New Delhi Railway Station: पहले कैसा था और अब कितना बदल गया; NDLS का अनसुना इतिहास और Future Plans

Trending Stories: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station – NDLS) भारत के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह सिर्फ एक रेलवे स्टेशन नहीं, बल्कि अनगिनत यात्राओं, यादों और ऐतिहासिक पलों का गवाह है। इस आर्टिकल में हम NDLS के सफर को देखेंगे – कैसा था यह स्टेशन पहले और कैसा दिखता है आज।

क्या आपको पता है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का निर्माण 1926 में शुरू हुआ था और यह 1927 में पूरा हुआ? ब्रिटिश राज के दौरान, दिल्ली को भारत की नई राजधानी घोषित किया गया, जिसके बाद एक मॉडर्न रेलवे स्टेशन की जरूरत महसूस हुई। इस स्टेशन का डिज़ाइन अंग्रेज़ों के समय में हुआ और इसे उस समय की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया था। उस दौर में स्टेशन पर सिर्फ कुछ प्लेटफॉर्म्स हुआ करते थे और यात्रियों के लिए सुविधाएँ बेहद सीमित थीं। टिकट बुकिंग पूरी तरह मैनुअल थी, लंबी कतारें और हाथ से लिखी टिकटें आम बात थी। कुली और हाथगाड़ियों का बोलबाला था, क्योंकि एस्केलेटर या लिफ्ट जैसी कोई सुविधा नहीं थी। कोयले से चलने वाले इंजन के कारण प्लेटफॉर्म पर धुआँ और धूल भरी रहती थी, जिससे सफर करना चुनौतीपूर्ण होता था। कोई डिजिटल डिस्प्ले नहीं था, सिर्फ बड़े-बड़े बोर्ड और अनाउंसमेंट सिस्टम के ज़रिए ट्रेनों की जानकारी दी जाती थी।

आज का New Delhi Railway Station (NDLS)

समय के साथ, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन ने डिजिटल युग में कदम रखा और आज यह पूरी तरह से हाई-टेक सुविधाओं से लैस है। अब स्टेशन पर 16 से ज्यादा प्लेटफॉर्म्स हैं, जहां हर दिन हजारों ट्रेनें रुकती हैं। डिजिटल डिस्प्ले और ऑनलाइन टिकट बुकिंग ने यात्रियों के अनुभव को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। अब टिकट बुकिंग IRCTC और रेलवे ऐप्स के ज़रिए कुछ ही सेकंड में हो जाती है। सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए पूरे स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरा सर्विलांस लगाया गया है।

अब NDLS पर लोकल और ब्रांडेड फूड चेन मौजूद हैं, जिससे यात्री अपने सफर के दौरान अच्छी क्वालिटी का खाना खा सकते हैं। इसके अलावा, स्टेशन पर फ्लाईओवर और मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे ट्रैफिक मैनेजमेंट आसान हुआ है। AI और ऑटोमेटेड सिस्टम के ज़रिए भीड़ कंट्रोल करने में मदद मिलती है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्टेशन की साफ-सफाई और हाइजीन को लेकर बड़े स्तर पर सुधार किए गए हैं। इसके अलावा, ग्रीन इनिशिएटिव्स के तहत स्टेशन पर सोलर पैनल्स भी लगाए गए हैं, जिससे इसे ज्यादा एनवायरनमेंट-फ्रेंडली बनाया जा सके।

NDLS से पहली फुली एयर-कंडीशन्ड ट्रेन कौन सी चली?

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 1969 में राजधानी एक्सप्रेस शुरू हुई थी, भारत की पहली फुली एयर-कंडीशन्ड ट्रेन थी और इसने हाई-स्पीड ट्रेनों का ट्रेंड सेट किया। इसी तरह, 1988 में शुरू हुई शताब्दी एक्सप्रेस पहली दिन में चलने वाली सुपरफास्ट ट्रेन थी, जिसे खास तौर पर बिज़नेस और टूरिस्ट ट्रैवलर्स के लिए डिजाइन किया गया था। पूर्वा एक्सप्रेस, जो 1950 के दशक में शुरू हुई, ईस्टर्न इंडिया को दिल्ली से जोड़ने वाली सबसे पुरानी ट्रेनों में से एक रही है। 1929 में शुरू हुई ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस (GT एक्सप्रेस) भारत की सबसे लंबी चलने वाली और ऐतिहासिक ट्रेनों में से एक मानी जाती है। हाल ही में, वंदे भारत एक्सप्रेस 2019 में NDLS से वाराणसी के लिए शुरू हुई, जो भारत की पहली सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन है और पूरी तरह मेड इन इंडिया है।

400 से ज्यादा ट्रेनें और लगभग 5 लाख यात्री

NDLS भारत का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है, जहां हर दिन 400 से ज्यादा ट्रेनें और लगभग 5 लाख यात्री सफर करते हैं। प्लेटफॉर्म नंबर 1 सबसे पुराना है और पहले यह मुख्य एंट्री पॉइंट हुआ करता था। 2016 में NDLS भारत का पहला रेलवे स्टेशन बना, जहाँ वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराई गई।

यहाँ हर दिन लगभग 1.5 लाख कप चाय और कॉफी बिकती है, जो इसे भारत के सबसे बड़े फूड हब्स में से एक बनाती है। इसके अलावा, NDLS का नया टर्मिनल इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे डिजाइन किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को एक प्रीमियम एक्सपीरियंस मिल सके। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन लगातार विकसित हो रहा है और आने वाले वर्षों में इसमें और भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। उम्मीद है हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन जल्द ही इस स्टेशन से जुड़ेगी, जिससे भारत के रेलवे नेटवर्क में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

 

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