Bihar floods: Asia में बाढ़ का खतरा बहुत ज्यादा है, क्योंकि इस region में 90% तबाही सिर्फ बाढ़ के कारण होती है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2000 में जो flood पूरे देश में आया, वो सबसे खतरनाक था। कुल 5560.65 करोड़ का economic loss हुआ था और करीब 2.21 करोड़ लोगों पर इस फ्लड का असर पड़ा था। उसके बाद, साल 2013 में Central Water Commission (CWC) ने बताया कि लगभग 7.21 मिलियन हेक्टेयर land बाढ़ में डूब गई थी, जिससे 32 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे। भारत में कई बड़ी बाढ़ आईं, जिसमें 2018 में Kerala का flood भी बहुत ज्यादा damaging था, लेकिन Mumbai (2005), Uttarakhand (2013), Assam (2016), और Bihar (2020) की बाढ़ें भी कुछ कम कहर लेकर नहीं आई।
Bihar: Introduction and geographical significance
Bihar, India के eastern region में स्थित है। यह एक landlocked state है, जिसके borders West Bengal, Uttar Pradesh और Jharkhand से मिलते हैं, और इसके north में Nepal है। 94,163 वर्ग किलोमीटर area के साथ, यह India का 12th सबसे बड़ा state है। Bihar, India का तीसरा सबसे populous state है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार 1,03,804,637 की total population है। करीब 90% population rural areas में रहती है और अंदाज़ा लगाया गया है कि पिछले एक decade में, state की population में 25.07% की growth हुई है।
Bihar का landscape दो हिस्सों में बंटा हुआ है—उत्तर Bihar और दक्षिण Bihar, और Ganga नदी इसे divide करती है। State की कुछ major नदियों में Ganga, Gandak, Bagmati और Kosi शामिल हैं। इनमें से सबसे ज्यादा हानिकारक Kosi नदी मानी जाती है, जो Nepal और Tibet से निकलती है और अक्सर अपना course बदलती रहती है, जिस वजह से इसके फ्लड ज्यादा तबाही मचाते हैं। इसका लगभग 65% जलग्रहण क्षेत्र Nepal और Tibet में है, जबकि 35% Bihar में है।
बिहार की पॉलिटिकल ज्योग्राफी
Bihar का administration 9 divisions, 38 जिलों, 101 sub-divisions और 534 mandals में बंटा हुआ है। Municipal level पर 12 नगर निगम, 49 नगर परिषद और 80 नगर पंचायतें हैं। यह administrative division state में governance को ज्यादा efficient और organized बनाता है।
Bihar में 3 national parks और 21 animal sanctuaries हैं। इनमें सबसे बड़ा Valmiki National Park है, जो Nepal border के पास West Champaran में स्थित है। Valmiki Tiger Reserve यहां का मुख्य attraction है, जो लगभग 800 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके अलावा, Bihar में कई प्रकार की नहरें और electric tube wells हैं, जो सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। राज्य में सिंचाई का एक बड़ा हिस्सा government tubewells और नहरों के जरिए कवर किया जाता है।
बिहार का मानसून और बारिश का पैटर्न
बिहार में जुलाई से सितंबर तक बारिश का मौसम रहता है। इस दौरान यहां बहुत बारिश होती है, लगभग 1000 से 1200 मिलीमीटर तक। इस समय गर्मी कम होती है और तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। Bihar में हर साल होने वाली total rainfall का लगभग 75 से 80% बारिश केवल 4 महीने के छोटे monsoon season में होती है, यानी कि यहाँ पर सबसे ज्यादा बारिश June से September में होती है। National Flood Commission के अनुसार, India में लगभग 40 million hectares land floods के लिए vulnerable है। वहीँ रिपोर्ट्स के मुताबिक Bihar में 1998 से 2019 तक लगभग 37.24% (35.06 लाख hectares) area flood से प्रभावित हुआ था।
2011 में heavy बारिश और Nepal से आने वाली नदियों के कारण Bihar के बड़े हिस्से में बाढ़ आई, जिसमें कई जिलों में नुकसान हुआ। 2011 में July से October तक Bihar में कई बार floods आये, और हर बार government ने satellite datasets का use करके बाढ़ राहत और बचाव operations किए।
बिहार में फ्लड्स से प्रभावित क्षेत्र
Bihar में फ्लूड्स का सबसे ज्यादा असर northern region में होता है। यहां की लगभग 76% population हमेशा बाढ़ के खतरे में रहती है। और अगर हम डाटा की बात करें तो 1998 से 2019 के बीच, Bihar ने कई बार गंभीर बाढ़ का सामना किया। 2017 और 2019 की बाढ़ ने लगभग 1,000 गाँवों को प्रभावित किया था, जिससे करीब 130 लोगों की मौत हो गई थी और 642.10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
