्रेड ही नहीं, हर चीज़ के लिए अमेरिकियों को आगे रखने का फैसला किया है। Trump का बयान था कि “अगर कोई देश हमारे प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाता है, तो हम भी उन पर वही टैक्स लगाएंगे। ये सिर्फ़ फेयर ट्रेड का हिस्सा है।”
अमेरिका के लिए फायदे
अमेरिकी कंपनियों को सुरक्षा मिलेगी, जिससे उनका ग्रोथ बढ़ सकता है। सरकार को ज्यादा टैक्स रेवेन्यू मिलेगा। चीन, भारत और दूसरे देशों पर ट्रेड बैलेंस का दबाव डाला जा सकेगा। लेकिन इसके कुछ नुक्सान भी अमेरिका को हो सकते हैं, जैसे दूसरे देश अमेरिकी सामान पर जवाबी टैरिफ (Counter Tariffs) लगा सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी बाजारों में एक्सपोर्ट करना मुश्किल हो सकता है। और हो सकता है इससे Global Trade War की सिचुएशन बन जाए। और अमेरिकी ग्राहकों को प्रोडक्ट्स महंगे मिल सकते हैं।
भारत पर पड़ेगा असर?
भारत कई अमेरिकी उत्पादों पर उच्च इम्पोर्ट ड्यूटी लगाता है, जैसे ऑटोमोबाइल्स (100%+ टैरिफ), इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा। ट्रंप का कहना है कि ये सही ट्रेड पॉलिसी नहीं है और अब अमेरिका इसका जवाब देगा। इसका असर भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर पर हो सकता है। वहीँ अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही ट्रेड वॉर चल रही है। इस नई नीति से चीन पर और कड़े टैरिफ लगाए जा सकते हैं, जिससे व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन (EU) भी कई अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाता है। अगर अमेरिका जवाबी टैरिफ लगाता है, तो यूरोप और अमेरिका के व्यापारिक संबंध बिगड़ सकते हैं।
भारत के IT और फार्मा सेक्टर पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि भारतीय IT और फार्मा कंपनियों का अमेरिका में बड़ा मार्केट है। ऐसे में अगर Reciprocal Tariffs लागू होते हैं, तो भारतीय कंपनियों को अमेरिका में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीँ इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक सेक्टर पर भी बुरा असर होगा। Apple और अन्य टेक कंपनियां भारत में प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं। अगर अमेरिका भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, तो भारत से अमेरिकी बाजार में भेजे जाने वाले प्रोडक्ट्स महंगे हो सकते हैं। इससे भारत-अमेरिका ट्रेड रिलेशन बिगड़ जायेंगे, ऐसा न हो इसलिए भारत को नई ट्रेड डील्स और एग्रीमेंट्स पर चर्चा करनी होगी, ताकि इस पॉलिसी के असर को कम किया जा सके।
Trump की Reciprocal Tariffs पॉलिसी इंटरनेशनल ट्रेड में बड़ा बदलाव ला सकती है। इससे अमेरिका को शार्ट टर्म के लिए फायदा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए यह व्यापारिक रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकती है। भारत और चीन को इस स्थिति के लिए तैयार रहना होगा, ताकि वे अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति बनाए रख सकें।
दुनियाभर में लगने वाले टैरिफ?
हर देश अपनी इकोनॉमी को प्रोटेक्ट करने के लिए अलग-अलग तरह के टैरिफ और टैक्स लगाता है। आइए, इन्हें आसान भाषा में समझते हैं!
