Latest News: भारत में चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक है, जो देश में free and fair elections सुनिश्चित करता है। हाल ही में Gyanesh Kumar को Chief Election Commissioner (CEC) नियुक्त किया गया, लेकिन यह नियुक्ति पुराने तरीके से नहीं हुई। 2023 में लागू नए कानून के तहत यह प्रक्रिया पूरी की गई है। इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि नया नियम क्या है, यह कैसे पुराने सिस्टम से अलग है, और इस पर क्या विवाद हो रहा है।
नए नियम के तहत CEC की नियुक्ति | New Rule for CEC Appointment
2023 में “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023” (Chief Election Commissioner and Other Election Commissioners Act, 2023) लागू हुआ, जिसके तहत CEC और Election Commissioners की नियुक्ति अब एक सिलेक्शन कमेटी करती है।
Selection Committee में कौन-कौन शामिल है?
- प्रधानमंत्री (Prime Minister)
- कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) – जिसे प्रधानमंत्री नामित करेंगे
- लोकसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition)
इससे पहले, Supreme Court ने आदेश दिया था कि Chief Justice of India (CJI) को भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाए, लेकिन सरकार ने CJI को इस समिति से हटा दिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
पहले कैसे होती थी CEC की नियुक्ति
पहले, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का कोई निर्धारित नियम नहीं था। यह पूरी तरह से राष्ट्रपति की शक्तियों पर निर्भर था, जो प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करते थे। 1991 में एक अधिनियम के तहत उनकी सेवा शर्तें और वेतन निर्धारित किए गए थे, लेकिन चयन प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे। Supreme Court ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की जरूरत बताई, जिसके बाद 2023 में नए कानून को लागू किया गया।
पुराना सिस्टम | नया सिस्टम |
राष्ट्रपति PM की सलाह पर नियुक्ति करता था | Selection Committee CEC का चयन करती है |
कोई स्पष्ट क्राइटेरिया नहीं था | CEC को चुनाव प्रक्रिया और प्रशासन में अनुभव जरूरी |
वेतन Supreme Court के जज के बराबर | वेतन Cabinet Secretary के समान |
हटाने की प्रक्रिया जटिल थी | हटाने की प्रक्रिया अब भी वही है (सुप्रीम कोर्ट जज के समान) |
क्या बदल गया और क्यों विवाद हो रहा है?
- मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चयन प्रक्रिया से हटा दिया गया, जिससे विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि इससे कार्यपालिका (Executive) का नियंत्रण बढ़ गया है।
- CEC का वेतन अब कैबिनेट सचिव के समान होगा, जबकि पहले Supreme Court के जज के बराबर था, जिससे आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- अब CEC बनने के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार सरकार में सचिव (Secretary) के पद पर रहा हो, जिससे राजनीतिक प्रभाव की संभावना बढ़ जाती है।
- Gyanesh Kumar: कौन हैं भारत के नए CEC?
Gyanesh Kumar एक सीनियर IAS अधिकारी हैं, जो उत्तर प्रदेश कैडर के 1988 बैच के अफसर रहे हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय (MHA) और विभिन्न सरकारी विभागों में उच्च पदों पर कार्य किया है। CEC बनने से पहले, वे federal ministry में सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत थे और election reforms और electoral process से जुड़े मामलों में गहरी समझ रखते हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब चुनावी प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उनके सामने 2029 के लोकसभा चुनाव सहित कई राज्य चुनावों की ज़िम्मेदारी होगी। Gyanesh Kumar का कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा, और वे 2029 के लोकसभा चुनाव समेत कई महत्वपूर्ण चुनावों की निगरानी करेंगे।
उनके सामने क्या चुनौतियाँ होंगी?
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रखना – नए नियमों के तहत सरकार का दखल बढ़ा है, जिससे CEC पर दबाव बढ़ सकता है।
- Technology और AI के इस्तेमाल से निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना
- Voter Turnout बढ़ाने और Transparent Voting System बनाए रखना
भारत में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। Gyanesh Kumar की नियुक्ति ने इस डिबेट को और तेज कर दिया है कि क्या सरकार चुनाव आयोग को पूरी तरह नियंत्रित करना चाहती है? विपक्ष इस बदलाव का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार इसे बेहतर प्रशासनिक निर्णय बता रही है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावों में ये नया सिस्टम कैसे काम करता है और क्या चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनी रहती है या नहीं?
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