Breaking News in Hindi: सरकार के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत की FY25 Q3 में GDP ग्रोथ 6.2% (India Q3 GDP Growth 2025) रही है। यह ग्रोथ उम्मीद से बेहतर मानी जा रही है, और इसमें गांवों में बढ़ती डिमांड और सरकारी खर्च (Government Spending) को मुख्य कारण बताया जा रहा है। लेकिन क्या इसका फायदा सिर्फ अर्थशास्त्रियों को दिख रहा है या आम आदमी को भी महसूस हो रहा है? GDP बढ़ने का सीधा मतलब यह होता है कि देश की आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं, लेकिन अगर ग्रोथ सिर्फ कागजों पर दिखे और जमीनी हकीकत कुछ और हो, तो यह सिर्फ नंबर गेम बनकर रह जाती है। क्या आपकी सैलरी बढ़ी है? क्या आपकी जेब में ज्यादा पैसा बच रहा है? क्या आपको नौकरी ढूंढने में आसानी हो रही है? यही असली सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढना जरूरी है।
India Q3 GDP Growth 2025: Highlights
- GDP Growth Rate: 6.2% – सरकार ने इसे “Economic Resilience” का संकेत बताया है।
- रूरल डिमांड (Rural Demand) में सुधार: गांवों में FMCG और कृषि क्षेत्र में सुधार हुआ, जिससे GDP को बढ़ावा मिला।
- सरकारी खर्च (Government Spending): इंफ्रास्ट्रक्चर और सोशल वेलफेयर प्लान पर बढ़ता खर्च GDP ग्रोथ में सहायक रहा।
- निर्यात (Exports) में गिरावट: ग्लोबल मंदी के कारण एक्सपोर्ट कमजोर रहा, जो चिंता का विषय है।
- बेरोज़गारी (Unemployment) का मुद्दा: GDP ग्रोथ के बावजूद, नौकरी के नए अवसर नहीं बढ़े।
- महंगाई (Inflation) पर असर: कुछ सेक्टर में ग्रोथ दिखने के बावजूद, आम जनता को महंगाई से राहत नहीं मिली।
सरकार की PM Kisan Yojana, Rural Infra Development, और MNREGA जैसे स्कीम्स से ग्रामीण क्षेत्रों में खरीदारी बढ़ी है। बंपर कृषि उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ी, जिससे उनकी खरीद क्षमता मजबूत हुई। लेकिन क्या ये डिमांड लंबे समय तक बनी रहेगी, या फिर यह सिर्फ सरकारी खर्च की वजह से बढ़ी है?
सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर दिया – नई सड़कों, रेलवे, और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में निवेश किया। इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिला, लेकिन क्या यह लॉन्ग-टर्म ग्रोथ को बढ़ा पाएगा? सवाल यह भी उठता है कि अगर सरकार खर्च कम कर दे, तो क्या यह ग्रोथ टिकाऊ रह पाएगी?
निर्यात में गिरावट क्यों?
अमेरिका, यूरोप और चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी का असर भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर पर पड़ा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में धीमी ग्रोथ का असर एक्सपोर्ट पर साफ दिख रहा है। ग्लोबल मंदी और रुपये की गिरती वैल्यू ने भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। मतलब – GDP भले ही बढ़ रही है, लेकिन इसमें सरकार के खर्च का बड़ा योगदान है। प्राइवेट सेक्टर और एक्सपोर्ट की ग्रोथ नहीं हो रही है।
भारत की GDP ग्रोथ पिछले वर्षों में कैसी रही?
COVID-19 के बाद भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से उभरी, लेकिन अब ग्रोथ धीमी हो रही है। GDP बढ़ने के बावजूद, बेरोज़गारी दर अब भी 7.5% के आसपास बनी हुई है। नौकरियां ज़्यादा नहीं बढ़ रही हैं, जिससे ग्रोथ सिर्फ Corporate Sector की ही हो रही है। आम आदमी को महंगाई (Inflation) से राहत नहीं है। खाने पीने की वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। RBI ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की, जिससे लोन सस्ता नहीं हुआ। आपकी सैलरी बढ़ी या नहीं? अगर नहीं, तो GDP ग्रोथ का आपको क्या फायदा? छोटे बिजनेस अभी भी लोन की ऊंची दरों और कम डिमांड से परेशान हैं। स्टार्टअप इकोसिस्टम पर फंडिंग स्लो हो गई है, जिससे नए बिजनेस ग्रोथ करने में स्ट्रगल कर रहे हैं। मतलब – GDP बढ़ रही है, लेकिन इसका फायदा आम जनता तक पूरी तरह नहीं पहुंच रहा है।
असल में GDP में स्थिरता बनी हुई है, लेकिन नौकरियां नहीं बढ़ रही और महंगाई भी कम नहीं हो रही, जिससे लोग ज्यादा खर्च नहीं कर पा रहे। इसलिए केवल GDP ग्रोथ से हम यह नहीं मान सकते हैं कि भारत की Economy सही दिशा में है। सरकार को Unemployment, Inflation, और Export जैसे पहलुओं को भी देखना होगा?
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