Import Tariffs
जब कोई देश बाहर से सामान मंगाता है, तो उस पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है। इसका मुख्य मकसद लोकल कंपनियों को बचाना और सरकार की कमाई बढ़ाना होता है। उदाहरण के लिए भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, कारें और विदेशी शराब पर हाई इम्पोर्ट ड्यूटी लगती है, ताकि लोकल प्रोडक्ट्स सस्ते रहें और विदेशी ब्रांड्स से मुकाबला कर सकें।
Export Tariffs
कुछ देश अपने ही देश से बाहर जाने वाले सामान पर टैक्स लगाते हैं, ताकि उनके देश में वो प्रोडक्ट सस्ता रहे और कम न हो जाए। जैसे चीन ने 2023 में रेयर अर्थ मटेरियल्स (Rare Earth Materials) और हाई-टेक कंपोनेंट्स के एक्सपोर्ट पर टैक्स लगा दिया था, ताकि अपनी इंडस्ट्री को फायदा मिले।
Countervailing Duties (CVD)
अगर किसी देश की सरकार अपने लोकल बिज़नेस को सब्सिडी देकर उनके प्रोडक्ट्स को सस्ता बनाती है, तो इम्पोर्टिंग देश उस पर CVD टैक्स लगाता है, ताकि मुकाबला बराबरी का हो। जैसे अमेरिका ने चीन की स्टील इंडस्ट्री पर CVD लगाया था, क्योंकि चीन सरकार ने इसे सस्ता बनाने के लिए मदद दी थी।
Anti-Dumping Duties
जब कोई देश जानबूझकर अपने प्रोडक्ट्स को बहुत सस्ते दामों में दूसरे देश में बेचता है, जिससे वहां की लोकल कंपनियां बंद होने लगती हैं, तो इम्पोर्टिंग देश इस पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाता है। जैसे भारत ने चीन से आने वाले मोबाइल पार्ट्स, सोलर पैनल्स और स्टील पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है, ताकि भारतीय इंडस्ट्री को नुकसान न हो।
Value-Added Tax (VAT)
यह टैक्स कंज्यूमर लेवल पर लगता है, खासतौर पर यूरोप में। मतलब जब भी कोई प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग, होलसेल, या रीटेल स्टेज से गुजरता है, तो उस पर टैक्स लगता है। पहले यह भारत में भी था, लेकिन जीएसटी के आने के बाद बंद हो गया। लेकिन यूके में VAT 20% तक होता है, जिससे वहां के प्रोडक्ट्स महंगे हो जाते हैं।
Excise Duties
यह टैक्स देश के अंदर बने प्रोडक्ट्स पर लगता है, खासकर उन चीजों पर जो सरकार कंट्रोल करना चाहती है। जैसे भारत में पेट्रोल, डीजल, शराब और तंबाकू पर एक्साइज ड्यूटी लगती है, ताकि सरकार को रेवेन्यू मिले और इन चीजों का ज्यादा इस्तेमाल न हो।
Trade Barriers
कुछ देश सिर्फ़ टैक्स ही नहीं, बल्कि कोटा सिस्टम, लाइसेंसिंग और पॉलिसी रूल्स के जरिए भी ट्रेड को कंट्रोल करते हैं। भारत विदेशी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट पर ट्रेड बैरियर्स लगाता है, ताकि लोकल किसानों को प्रोटेक्शन मिले और उनका बिज़नेस सेफ रहे।
Latest News In Hindi
Delhi Yamuna Pollution: Parvesh Verma ने कहा- 3 साल में होगी सफ़ाई! Reality Check
अस्वीकरण: Dhara Live पर उपलब्ध लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए हैं, जिसे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों से लिया गया है। हालाँकि हम सटीकता के लिए प्रयास करते हैं, लेकिन हम जानकारी की पूर्णता, प्रामाणिकता या समयबद्धता की गारंटी नहीं देते हैं। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत राय हैं और उन्हें कानूनी, वित्तीय या पेशेवर सलाह नहीं माना जाना चाहिए। पाठकों को निर्णय लेने से पहले तथ्यों को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। Dhara Live इस सामग्री के आधार पर किसी भी नुकसान, गलत व्याख्या या कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं है।

A research-based writer, content strategist, and the voice behind Dhara Live. With 7+ years of experience in print and digital media, I specialize in creating stories that are not just informative, but also engaging, thought-provoking, and search-friendly.
Over the years, I’ve worked with media houses like Divya Himachal, created academic content for Chandigarh University, and written everything from YouTube explainers to press releases. But what drives me the most is writing content that sparks awareness, curiosity, and real conversations.
At Dhara Live, I focus on trending topics—from geopolitics, health, and finance to AI—all explained in details, the way we naturally speak and think. I believe every reader deserves content that is accurate, easy to understand, and never boring.