Trump USAID Budget Reduction: America First Policy में India को क्या नुकसान?

Trump USAID Budget Reduction: हाल ही में एक बड़ी खबर आई है कि Donald Trump ने USAID (United States Agency for International Development) की फंडिंग में 90% यानी $60 बिलियन की कटौती कर दी है। Trump की ‘America First’ पॉलिसी के तहत विदेशी सहायता (Global Assistance) को कम करने का यह अब तक का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। लेकिन इस फैसले का असर सिर्फ अमेरिका पर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया और भारत पर भी पड़ेगा। USAID कई देशों को सामाजिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा राहत और टेक्नोलॉजी में मदद करता है, और इस कटौती से कई प्रोजेक्ट बंद होने की कगार पर हैं। तो आइए जानते हैं, USAID क्या है, इस कटौती से भारत पर क्या असर पड़ेगा, और इससे जुड़ी प्रमुख कंट्रोवर्सीज़ क्या हैं?

USAID: क्या करता है?

USAID एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है, जिसका मकसद दुनियाभर में गरीबी हटाना, शिक्षा और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना और आपदा राहत देना है। इसे 1961 में President John F. Kennedy ने लॉन्च किया था। आमतौर पर USAID का बजट $60-$70 बिलियन के आसपास होता है और यह 100+ देशों में हेल्थ, एजुकेशन, क्लाइमेट, टेक्नोलॉजी, जेंडर इक्वलिटी और डिजास्टर रिलीफ में मदद करता है। अब जब Trump सरकार ने इस फंड को 90% कट कर दिया है, तो भारत और बाकी देशों को क्या नुकसान होगा?

Trump के फैसले का भारत और दुनिया पर असर

USAID भारत में हेल्थ और एडुकेशन सेक्टर में फंडिंग करता है, लेकिन अब यह मदद लगभग बंद हो सकती है। क्लाइमेट चेंज और रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा, जहां USAID बड़ी मदद करता था। वहीँ महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी एक्सपैंशन के कई प्रोजेक्ट खतरे में हैं।

इसका ग्लोबल लेवल पर भी असर होगा। अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में USAID की हेल्थ और फूड सिक्योरिटी प्रोग्राम्स पर बड़ा एफेक्ट देखने को मिल सकता है। हो सकता है आने वाले टाइम में ग्लोबल डिजास्टर रिलीफ ऑपरेशन में कटौती होगी, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के बाद मदद मिलने में दिक्कत होगी। ट्रम्प के इस फैसले का खासकर डिवेलपिंग देशों की इकॉनमी पर असर पड़ेगा, क्योंकि USAID कई देशों को वित्तीय सहायता देता था। हालाँकि Trump ने कहा कि अमेरिका को पहले अपने नागरिकों पर खर्च करना चाहिए, न कि दूसरे देशों पर। लेकिन क्या यह फैसला सही है? या फिर यह अमेरिका की सॉफ्ट पावर को नुकसान पहुंचा सकता है?

USAID से जुड़े बड़े विवाद और कंट्रोवर्सी

2014 में, भारत सरकार ने USAID पर जासूसी और राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। कहा गया कि USAID भारत में NGOs को फंडिंग देकर भारतीय पॉलिसी को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद भारत सरकार ने USAID के कई प्रोजेक्ट्स पर जांच बैठाई थी। 2012 में, रूस ने USAID को बैन कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि USAID रूस की राजनीति में दखल दे रहा था और सरकार विरोधी संगठनों को फंडिंग कर रहा था। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी इसे लेकर विवाद हो चुके हैं।

Trump का यह कदम ‘America First’ पॉलिसी के तहत लिया गया है, लेकिन इससे अमेरिका की वैश्विक पावर कमजोर हो सकती है। ग्लोबल लेवल पर कई देशों को तगड़ा झटका लगेगा। खासकर गरीब और डिवेलपिंग देशों में हेल्थ और फूड प्रोग्राम्स पर असर पड़ेगा। अमेरिका के लिए भी नुकसान हो सकता है। क्योंकि यह फैसला उसकी Soft Power को कमज़ोर कर सकता है और चीन-रूस को फायदा दे सकता है।

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