2025 IMF Loan To Pakistan Approved: Why India Couldn’t Stop It & When India Itself Took A Bailout

Latest News: अभी हाल ही में IMF ने Pakistan को $2.3 Billion का नया bailout package approve किया है, जिसमें 2 अलग केटेगरी के तहत उसे पैसा (IMF Loan To Pakistan Approved) दिया जायेगा। पहली है $1 Billion Extended Fund Facility (EFF) और दूसरा $1.3 Billion Resilience and Sustainability Facility (RSF) के तहत दिया जाएगा। लेकिन India ने इस vote को सपोर्ट नहीं किया है, जाहिर सी बात है कि इंडिया इसके फेवर में नहीं है। और इसकी वजहें साफ़ तौर पर regional security और terror funding को लेकर concerns हैं।

IMF Loan To Pakistan Approved: Why India Couldn’t Stop?

आपको बता दें कि पाकिस्तान ने पिछले 35 सालों में 28 बार bailout लिया है। भारत ने सीधे तौर पर ये कहा कि पाकिस्तान ने पिछले कुछ दशकों में बार-बार IMF से bailout लिया है, लेकिन पाकिस्तान की इकॉनमी वैसी की वैसी है, पाकिस्तान में कोई economic reforms ground level पर नज़र नहीं आते।

India का मानना है कि ऐसे funds का misuse भी हो सकता है, खासकर state-sponsored terrorism के लिए — जो कि South Asia region की stability के लिए एक बड़ा खतरा है। भारत के इस कदम को symbolic diplomatic protest के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि IMF में ‘no’ vote technically possible नहीं होता, केवल support या abstain किया जा सकता है।

India ने IMF से bailout लिया है? (India IMF Bailout History)

भारत ने भी अपने कुछ critical phases में IMF से सहायता ली है। सबसे यादगार bailout 1991 में हुआ था! 1991 में भारत का Balance of Payment crisis हुआ था, जब foreign exchange reserves केवल कुछ हफ्तों की imports के लिए बचे थे। ज्यादा डिटेल में बताएं, तो 1991 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार $1.2 बिलियन तक गिर गए थे, जिससे सिर्फ अगले 3 हफ्ते तक ही imports पॉसिबल थे। इस संकट के कारण भारत को अपने 67 टन सोने को गिरवी रखकर IMF से $2.2 बिलियन का आपातकालीन ऋण लेना पड़ा। इस दौरान जनवरी और अक्टूबर में 2 बार सहायता की गयी थी।

उस समय India को IMF से करीब $2.2 Billion का bailout मिला था, जिसे structural reforms और liberalization के शर्तों पर मंजूरी दी गई थी। इस assistance के बाद ही भारत ने LPG (Liberalization, Privatization, Globalization) reforms अपनाए थे, जिससे economy को नई दिशा मिली। इसके बाद India ने IMF से सीधे bailout rarely लिया है, क्योंकि उसकी foreign reserves और economic fundamentals धीरे-धीरे मजबूत हुए हैं। आज India IMF को assistance देने वाले nations में गिना जाता है, borrower नहीं।

Pak IMF Loan: Approval की बड़ी वजह

IMF ने कहा है कि भारत की जो चिंताएं हैं, पाकिस्तान को लेकर, वो उन्हें समझ रहा है, लेकिन procedural reasons के चलते package approve कर दिया गया। IMF के rule के अनुसार किसी भी country के पास केवल “yes” vote या “abstain” करने का option होता है। India ने इसी framework में रहकर अपना विरोध दर्ज कराया।

Terror Link और Kashmir Connection

यह development ऐसे समय पर आया है, जब Kashmir में एक हालिया आतंकी (pahalgam Terror Attack) हमले में 20 से ज्यादा Hindu tourists की मौत हो गई, जिसका आरोप Pakistan-based militant groups पर लगाया गया। India ने इस मुद्दे को IMF के सामने भी रखा था कि ऐसे sensitive वक्त में बिना safeguards के कोई भी फंड देना regional peace के लिए खतरा बन सकता है।
India का abstain करना केवल financial नहीं, बल्कि geopolitical message भी था। इससे ये संकेत जाता है कि future में financial aid decisions में केवल economics नहीं, security और regional peace को भी consider करना ज़रूरी है।

IMF क्या है और इसका काम कैसे होता है?

IMF यानी International Monetary Fund, एक global financial institution है जो member देशों को economic stability बनाए रखने में support करता है। इसका उद्देश्य है Economic crises से जूझ रहे देशों को emergency loans देना, Member nations की currency और exchange rate को stable रखना, Fiscal discipline और structural reforms को बढ़ावा देना और Global financial cooperation और balanced trade को maintain करना है।

IMF के decisions में voting system होता है, जिसमें हर country की vote value उसकी economic quota पर निर्भर करती है। India जैसे बड़े economies की voting power ज़्यादा होती है, लेकिन फिर भी consensus से decisions होते हैं। जब किसी country को IMF से loan मिलता है, तो उसे कुछ strict conditions और reforms implement करने होते हैं — इन्हें कहते हैं IMF conditionalities. Pakistan पर ये concern था कि उसने कई बार reforms को fully implement नहीं किया है और bailout के बाद भी financial discipline नहीं दिखाया है।

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