बाढ़ प्रभावित जिले और फ्लड पैटर्न
Bihar के कुछ जिलों जैसे Sitamarhi, Darbhanga, Muzaffarpur और Patna में बाढ़ का असर सबसे ज्यादा देखा गया है। ये जिले बार-बार आने वाली बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। Ganga, Kosi, Bagmati, और Gandak नदियों के catchment areas इन इलाकों को vulnerable बनाते हैं।
बिहार की प्रमुख नदियाँ
Bihar की कई बड़ी नदियां हैं, जैसे गंगा, गंडक, बागमती, और इन्ही major नदियों में से एक, Kosi नदी Himalayas से निकलकर Nepal और Bihar के हिस्सों से गुजरती है। इसे “Sapt Kosi” भी कहा जाता है क्योंकि इसकी सात सहायक नदियाँ, सुन कोसी, भोटा कोसी, तांबा कोसी, दूध कोसी, बारुन कोसी, अरुण कोसी और तमूर कोसी, त्रिवेणी (चतरा से लगभग 10 किमी ऊपर) के ऊपर मिलती हैं। त्रिवेणी के संगम के नीचे, कोसी नदी लगभग 10 किमी की लंबाई के लिए एक संकीर्ण घाटी में बहती है जब तक कि यह चतरा के पास मैदानों में नहीं निकल जाती, नदी नेपाल में हनुमान नगर के पास भारत में प्रवेश करती है। Kosi की खास बात यह है कि यह बार-बार अपना course बदलती रहती है, जिसकी वजह से यह विनाशकारी बाढ़ का कारण बनती है।
इसके बाद यह पूर्वी दिशा में बहती है और अंततः कटिहार जिले में कुरसेला के पास गंगा से मिल जाती है। Kosi नदी की 2008 की बाढ़ बहुत ही खतरनाक थी।
2008: कोसी की बाढ़
UNDP के इस आर्टिकल के अनुसार 2008 में आई Kosi बाढ़ ने northeast Bihar में भारी नुकसान किया। इस बाढ़ में करीब 1,000 गाँव प्रभावित हुए और लगभग 3 million लोग बुरी तरह से affected थे। चूंकि इन इलाकों में पिछले 50 सालों में इतना बड़ा flood नहीं देखा गया था, लोग इसके लिए तैयार नहीं थे। इस वजह से भारी जान और माल का नुकसान हुआ। करीब 1 million लोगों को rescue करके सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इस बाढ़ के कारण लोगों की property और income का भी भारी नुकसान हुआ था। ज्यादातर households ने अपनी income का 50% से ज्यादा खो दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार घरों के damage का मूल्यांकन लगभग 880 करोड़ रुपये था, और food grains और घरेलू सामान का नुकसान लगभग 400 करोड़ रुपये आंका गया था।
बाढ़ प्रबंधन में सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का रोल
Flood management में satellite technology का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जैसे कि IRS-1C, RADARSAT-1, और SENTINEL-1/2 satellites ने बाढ़ की स्थिति का सही-सही अनुमान लगाने और relief efforts को तेजी से करने में मदद की है। इसके अलावा, IMD ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों में 14 Flood Meteorological Offices (FMO) बनाए हैं। इनमें से एक office Patna में भी है, जो Bihar के river systems, जैसे कि Kosi, Gandak और Bagmati की catchment areas को cover करता है।
इसके अलावा Bihar का Disaster Management Department, floods जैसी natural disasters के लिए nodal department है। यह department flood management, relief, rehabilitation और reconstruction के लिए जिम्मेदार है। यह विभाग राज्य की various development schemes में disaster risk reduction (DRR) को भी integrate करने का काम करता है।
Bihar में बाढ़ एक लगातार और गंभीर समस्या है। Kosi, Gandak और Bagmati नदियों का flood में अहम योगदान है। Bihar की north plains सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं और इसके लिए government को बाढ़ management में और सुधार करने की जरूरत है। Satellite technology और बेहतर planning से राहत कार्यों को और ज्यादा effective बनाया जा सकता है।
Sources:
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2590123023007922
https://state.bihar.gov.in/disastermgmt/CitizenAboutUs.html
https://www.undp.org/india/publications/kosi-floods-2008-how-we-coped-what-we-need-perception-survey-impact-and-recovery-strategies#:~:text=The%20Kosi%20burst%20its%20embankments,about%20one%20million%20were%20evacuated
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2590123023007922
https://testbook.com/bihar-gk/wildlife-sanctuaries-of-bihar
https://bhuvan.nrsc.gov.in/pdf/Flood-Hazard-Atlas-Bihar.pdf
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