Latest Finance News: भारतीय रिजर्व बैंक ने $10 बिलियन dollar-rupee स्वैप (RBI $10 Billion Dollar-Rupee Swap) करने का फैसला लिया है। यह सुनकर आपको टेक्निकल लग सकता है, लेकिन इसे आसान भाषा में समझते हैं। RBI इस कदम से भारतीय बाजार में कैश (नकदी) की कमी को दूर करना चाहता है। इसका मतलब है कि बैंक और बाजार में कैश को बढ़ाने के लिए RBI यह कदम उठा रहा है।
डॉलर-रुपया स्वैप क्या है?
आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा तरीका है जिसमें RBI बाजार से डॉलर खरीदता या बेचता है और बदले में रुपये लेता या देता है। इससे होगा क्या कि मार्किट में इंडियन करेंसी यानी रुपया ज्यादा अवेलेबल होगा। इस केस में RBI बैंकिंग सिस्टम में डॉलर देगा और बदले में उनसे रुपये लेगा। इससे भारतीय बाजार में रुपये की जो कमी हो रही है, वो दूर होगी। इसके तहत 3 साल बाद बैंक RBI को डॉलर वापस देंगे और RBI उन्हें रुपये वापस देगा। यह लेन-देन एक लिमिटेड टाइम पीरियड के लिए होता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का $10 बिलियन डॉलर-रुपया स्वैप भारतीय बैंकों के साथ ही किया जाएगा। इस प्रोसेस में, बैंक अपने पास मौजूद अमेरिकी डॉलर को RBI को बेचेंगे और बदले में आरबीआई उन्हें रुपया देगा। यह कॉन्ट्रैक्ट 3 साल का होगा, उसके बाद RBI डॉलर वापस करेगा और बैंक रुपये लौटाएंगे। इस स्वैप में भाग लेने वाले बैंक वे होंगे जिनके पास पर्याप्त अमेरिकी डॉलर रिज़र्व है और जो RBI द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करते हैं। हालांकि, उन बैंकों के नाम अभी तक ऑफिशियली बताए नहीं गए हैं। इस कदम से भारतीय बैंकिंग सिस्टम में लगभग 87,000 करोड़ रुपये बढ़ेगे, जिससे कैश की कमी से जूझ रहे बैंकों को राहत मिलेगी।
RBI ने यह फैसला क्यों लिया?
इस फैसले के पीछे बैंकिंग सिस्टम में पैसे की कमी है। अभी बैंकों में पर्याप्त नकदी नहीं है, जिससे लोन देना और दूसरी इकनोमिक एक्टिविटीज धीमी हो रही हैं। ऐसे में अगर बाजार में कैश की उपलब्धता बढ़ती है, तो RBI आगे चलकर लोन की ब्याज दरें कम कर सकता है। इस कदम से RBI रुपये की स्थिरता बनाए रख सकता है और भारतीय मुद्रा को डॉलर के मुकाबले ज्यादा गिरने से बचा सकता है।
क्या ऐसा पहले भी हुआ है?
RBI ने इससे पहले भी डॉलर-रुपया स्वैप किए हैं, खासकर जब बाजार में नकदी की कमी या विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखने की जरूरत पड़ी। मार्च 2019 में, RBI ने $5 बिलियन डॉलर-रुपया स्वैप किया था, जिससे बैंकिंग सेक्टर में नकदी बढ़ी और रुपये को स्थिरता मिली। 2020 में COVID-19 संकट के दौरान, RBI ने एक और डॉलर-रुपया स्वैप ऑपरेशन किया, ताकि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल सके। वहीँ 2022 में, RBI ने विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिरता बनाए रखने के लिए एक और स्वैप किया, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा था। हर बार इस कदम से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने और रुपये को स्थिर करने में मदद मिली है।
इसका असर आम लोगों पर कैसे पड़ेगा?
अगर RBI ब्याज दरों में कटौती करता है, तो होम लोन, कार लोन, और बिजनेस लोन सस्ते हो सकते हैं। अगर रुपये की वैल्यू को सही तरीके से मैनेज किया गया, तो महंगाई कंट्रोल में रहेगी और डॉलर के मुकाबले रुपया ज्यादा कमजोर नहीं होगा। जब बाजार में रुपये की उपलब्धता बढ़ेगी, तो बैंकों के पास ज्यादा पैसा होगा और वे आसानी से लोन दे सकेंगे। इससे बिजनेस ग्रोथ को फायदा मिलेगा। निवेशकों के लिए अच्छी खबर साबित हो सकती है, क्योंकि इस कदम से भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता आ सकती है।
Dollar-Rupee स्वैप रिस्क
- रुपये पर दबाव बढ़ सकता है: अगर यह स्वैप सही तरीके से मैनेज नहीं हुआ, तो भविष्य में रुपये की वैल्यू पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- ब्याज दरें ज्यादा नीचे जाने से महंगाई बढ़ सकती है: यदि RBI ज्यादा लिक्विडिटी जारी करता है, तो अतिरिक्त नकदी की वजह से महंगाई (Inflation) बढ़ सकती है।
- बैंक ज्यादा रिस्क लेने लग सकते हैं: जब बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है, तो बैंक ज्यादा जोखिम लेकर लोन देने लगते हैं, जिससे भविष्य में लोन डिफॉल्ट का खतरा बढ़ सकता है।
- विदेशी निवेशकों पर असर: अगर विदेशी निवेशकों को लगे कि भारतीय रुपया अस्थिर हो सकता है, तो वे भारतीय बाजार से पैसा निकाल सकते हैं, जिससे स्टॉक मार्केट पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
- भविष्य में डॉलर वापस देना होगा: यह स्वैप एक तरह का लोन है, जिसे RBI को बाद में चुकाना होगा। अगर भविष्य में डॉलर की मांग बढ़ी तो RBI को रुपये देकर ज्यादा महंगे डॉलर खरीदने पड़ सकते हैं।
कुछ एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि यह RBI की नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (डॉलर स्टॉक) को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए यह एक नई कोशिश हो सकती है। अगर यह कदम सफल रहा, तो भविष्य में ऐसे और स्वैप हो सकते हैं।
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