GST Tax Arrest: जब भी हम कोई चीज़ खरीदते हैं, चाहे वह मोबाइल फोन हो, कपड़े, रेस्टोरेंट का खाना, या कोई सर्विस – हमें GST चुकाना पड़ता है। लेकिन क्या हमें वाकई समझ में आता है कि GST हमारे पैसे पर कितना असर डालता है? GST (Goods and Services Tax) को 2017 में शुरू किया गया था, जिसे भारत के टैक्स सिस्टम का सबसे बड़ा बदलाव माना गया। माना जाता है कि यह पुराने टैक्स को हटाकर एक सिंपल, यूनिफाइड टैक्स सिस्टम लाने के लिए लाया गया था। लेकिन क्या सच में यह आम आदमी के लिए फायदेमंद है, या सिर्फ बिजनेस और सरकार के लिए? आज हम GST को आसान भाषा में समझेंगे – यह कैसे काम करता है, इसका फायदा-नुकसान, और आम आदमी पर इसका असली असर क्या पड़ता है, जिसे हम अक्सर छोटी छोटी चीज़ों में इग्नोर कर देते हैं।
पुराना टैक्स सिस्टम?
पहले भारत में बहुत सारे टैक्स लागू होते थे, जैसे VAT, Service Tax, Excise Duty, Octroi, Entry Tax, Luxury Tax, और भी बहुत कुछ। इसके अलावा हर राज्य का अपना अलग टैक्स सिस्टम था, जिससे कारोबार करना मुश्किल था। टैक्स पर भी टैक्स (Cascading Effect) लगता था। यानी किसी सामान पर एक बार टैक्स लगने के बाद, जब वह अगली स्टेज पर जाता, तो फिर से टैक्स लग जाता था।
नया टैक्स सिस्टम: GST
पुराने सभी टैक्स को खत्म करके अब पूरे देश में सिर्फ एक ही टैक्स सिस्टम है – GST. इसे लागू करने के पीछे “One Nation, One Tax” था कि अगर देश एक है, तो टैक्स अलग अलग क्यों, इसलिए वन टैक्स जीएसटी लगाया गया। इससे Cascading Effect खत्म हो गया, यानी अब किसी भी सामान पर एक बार टैक्स लगेगा, दोबारा नहीं। पूरे भारत में एक जैसी टैक्स दरें (Tax Slabs) लागू हैं, जिससे कंफ्यूजन कम हो गया।GST कैसे काम करता है?
- GST चार मुख्य टैक्स स्लैब में बंटा हुआ है: 5%, 12%, 18%, और 28%।
- CGST (Central GST): केंद्र सरकार को मिलने वाला हिस्सा।
- SGST (State GST): राज्य सरकार को मिलने वाला हिस्सा।
- IGST (Integrated GST): इंटर-स्टेट (राज्य से बाहर) बिक्री पर लगाया जाता है।
- Composition Scheme: छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए एक सरल टैक्स योजना।
क्या है GST Tax Arrest?
GST कानून के तहत, अगर कोई जानबूझकर टैक्स चोरी करता है या गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम करता है, तो गिरफ्तारी और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। GST एक्ट के सेक्शन 69 (Section 69) के तहत, सरकार को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है, यदि वह टैक्स चोरी करता है या धोखाधड़ी में शामिल पाया जाता है। इसके अलावा Section 132 के तहत, टैक्स चोरी ज्यादा बड़ी है, तो जेल भी हो सकती है। इसके आधार पर यदि कोई ₹1 करोड़ से ₹2 करोड़ तक की टैक्स चोरी करता है तो 1 साल की जेल; अगर ₹2 करोड़ से ₹5 करोड़ तक की टैक्स चोरी करता है, तो 3 साल की जेल; अगर ₹5 करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी करता है, तो 5 साल की जेल और फाइन भरना पड़ सकता है। अगर कोई बिजनेसमैन GST Return नहीं भरता, तो उस पर हर दिन 50 रुपया फाइन (CGST + SGST दोनों मिलाकर ₹100 प्रति दिन) लग सकता है।
सरकार को पेट्रोल-डीजल को GST के अंडर लाना चाहिए। अभी पेट्रोल-डीजल पर राज्य सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती हैं, जिससे हर राज्य में अलग कीमत होती है। अगर यह GST में आ जाए तो कीमतें समान और स्थिर हो सकती हैं। GST दरों को सरल और कम करना जरूरी है। 18% और 28% टैक्स स्लैब को कम करके ज्यादा से ज्यादा 15% तक लाया जाए, ताकि आम जनता पर टैक्स का बोझ कम हो। इसके अलावा Compliance को और आसान किया जाए ताकि छोटे व्यापारी बिना झंझट के अपना व्यापार कर सकें। अभी Refund में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापारियों की कैपिटल फंसी रहती है। इस प्रोसेस को तेज़ और ट्रांसपेरेंट बनाना जरूरी है। सभी सर्विस सेक्टर्स के लिए समान टैक्स: कई सर्विस इंडस्ट्री पर अलग-अलग टैक्स स्लैब हैं, जिससे कंफ्यूजन होता है। इसे समान और स्पष्ट किया जाए।
यह देशभर में एक समान टैक्स व्यवस्था लेकर आया है, लेकिन अभी भी इसमें कई सुधारों की जरूरत है, खासकर छोटे व्यापारियों और आम जनता के लिए। कुछ चीज़ों पर टैक्स रेट अभी भी बहुत ज्यादा हैं।
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