Breaking News: हर दिन हजारों महिलाएं ट्रेनों में सफर करती हैं, लेकिन कई बार यह सफर उनके लिए डरावना साबित होता है। हाल ही में कुछ घटनाएं सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिन्होंने रेलवे में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल (Indian Railway Security Failures Exposed) खड़े कर दिए। मुंबई लोकल ट्रेन में एक महिला पैसेंजर को हरासमेंट का सामना किया। शिकायत दर्ज करने के बावजूद, कोई एक्शन नहीं लिया गया। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक लड़की का वीडियो वायरल हो रहा है, 2nd क्लास में सफर करने के बावजूद सेफ नहीं थी। साथ में सफर कर रहे पुरुषों की वजह से परेशानी हुई, जिसके बाद वहां टीटी आ गया। शिकायत किए 1 घंटा हो गया था, लेकिन तब भी पुलिस नहीं पहुंची।
महिलाओं के खिलाफ बढ़े 30% क्राइम
अगर आंकड़ों की बात करें तो स्थिति और भी चिंताजनक दिखती है। National Crime Records Bureau (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ 1,200 से अधिक अपराध दर्ज किए गए। इनमें छेड़छाड़, चोरी, और हरासमेंट के मामले थे। 2019 से 2023 के बीच, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 30% की वृद्धि देखी गई।
भारतीय कानून क्या कहता है?
- Indian Railways Act, 1989: रेलवे में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों पर सख्त प्रावधान हैं।
- IPC Section 354: महिलाओं के खिलाफ अश्लील हरकतें करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान।
- IPC Section 509: किसी महिला का अपमान करने, अश्लील इशारे करने या अनुचित शब्दों का प्रयोग करने पर कानूनी कार्रवाई।
- Railway Act 1989, Section 162: ट्रेनों में महिलाओं को परेशान करना एक दंडनीय अपराध है।
- Railway Helpline 182: किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद के लिए यह हेल्पलाइन उपलब्ध है।
प्रशासन क्यों असफल हो रहा है?
- Security personnel की कमी: ज्यादातर ट्रेनों में RPF या पुलिस नहीं होती है। और यही सबसे बड़ी प्रॉब्लम है कि अगर कोई परेशानी होती है, तो प्रशासन क्विक एक्शन ले ही नहीं पाता।
- CCTV Surveillance की कमी: बहुत से कोच में सुरक्षा कैमरे या तो नहीं लगे हैं या काम नहीं करते। कई स्टेशनों और ट्रेनों में पर्याप्त रोशनी नहीं होती, जिससे अपराधियों को मौका मिल जाता है। अपराधियों के लिए सख्त सजा का अभाव: कई मामलों में अपराधियों को सख्त सजा नहीं दी जाती, जिससे वे बार-बार अपराध करने का साहस कर लेते हैं।
लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेन और भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेनों में ज्यादा महिला RPF कर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए। हर ट्रेन के कोच में CCTV Surveillance के लिए कैमरे लगाए जाएं और उनकी रेगुलर मॉनिटरिंग भी हो। सभी महिला कोचों में इमरजेंसी अलर्ट बटन लगाए जाएं। लाइव लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए मदद तुरंत भेजी जाए, और Railway Helpline 182 को और इफेक्टिव बनाया जाए। ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए Fast-Track Courts बनाए जाएं।
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